प्रकाशित - 21 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
देशभर में जगह - जगह पर पराली जलाने को बैन किया जा चुका है। हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और यूपी के लोगों के लिए अक्सर सिर दर्द का कारण बनने वाली पराली से बिहार की एक महिला ऐसा व्यापार कर रही है, जिसे लोगों द्वारा काफी सराहा जा रहा है।
दरअसल पराली के धुएं की वजह से देश के बहुत सारे इलाकों में सांस लेना तक दूभर हो जाता है। पराली के धुएं से लोगों को बहुत सारी बीमारियों से भी जूझना पड़ता है। अस्थमा और हृदय रोग के मरीजों को तो बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि कई राज्यों में सरकार ने पराली जलाने को बैन कर दिया है।
हरियाणा सरकार ने पराली जलाने को लेकर बहुत सारे कठोर नियम बनाए हैं। सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। इसी बीच बिहार की एक महिला किसान सुनीता कुमारी जो पराली का सदुपयोग करते हुए लाखों की कमाई भी कर रही हैं और इससे लोग प्रदूषण से भी बच रहे हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम बिहार की इसी महिला किसान की सक्सेस स्टोरी, उनकी कमाई का तरीका आदि की जानकारी दे रहे हैं।
पराली के बेहतर उपयोग से बिहार की यह प्रगतिशील किसान अच्छी कमाई कर पा रही है। सुनीता, पराली का डेकोरेटिव आइटम बनाती है। सजावटी सामान बनाने और उसे मार्केट में बेचने से उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकारें सभी महिला स्वरोजगार पर बल दे रहे हैं। महिला आगे बढ़ेगी तो सब आगे बढ़ेंगे। कहा जाता है, समाज में महिलाएं जब रोजगार के मामले में आगे आती हैं, आत्म निर्भर बनती हैं तो समाज में एक अप्रत्याशित सुधार देखने को मिलता है। रूढ़िवादी सोच को बल नहीं मिलता है। सुनीता कुमारी, समाज के लिए ऐसे ही एक प्रगतिशील महिला के तौर पर दूसरी महिलाओं के लिए उदाहरण बनी हैं। सुनीता कुमारी सजावटी सामान का निर्माण पराली से कर रही हैं, इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
सुनीता कुमारी बिहार की एक प्रगतिशील किसान है, जिनकी उम्र 36 साल है। बिहार के जहानाबाद जिला के टेहटा गांव में सुनीता का निवास है। यहीं इनके पास 0.2 हेक्टेयर जमीन कृषि कार्य के लिए है। जिसमें वो धान की खेती करती हैं। सुनीता बीए पास हैं और एक शिक्षित महिला किसान के तौर पर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। धान की खेती के बाद सुनीता, पराली को जलाने के बजाय उसे सजावटी सामान और सीनरी का निर्माण करती हैं।
सुनीता ने कहा, पहले इस काम को करते देख, लोग उनका मजाक बनाया करते थे। हालांकि धीरे धीरे अब लोगों का नजरिया बदला है। आज बहुत सारी महिलाएं किसान सुनीता से इस काम का प्रशिक्षण ले रही हैं। सुनीता अपने साथ दूसरी महिलाओं को भी पराली से सजावट का सामान बनाना सीखा रही हैं और उन्हें भी अच्छी इनकम प्राप्त करने के तरीके बता रही है।
सुनीता दीवारों की सजावट का सामान और सीनरी का निर्माण मुख्य तौर पर करती हैं। सजावट का यह समान दिखने में काफी भव्य होता है, लोग काफी पसंद करते हैं। इसके अलावा फोटो फ्रेम का भी निर्माण करती हैं, जिससे उन्हें काफी बचत होता है। कोई ऐसी चीज जिसे लोग बेकार समझ कर फेंक देते हैं या जला देते हैं। उससे अगर कुछ बेहतरीन आइटम्स का निर्माण किया जाए तो निश्चित रूप से लोगों को आश्चर्य होता है। आज सुनीता के इस कार्य की सराहना सभी कर रहे हैं। सुनीता कहती हैं, दुनिया की कोई भी चीज बेकार नहीं होती, सबका कहीं न कहीं उपयोग होता ही है।
सुनीता बताती हैं, कि पराली से सजावटी सामान का निर्माण करने में काफी समय लगता है। फोटो फ्रेम की बात करें तो छोटे फोटो फ्रेम जो 8×10 इंच की होती है, उसकी लागत 150 रुपए के लगभग आती है। सुनीता इसे 300 रुपए में बेचती है। इसी तरह बड़े बड़े फोटो फ्रेम जिसकी लागत 1200 रुपए आती है, उसे 2400 रुपए में बेचती है। इस तरह सुनीता को हर महीने 15 से 20 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। इस तरह सुनीता सालाना इन आइटम्स को बेच कर अतिरिक्त 1.8 लाख से 2 लाख रुपए तक की कमाई कर रही है। बड़ी बात यह है कि सुनीता अपने साथ और भी लोगों को यह काम सीखा चुकी हैं, वो भी कमाई कर रही हैं। महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देने की इस प्रयास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा इन्हें आर्थिक सहायता और पुरस्कार भी मिले हैं।
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