प्रकाशित - 09 Jul 2022
गर्मी के मौसम में बिजली की कटौती से लोग परेशान रहते हैं। इसमें से शहर से ज्यादा गांवों में बिजली की कटौती की जाती है। इसमें कई गांवों में 6 से लेकर 10 घंटे की कटौती होती है। ऐसे में किसानों को फसलों की सिंचाई कार्य में परेशानी होती है। इस समस्या से परेशान किसान ने अपने ट्रैक्टर से बिजली बनाने का तरीका खोज लिया और जुगाड़ से ट्रैक्टर से बिजली बनाई। आज ये किसान इस बिजली से अपने खेत में फसलों की सिंचाई काम आसानी से कर लेता है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम पथराड़ के किसान गणेश पाटीदार की। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको ट्रैक्टर से बिजली बनाने वाले किसान के बारें में बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने जुगाड़ से ट्रैक्टर से बिजली उत्पादन शुरू किया।
इस गर्मी में निवाड़ के किसान इन दिनों बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं। गांवों में 10 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है जिसमें सुबह 4 से 8 और दोपहर को 3 से रात को 9 बजे तक बिजली दी जाती है। इस प्रकार बिजली देने से किसानों का सिंचाई का समय गड़बड़ा गया है। ऐसे में किसानों की परेशानी हो देखते हुए खरगोन जिले के गांव पथराड़ के किसान गणेश पाटीदार ने बिजली संकट से निजात पाने के लिए ट्रैक्टर से बिजली उत्पादन करने की क्षेत्र में नई पहल की है जो पूरे गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है।
किसान गणेश पाटीदार ने ट्रैक्टर से बिजली उत्पादन के लिए अपने घर में रखे पुराने आर्मेचर का उपयोग किया गया है, इसे ट्रैक्टर के साथ जोडक़र चलाया गया है। जिससे 440 वाल्ट बिजली पैदा होती है। इस बिजली से मोटर चलाकर खेत में 15 एकड़ में लगी खरीफ की मक्का कपास की फसल में सिंचाई की जा रही है। ट्रैक्टर से बिजली बनाने में ढाई लीटर /घंटा डीजल की खपत होती है। ट्रैक्टर को 10 घंटे निरंतर चलाकर बिजली बनाई जा सकती है।
झारखंड में धनबाद के झरिया उपर डुंगरी गांव के किसान पन्नालाल महतो ने जुगाड़ से एक ऐसी साइकिल तैयार की है जो खेत की आसानी से जुताई कर सकती है। मैट्रिक पास किसान पन्नालाल महतो है लेकिन इस साइकिल को बनाने के बाद गांव में हर ओर उनकी तारीफ हो रही है। इस साइकिल में दो हॉर्स पॉवर के मोटरपंप को लगाया गया है। साइकिल का पिछला पार्ट हटाकर उसमें मोटर फिट कर दी गई है। इससे साइकिल से दो काम किए जा सकते हैं एक तो खेत की जुताई की जा सकती है तो दूसरा ट्यूबेल या कुएं से पानी निकलकर सिंचाई भी की जा सकती है। इस साइकिल को बनाने में पन्नालाल को मात्र 10 हजार रुपए खर्च करने पड़े हैं। इसमें साइकिल के पिछले पहिये को हटाकर उसमें तीन फाड़ (खेत जोतने लोहे का फर्सा) लगाया गया है। इस जुगाड़ की साइकिल के चलाने के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। यदि केरोसिन खत्म हो जाए, तो साइकिल को धक्का देकर भी खेत की जुताई की जा सकती है। इस साइकिल में 2 हॉर्स पॉवर की मोटर लगाई गई है। इस आविष्कार के लिए पन्नालाल की टाटा स्टील ने मदद की थी।
झारखंड राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर पोटका के देव मंजन ने पुरानी मोटर साइकिल से मिनी ट्रैक्टर का निर्माण कर दिया। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण में पुरानी मोटर साइकिल, पानी के पंप और स्कूटर के पार्ट्स को जोड़कर किया गया है। वे पिछले 9 सालों से इस मिनी ट्रैक्टर से खेती का कार्य कर रहे है। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण पर उनके मात्र 5000 रुपए खर्च हुए हैं। इससे लागत सीधे 5 गुना कम यानी 70-80 रुपए पर आ गई है। बता दें कि किसान देव मंजन 10वीं कक्षा तक पढ़े हुए हैं और खेती किसानी का काम करते हैं।
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