प्रकाशित - 26 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
छत्तीसगढ़ में मछलीपालन के साथ ही महिलाएं गुलाब की खेती में रूचि दिखा रही हैं। गुलाब की खेती से यहां की ग्रामीण महिलाओं को लाभ हो रहा है। राज्य की महिलाएं आत्मनिर्भर होकर गुलाब की खेती से अपनी आय बढ़ा रही हैं। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं हैं, जो समूह की मदद से खेती के जरिये पैसा कमा रही है। आज हम छत्तीसगढ़ की एक ऐसी ही महिला किसान की सफलता की कहानी आपसे शेयर कर रहे हैं जिसने बैंक से लोन लेकर गुलाब की खेती शुरू की और आज 30 हजार रुपए प्रतिमाह की कमाई कर रही हैं।
छत्तीसगढ़ के रांची की नगड़ी प्रखंड के गांव टीकरा टोली रहने वाली महिला किसान ललिता देवी ने गुलाब की खेती करके एक मिसाल कायम की। इससे पहले वे अपनी छोटी-मोटी चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहती थी, लेकिन अब वे अपने परिवार का खर्च आसानी से उठा लेती हैं। महिला किसान ललिता देवी के अनुसार स्वयं सहायता समूह से जुडऩे के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया। स्वयं सहायता समूह से जुडऩे के बाद मुझे झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसायटी की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ मिला। उन्हें खेती के लिए पूंजी मिली। इससे उन्होंने खेती करना शुरू किया।
महिला किसान ललिता बतातीं हैं कि वे खेती में कुछ नया करना चाहती थी। इसके लिए स्वयं सहायता समूह से मुझे मदद मिली। इस दौरान उन्होंने गुलाब की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके लिए उन्हें समूह द्वारा जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी द्वारा फंडेड झारखंड बागवानी गहनता और माइक्रो ड्रिप इरीगेशन परियोजना के तहत सूक्ष्म टपक सिंचाई (एमडीआई) प्रणाली के बारे में जानकारी मिली। समूह की आर्थिक मदद और सूक्ष्म टपक सिंचाई के उपयोग से ललिता ने खुद गुलाब की खेती शुरू की और धीरे-धीरे गुलाब से अच्छी खासी बिक्री होने लगी और आज गुलाब की खेती से 30 हजार रुपए तक कमा लेतीं हैं।
ललिता बतातीं हैं कि उन्होंने गुलाब की खेती करने के लिए सहकारी बैंक से 50 हजार का लोन लिया और उससे गुलाब की खेती करना शुरू किया। सूक्ष्म सिंचाई और टपक विधि का इस्तेमाल करके कम पानी में गुलाब की खेती में सफलता प्राप्त की। उन्होंने गुलाब की 6000 डच किस्म के पौधे से नर्सरी से खरीदें और 25 डिसमिल जमीन पर गुलाब की खेती शुरू की। गुलाब की बागवानी शुरू करने के साथ ही ललिता ने इसकी बिक्री के लिए बाजार तलाशना भी शुरू कर दिया। बाजार में गुलाब की मांग को देखते हुए उनका उत्साह दुगुना हो गया। अपनी खुशी जाहिर करते हुए वे कहती है कि मेरी हमेशा से गुलाब की खेती करने की इच्छा थी, लेकिन आर्थिक कारणों ओर खेती का सही पूरा ज्ञान नहीं होने के कारण में इसे कर नहीं पाई, लेकिन स्वयं सहायता समूह के सहयोग से ये काम आसान हो गया।
छत्तीसगढ़ ही नहीं राजस्थान में कई किसान गुलाब की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। गुलाब के फूलों की मांग साल के बारहों महीने बनी रहती है। पूजा अराधना, जन्मदिन, वेलेंटाइन डे के अलावा शादी-ब्याह आदि अवसरों पर गुलाब के फूलों का उपयोग डेकोरेशन के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं गुलाब के सूखे फूलों से गुलकंद बनाया जाता है। वहीं गुलाब जल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में किया जाता है। इससे इत्र भी बनाता है। इस तरह देखा जाए तो गुलाब की खेती से काफी लाभ की संभावनाएं हैं।
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