प्रकाशित - 12 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
इस साल देश में मानसून (monsoon) की बारिश कैसी होगी। इसे लेकर निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर (skymet weather) की ओर से मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया गया है। इसमें बताया गया है कि इस साल 2024 में कई राज्यों में मानसून की बारिश काफी अच्छी हो सकती है। हालांकि इस बार देश में मानसून सामान्य रहने की संभावना जताई गई है जो किसानों के लिए काफी राहत भरी खबर है। जबकि पिछली बार देश में मानसून की बारिश (monsoon rain) सामान्य से कम हुई थी। ऐसे में स्काईमेट द्वारा की गई भविष्यवाणी किसानों के लिए बहुत मायने रखती है, क्योंकि भारतीय कृषि मानसून पर ही आधारित है।
स्काईमेट वेदर की ओर से इस साल देश में सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की गई है। स्काईमेट वेदर के अनुसार पिछले साल अलनीनो के कारण सामान्य से कम बारिश हुई थी। इससे देश के कई भागों में किसानों को सूखे का सामना करना पड़ा। स्काईमेट वेदर के मुताबिक 2024 का मानसून लंबे समय तक रहेगा और देश में 102 प्रतिशत बारिश होगी यानी मानसून सामान्य रहेगा।
जून से सितंबर तक कितनी बारिश का है अनुमान (How much rain is expected from June to September?)
इस साल जून से सिंतबर तक चार महीने की लंबी अवधि के लिए औसत (एलपीए) 868.6 मिमी है। सामान्य प्रसार एलपीए का 96-104 प्रतिशत है। 12 जनवरी 2024 को जारी अपने पहले पूर्वानुमान में स्काईमेट वेदर ने मानसून 2024 को सामान्य माना था जिसे अब आगे भी बरकरार रखा है।
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर (skymet weather) के अनुसार इस साल दक्षिण, पश्चिम और उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में काफी अच्छी बारिश होने की संभावना है। वहीं महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में मानसून बारिश आधारित मुख्य क्षेत्रों में भी पर्याप्त बारिश होगी। वहीं बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल आदि पूर्वी राज्यों में जुलाई और अगस्त के महीनों के दौरान कम बारिश होने का अनुमान है। वहीं पूर्वोत्तर भारत में सीजन से पहले दो माह के दौरान सामान्य से कम बारिश हो सकती है। स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह के अनुसार अल नीनो तेजी से ला नीना में तब्दील हो रहा है। ला नीना साल के दौरान मानसून परिसंचरण मजबूत हो जाता है। इसके अलावा सुपर एल नीनो का मजबूत ला नीना में बदलना ऐतिहासिक रूप से एक अच्छा मानसून पैदा करने वाला रहा है।
भारत के अधिकांश भागों में वर्षा आधारित खेती (rain fed farming) की जाती है। खासकर खरीफ सीजन में बोई गई धान, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों की खेती करने वाले अधिकांश किसान सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य मानसून रहने पर कृषि उत्पादकता में सुधार आएगा। इसी के साथ ही समय पर सिंचाई होने से फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी। मानसून अच्छा रहने से किसानों को रबी सीजन में भी सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा।
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