ट्रैक्टर योजना : सरकार किसानों को बांटेगी 1100 ट्रैक्टर

Share Product प्रकाशित - 18 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

ट्रैक्टर योजना : सरकार किसानों को बांटेगी 1100 ट्रैक्टर

राज्य के किसानों को अब पराली प्रबंधन में नहीं होगी परेशानी, मिनटों में होगा पूरा काम

धान की खेती (Paddy Cultivation) के बाद फसल अवशेष प्रबंधन यानी पराली की समस्या बनी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार राज्य के किसानों को पराली प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रों पर सब्सिडी (Subsidy on agricultural equipment) प्रदान करती है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन के कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य के किसानों को 1100 उच्च एचपी ट्रैक्टर (Tractor) बांटने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार का मानना है कि इन ट्रैक्टरों का उपयोग करके किसानों को पराली प्रबंधन के कार्य को कम समय में पूरा करने में आसानी होगी। वहीं पराली जलाने की समस्या दूर होगी जिससे वायु प्रदूषण से राहत मिल सकेगी।

किसानों को ट्रैक्टर बांटने का क्यों किया निर्णय

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही राज्य में करीब 5 लाख ट्रैक्टर हैं, लेकिन इनमें से 60 प्रतिशत हैप्पी सीडर (Happy Seeder) और सुपर सीडर (Super Seeder) जैसी मशीनें नहीं चला सकते हैं। अधिकतर ट्रैक्टर 35 से 40 एचपी के होते हैं, जबकि पराली प्रबंधन के काम में आने वाली मशीनों के लिए 50 से 60 एचपी वाले ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए कृषि विभाग राज्य में किसानों को पराली प्रबंधन के काम आने वाली सुपर सीडर, हैप्पी सीडर जैसी मशीनें उपलब्ध करा रही है जिनके लिए उच्च एचपी क्षमता के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है, क्योंकि पराली प्रबंधन की यह मशीनें उच्च एचपी क्षमता वाले ट्रैक्टर के साथ ही चलती है। ऐसे में यदि राज्य के किसान किराये पर ट्रैक्टर लेते हैं तो उसका किराया अधिक होता है और यही वजह है कि अधिकतर किसान पराली प्रबंधन का काम ठीक से नहीं कर पाते हैं और पराली को जलाना ही सबसे आसान समझते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने किसानों को इस कार्य के लिए ट्रैक्टर उपलब्ध कराने का फैसला किया है।

किसान यहां से ले सकेंगे सस्ते किराये पर ट्रैक्टर

कृषि निदेशक डॉ. जसवंत सिंह के अनुसार यह पहली बार है कि राज्य में किसानों को स्वयं सहायता समूहों, पंचायतों और सहकारी समितियों के लिए एक सीजन में ट्रैक्टर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह केंद्र प्रयोजित सीआरएम योजना का हिस्सा होगा। कई किसानों के पास छोटे ट्रैक्टर हैं जो पराली से निपटने के लिए आधुनिक उपकरणों के अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में किसान सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे ट्रैक्टर को इन समूहों से किराए पर ले सकते हैं, लेकिन ये बैंक-एंडेड सब्सिडी के माध्यम से होंगे।

कौन उठा सकता है योजना का लाभ

पराली प्रबंधन के लिए ट्रैक्टर बांटने की यह योजना केवल पंजाब के किसानों के लिए चलाई जा रही है। ऐसे में इस योजना का लाभ केवल पंजाब के किसान ही उठा पाएंगे। अन्य राज्य के किसान इस योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। इस योजना से पंजाब के उन छोटे किसानों को लाभ होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होने से ट्रैक्टर खरीद नहीं पा रहे हैं या उनके पास छोटा ट्रैक्टर है जिससे पराली प्रबंधन का काम करने में परेशानी होती है।

महिंद्रा अर्जुन नोवो 605 डीआई-एमएस

पराली प्रबंधन कार्य के लिए कितने एचपी के ट्रैक्टर की होती है आवश्यकता

अवशेष प्रबंधन (पराली प्रबंधन) के लिए अधिक हॉर्स पावर जैसे 50 से 60 एचपी के ट्रैक्टर (50 to 60 HP tractors) की आवश्यकता होती है। अवशेष प्रबंधन व खेत की जुताई के लिए अब सुपर सीडर व रोटावेटर का अधिक इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में इन भारी कृषि यंत्रों को चलाने के लिए अधिक हार्सपावर वाले ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। जबकि जो किसान पहले से जीरो टिलेज का इस्तेमाल कर रहे थे, वे अब हैप्पी सीडर का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में उन्हें अब अधिक एचपी के ट्रैक्टर की आवश्यकता होगी।

30 से 35 एचपी ट्रैक्टर से पराली प्रबंधन में क्या है परेशानी

राज्य के अधिकांश किसानों के पास 30 से 35 एचपी के ट्रैक्टर (30 to 35 HP tractors) हैं जो हैप्पी सीडर या सुपर सीडर जैसे कृषि मशीनों को चलाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इन यंत्रों को चलाने के लिए कम से कम 60 एचपी के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है जो उनके पास नहीं है।

सुपर सीडर से कैसे किया जाता है पराली प्रबंधन

सुपर सीडर (super seeder) से पराली प्रबंधन कार्य काफी आसान है। यह मशीन फसल अवशेष के टुकड़ों को काटकर मिट्टी में दबाने का काम करती है। इतना ही नहीं यह मशीन उसके ऊपर गेहूं या सरसों की बिजाई के बीज डालने का काम भी करती है। फसल अवशेष मिट्‌टी में दबने के बाद गलकर खाद बन जाते हैं। इससे खेत की उर्वराशक्ति बढ़ती है और जमीन में नमी बरकरार रहती है जिससे जमीन में पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ जाती है। सुपर सीडर से पराली प्रबंधन कार्य करने से फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है।

हैप्पी सीडर से कैसे कर सकते हैं अवशेष प्रबंधन का काम

हैप्पी सीडर (Happy seeder) बीज की बुवाई करता है और भूसे को हटाता है। यह भूसे को पूरे खेत में समान रूप से बिखेरता भी है। हैप्पी सीडर इस प्रकार खेत की मल्चिंग करता है जिससे जमीन की नमी बनाए रखने में सहायता मिलती है। इससे बीज का अंकुरण अच्छा होता है। अब फैलाया भूसा कुछ दिनों में विघटित हो जाता है जो खेत के लिए खाद का काम करता है। इससे मिट्‌टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टरमहिंद्रा ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back