Published - 13 Mar 2020 by Tractor Junction
अब देश के किसानों की होगी बल्ले-बल्ले। हां, किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन आपके लिए लाया एकदम बिल्कुल नई जानकारी। अब देश में ई-ट्रैक्टर जल्द ही बिकने लगेंगे। ई-ट्रैक्टर की परिचालन लागत एक घंटे में 25 से 30 रुपए आएगी। जबकि पारंपरिक ट्रैक्टरों की परिचालन लागत एक घंटे की करीब 150 रुपए होती है। ऐसे में किसानों के हर घंटे करीब 120 रुपए की बचत होगी। हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप सेलेस्ट्रियल ई-मोबिलिटी (Cellestial E-Mobility) ने एक इलेक्ट्रिक पावर्ड ट्रैक्टर का अनावरण किया है। ट्रैक्टर में बैटरी स्वैपिंग, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग आदि की सुविधा है। ई-ट्रैक्टर को शून्य उत्र्सजन के हिसाब से बनाया गया है जो कि पर्यावरण के लिए अनुकूल है।
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सेलेस्ट्रियल ई-मोबिलिटी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ दुरैराजन ने एएनआई को बताया कि भविष्य में किसानों के लिए ट्रैक्टर की परिचालनन लागत 150 रुपए प्रति घंटे से घटकर 25-30 रुपए प्रति घंटे रह जाएगी, क्योंकि अब भविष्य इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों का होगा। जो भारत के बाजार में जल्द बिकने लगेंगे। उन्होंने बताया कि श्रम की कमी, स्वामित्व और संचालन की उच्च लागत के कारण भारत के किसान समुदाय के लिए ट्रैक्टर खरीदना एक चुनौती बना रहता है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप सेलस्ट्रियल ई-मोबिलिटी किसानों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर लेकर आई है, जिसकी कीमत पारंपरिक डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों से कम है।
सिद्धार्थ दुरैराजन ने बताया कि ट्रैक्टर निर्माण से जुड़ी विभिन्न कंपनियों द्वारा वर्ष 2019 में देश में करीब 8.78 यूनिट ट्रैक्टर बेचे गए हैं। ट्रैक्टर बाजार 6.9 फीसदी के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि वाहनों के इलेक्ट्रिक निर्माताओं ने अभी तक इस सेगमेंट की ओर ध्यान केंद्रित नहीं किया है।
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देश में इलेक्ट्रिक टै्रक्टर की कीमत करीब 5 लाख रुपए होगी। जबकि पारंपरिक नियमित ट्रैक्टर की कीमत करीब 6 लाख रुपए से शुरू होती है। इसके अलावा ई-ट्रैक्टर को चलाने के लिए एक घंटे में करीब 25 से 30 रुपए का खर्चा आएगा। जबकि पारंपरिक ट्रैक्टरों में यह खर्च करीब 150 रुपए प्रति घंटा होता है।
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सेलेस्ट्रियल ई-मोबिलिटी फिलहाल एक महीने में करीब 100 इकाइयों का उत्पादन करने की योजना बना रही है। सिद्धार्थ दुरैराजन के अनुसार अगले दो-तीन साल में 8000 वाहन बनाने की योजना है। फार्म सेक्टर को लक्षित करने के अलावा स्टार्ट अप कारखानों, गोदामों और हवाई अड्डों पर माल की आवाजाही के लिए ट्रैक्टर बेचने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष के बजट के दौरान, कैबिनेट ने हरित भारत के लिए लक्ष्यों को संबोधित किया, जिसमें वर्ष 2030 तक केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर जोर दिया गया। यह भारत की स्वच्छ ईंधन विचारधारा को संबोधित करने और उच्च प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा। कंपनी दिल्ली-एनसीआर के भीतर और साथ ही देश के अन्य प्रमुख शहरों में अपने बेड़े का आकार तेजी से बढ़ाना चाह रही है।
सेलेस्टियल ई-मोबिलिटी के सह-संस्थापक, सिद्धार्थ दुरैराजन ने को बताया कि मैं एक इंजीनियरिंग डिजाइन पृष्ठभूमि से हूं और मेरा साथी सैयद पिछले 19 वर्षों से बैटरी तकनीक से है। हमारे साथ एक अन्य साथी मिथुन भी हैं जो निर्माण पृष्ठभूमि से हैं जो ट्रैक्टर निर्माण में विशेषज्ञ है। अगर आप इसे देखते हैं, तो डिजाइन, डोमेन, बैटरी और विनिर्माण, सभी पहले इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के निर्माण के लिए एक साथ आए हैं। 2019 में अपना परिचालन शुरू करने वाली फर्म ने सिंगापुर स्थित एंजेल इन्वेस्टर से 2,00,000 डालर जुटाए थे।
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