प्रकाशित - 04 Jan 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
उत्तर भारत सहित देश के विभिन्न राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही हैं। कई क्षेत्रों के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई एवं पाला व गलन बढ़ने के कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं। गलन बढ़ने व पाला पड़ने के कारण किसानों की रबी मौसम की फसलों को नुकसान होने का भी अनुमान हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने देश में यलो अलर्ट जारी किया हैं। साथ ही सर्दी व गलन को बढ़ते देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं, चना, सरसों और सब्जी की फसलों पर मौसम के हिसाब से विशेष निगरानी करने की सलाह दी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को उनकी बोई गई फसलों के आधार पर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी हैं। किसान भाईयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ फसलों की मौसम के अनुसार देखरेख से जुड़ी जानकारियां साझा करेंगे।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम के खतरे के हिसाब से 4 श्रेणी में विभाजित किया गया है। इसमें ग्रीन, येलो, ओरेंज और रेड अलर्ट की श्रेणी होती है। ग्रीन अलर्ट में मौसम एकदम साफ होता है। मौसम से फसलों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता है। येलो अलर्ट में मौसम के खराब होने का खतरा होता है। इसीलिए येलो अलर्ट में सतर्क रहने की जरूरत होती है। ओरेंज अलर्ट में मौसम के बिगड़ने की संभावना अधिक होती है। जबकि रेड अलर्ट में चक्रवात, तूफान अन्य प्राकृतिक आपदा आने की संभावना होती है। इसीलिए रेड अलर्ट के दौरान मौसम विशेषज्ञ घरों से नहीं निकलने की सलाह देते हैं। आगामी कुछ दिनों के मौसम को देखते हुए सरकार व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने येलो अलर्ट जारी किया हैं। इसे दखेते हुए किसानों को अपनी फसल के अनुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा।
भारत के बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों ने तापमान में गिरावट के चलते बढ़ती ठंड को देखते हुए येलो अलर्ट जारी कर दिया है। राजस्थान के माउंट आबू में इस सर्दी के सीजन में दूसरी बार तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है। वहीं फतेहपुर में 1 डिग्री, चुरू में 1.6 डिग्री, हनुमानगढ़ में 3.3, सीकर में 3.5 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान दर्ज किया गया है। इन सभी जिलों में राजस्थान सरकार ने येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार में भी तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक आ गया है। दिल्ली में भी तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
येलो अलर्ट में मौसम के खराब होने संभावना अधिक होती है। इस समय फसलों को लेकर विशेष सावधानी बरतनी होती है। पाला व गलन अधिक बढ़ने से फसल की सिंचाई नियमित अंतराल पर करते रहें। फसल में सिंचाई करने फसल के पास का तापमान नियंत्रण में रहता है। इससे फसलों में झुलसा रोग नहीं लगता है व फसल के आसपास धुआं करके भी तापमान नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा फसलों को प्लास्टिक की पन्नी से रात के समय ढका जा सकता है।
खरीफ फसलों की देरी से कटाई करने की वजह से कई किसानों ने गेहूं की पछेती बुवाई की है। यदि आपने नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह में गेहूं फसल की बुवाई की थी तो आपकी फसल 21 से 25 दिन के लगभग की हो गई है, फसल में शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर लें।
रबी सीजन की प्रमुख तिलहनी फसल में सरसों का प्रमुख स्थान है। इस बार किसानों ने बड़ी मात्रा में सरसों की बुवाई की हैं। इस सीजन कई किसानों ने सरसों की देर से बुवाई की थी, जिससे इस समय तक फसल में खरपतवार उगने की संभावना बनी रहती है, इसलिए फसल में निराई-गुड़ाई समय-समय पर करते रहें।
इस समय रबी सीजन में देश के कई राज्यों में किसानों ने सीजनल सब्जियों की फसल लगाई है। सर्दी के सीजन में तापमान में गिरावट के साथ ही है सब्जी की फसलों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। खासतौर पर मटर और टमाटर की फसल में फली छेदक रोग लगने की संभावना अधिक रहती है, जिससे फसल को बचाने के लिए प्रति एकड़ 3 से 4 फेरोमेन ट्रैप के लगाने होते हैं।
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