प्रकाशित - 31 Aug 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मानसून (monsoon) की बेरूखी से इस साल का अगस्त का महीना अब तक का सबसे सूखा महीना साबित हुआ है। देश में 120 साल बाद ऐसे मौसम (Season) के हालात देखने को मिले हैं, जब अगस्त के महीने में बारिश (Rain) नहीं हुई। बारिश नहीं होने से अगस्त माह में तापमान (temperature) में बढ़ोतरी देखने को मिली और भीषण गर्मी का अहसास हुआ। इस साल का अगस्त का महीना 1901 के बाद अब तक का सबसे सूखा महीना साबित हो रहा। देश में अभी भी सामान्य से कम बारिश हुई है। वहीं अगस्त माह में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई है जो अब तक के इतिहास में पहली बार देखने को मिली है। इस तरह इस साल अगस्त का महीना सूखा रहने से भूमि में नमी की मात्रा बहुत कम हो गई है और किसानों को फसलों की अधिक सिंचाई की आवश्यकता है। इस साल मानसून की बारिश (monsoon rain) 9 प्रतिशत कम हो पाई है, अब सितंबर के महीने में बारिश की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन यदि सितंबर माह में सामान्य बारिश (normal rain) भी होती है तो भी अगस्त माह में बारिश की कमी को पूरा नहीं कर सकती है। ऐसे में किसानों को सूखे जैसे हालातों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस समय सिर्फ उत्तर-पूर्व के राज्यों में बारिश हो रही है। लगातार बारिश से असम में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, जबकि अन्य जगहों पर सूखे के हालात बन रहे हैं जिसमें राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि राज्य शामिल हैं। यहां तापमान में हुई बढ़ोतरी ने आमजन को परेशान करने के साथ ही किसानों की चिंता को भी बढ़ा दिया है। यदि सितंबर में अच्छी बारिश नहीं होती है तो यहां सूखे के हालत बन सकते हैं।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सितंबर में कितनी बारिश हो सकती है, मानसून एक बार फिर कब से सक्रिय हो सकता है। किन राज्यों में बारिश होने की संभावना है और कहां सूखा रह सकता है। इन सभी बातों की जानकारी आपको हम दे रहे हैं।
इस साल अगस्त माह में पिछले सालों की तुलना में बहुत कम बारिश हुई है। इसका कारण अल-नीनो (al Nino) का सक्रिय होना बताया जा रहा है। माना जाता है कि जब भी अल-नीनो (al Nino) सक्रिय होता है उस समय देश में मानसून कमजोर (weak monsoon) पड़ जाता है। इसके कारण देश के कई राज्यों में सूखा पड़ जाता है। इस साल भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। इस साल कई राज्यों में सूखे के हालात बन सकते हैं।
बता दें कि पिछले 65 सालों में 14 बार अल-नीनो प्रशांत महासागर में सक्रिय हुआ है। इसमें से 9 बार देश में बड़े स्तर पर सूखा पड़ा। इसके अलावा शेष 5 बार भी सूखा पड़ा लेकिन इसका असर कम रहा। इस संबंध में स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट (skymet weather report) में इस बात की संभावना जताई गई है कि 2023 में 1991 जैसी स्थितियां बन सकती हैं। 1991 में देश में सामान्य से 10 फीसदी कम बारिश हुई थी जिससे सूखे के हालत बन गए थे। यदि इस बार भी ऐसा हुआ तो 2023 को भी सूखा वर्ष माना जाएगा। बता दें कि सामान्य से यदि 10 फीसदी कम बारिश होती है तो मौसम विज्ञान की परिभाषा में उसे माइल्ड या मध्यम सूखा वर्ष माना जाता है।
भारत में खेती मानसून पर ही आधारित है। यहां किसान मानसून के शुरू होने के बाद ही धान, सोयाबीन, गन्ना, मक्का, मूंगफली आदि फसलों की बुवाई करते हैं। लेकिन अगस्त माह में बारिश नहीं होने से मिट्टी में नमी नहीं बची जिससे फसलों की बढ़वार प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय फसलों को पानी की आवश्यकता है जिसके लिए बारिश होना जरूरी है। यदि बारिश नहीं होती है तो फसलों का उत्पादन घट सकता है। ऐसे में लोगों को खाद्यान्न में महंगाई का सामना करना पड़ सकता है।
मानसूनी मॉडल का विश्लेषण के मुताबिक 4 सितंबर के बाद करीब 10 दिन तक इस सीजन में बारिश का अंतिम दौर हो सकता है। वहीं इस बात के भी संकेत हैं कि देश में पश्चिमी भाग में मानसून की विदाई समय से पूर्व हो सकती है। ऐसे में 15 सितंबर को मानसून बाय-बाय कर सकता है। इस संबंध में आईएमडी के वरिष्ठ विज्ञानी के अनुसार मानसून की विदाई की स्थिति अभी अनिश्चित है। सामान्यत: देश में मानसून की विदाई की शुरुआत पश्चिमी राजस्थान से 17 सितंबर से होती है।
इधर स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत के अनुसार आमतौर पर 15-20 सितंबर के आसपास मानसून की वापसी शुरू हो जाती है। लेकिन पिछले 4 साल से सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है, क्योंकि मानसून की वापसी देरी से हुई। हालांकि इस बार आशंका है कि सितंबर में पूर्वी और उत्तरी राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। अल-नीनो का असर सितंबर में भी दिखाई दे रहा है। अगस्त में भी अल-नीनो (al Nino) की वजह से बारिश कम हुई है। ऐसे में सितंबर में भी इसका असर दिखाई दे सकता है।
एक सितंबर से मौसम एक बार फिर से करवट बदल सकता है। इस बीच मानसून हिमाचल प्रदेश में फिर से सक्रिय हो सकता है। इससे यहां दो दिन बारिश होगी। मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में एक और दो सितंबर को मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तेज तूफान आ सकता है। इसके बाद 2 सितंबर से अगले तीन दिनों तक मौसम फिर साफ रह सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश में मानसून ब्रेक एक या दो सितंबर को खत्म हो सकता है। इसके बाद जबलपुर-शहडोल संभाग सहित पूर्वी भाग में मध्यम से लेकर तेज बारिश का दौर शुरू हो सकता है। प्रदेश के पश्चिमी भाग में शामिल भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल सहित नर्मदापुरम संभाग में भी मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। हालांकि तेज बारिश होने का अनुमान बहुत कम है। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह के अनुसार एक व दो सितंबर को प्रदेश में पूर्वी हिस्से में बारिश के सिस्टम की एक्टिविटी से बारिश हो सकती है।
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