प्रकाशित - 16 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खेती-किसानी में जोखिम की संभावना को देखते हुए अब किसान कम जोखिम वाली फसलों की खेती करने में अधिक रूचि ले रहे हैं। अधिकांश किसान चाहते हैं कि उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो। ऐसी ही सोच के साथ राजस्थान के किसान केहराराम चौधरी ने खजूर की खेती में हाथ आजमाया और किस्मत ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने सात हैक्टेयर में खजूर की खेती से करोड़ों की कमाई कर ये साबित कर दिया कि खेती किसानी घाटे का सौदा नहीं है। यदि सही तरीके से खेती के व्यवसाय को अपनाया जाए तो इससे करोड़ों की कमाई की जा सकती है।
राजस्थान के जालौर जिले के दाता गांव के रहने वाले किसान केहराराम चौधरी एक सफल और समृद्ध किसान हैं। इनके पास कुल 7 हैक्टेयर भूमि है। इसमें उन्होंने इजरायली तकनीक से खजूर की ऑर्गेनिक खेती की है। उत्पादन की लागत को कम करने और लाभ की मात्रा को बढ़ाने के लिए उन्होंने ऑर्गेनिक तकनीक को अपनाया है और इसके अच्छे परिणाम उन्हें मिल रहे हैं। इस तकनीक से वे आम किसान की तुलना में अधिक लाभ कमा रहे हैं। बता दें कि आर्गेनिक खेती की तकनीक से उत्पादित सब्जी और फल की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इसमें फसल लागत कम लगती है और बढिय़ा मुनाफा मिलता है।
केहराराम चौधरी इजराइली तकनीक से खजूर की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती में किसी भी रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें वे गोबर की खाद और केंचुआ खाद का ही उपयोग करते हैं। बता दें कि ऑर्गेनिक खेती के लिए सरकार की ओर से भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस प्रकार की खेती में प्राकृतिक रूप से तैयार खाद का उपयोग किया जाता है। इसमें रासायनिक खाद का बिलकुल उपयोग नहीं किया जाता है। यहां यह बताना जरूरी है कि रासायनिक खाद मिट्टी और फसल दोनों के लिए हानिकारक साबित होती हैं। वहीं बीमारियों का कारण भी बनती हैं। वहीं जैविक खेती यानि आर्गेनिक खेती भूमि और हमारे शरीर के लिए सुरक्षित है।
केहराराम ने दस साल पहले अनार की खेती शुरू की। वे अपने पहले प्रयास में अनार की खेती में सफल रहे और अच्छा उत्पादन प्राप्त किया। इन्हें देखकर अन्य किसानों ने भी अनार की खेती शुरू की और आज स्थिति ये हैं कि दाता गांव के साथ ही जिले के सैकड़ों किसान अनार की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। यहां से बड़ी मात्रा में अनार अन्य जगहों पर भेजा जा रहा है।
अनार की सफलतापूर्वक खेती के बाद केहराराम चौधरी ने खजूर की खेती (Date Palm Cultivation) में हाथ आजमाया और इसमें भी उन्हें सफलता मिली। आज केहराराम चौधरी के साथ ही जालौर के दाता गांव के किसान खजूर की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार केहराराम चौधरी के साथ-साथ जालौर के दाता गांव के किसानों ने 5 साल पहले 3500 रुपए की कीमत पर उद्यान विभाग से खजूर के 2 अलग-अलग किस्म के 600 पौधों से खजूर की खेती की शुरुआत की थी। अब ये खजूर के पौधे परिपक्व हो गए हैं किसानों को अच्छा खासा पैसा कमा कर दे रहे हैं।
राजस्थान के जालौर समेत 12 जिलों में जैसे बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर, सिरोही, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हनुमानगढ़, नागौर, पाली, बीकानेर व झुंझुनूं में खजूर की खेती की जा रही है। यहां किसान मेडजूल और बरही किस्म की खजूर की खेती कर रहे हैं।
खजूर के मूल उत्पादक खाड़ी देशों जैसी जलवायु को देखते हुए ही राज्य सरकार यहां खजूर की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को आयातित और टिश्यू कल्चर से तैयार पौध उपलब्ध कराने के साथ तकनीकी सहयोग भी दिया जा रहा है। खजूर की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके तहत किसानों को टिश्यू कल्चर तकनीक से उत्पादित खजूर के पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं।
खजूर की मेडजूल और बरही किस्म के पौध को जुलाई से सितंबर के बीच किसी भी किस्म की मिट्टी में लगा सकते हैं। इस किस्म को लगाते समय बात का ध्यान रखें कि इसके एक पौधे से दूसरे पौधे और एक कतार से दूसरी कतार के बीच 8 मीटर की दूरी होनी चाहिए। इस तरह आप एक हेक्टेयर में खजूर के 156 पौधे ही लगा सकते हैं।
खजूर की खेती जितनी लाभकारी है उतना ही मानव शरीर के लिए लाभकारी है। खजूर के सेवन से जो लाभ प्राप्त होते हैं, वे इस प्रकार से हैं-
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