किसान ने अखबार पढ़कर शुरू की काली हल्दी की खेती, अब हो रही लाखों में कमाई

Share Product प्रकाशित - 23 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसान ने अखबार पढ़कर शुरू की काली हल्दी की खेती, अब हो रही लाखों में कमाई

जानें, क्या है काली हल्दी की विशेषता, क्यों है बाजार में अधिक मांग

हल्दी एक औषधीय फसल के साथ खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग में लाई जाने वाली फसल भी है। इसमें मौजूद औषधीय एवं एंटीबायोटिक गुण इसे खास बनाते हैं। दाल, सब्जी आदि में आकर्षक रंग देने के लिए भी हल्दी का उपयोग किया जाता है। दुनिया भर में हल्दी की अच्छी डिमांड है। हल्दी का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन उद्योगों में भी प्रमुखता से किया जाता है। लेकिन हल्दी की एक ऐसी किस्म है जिसमें कई ऐसे विशेष गुण हैं, जो उसे पीली हल्दी से ज्यादा खास बनाते हैं। काली हल्दी की खेती कर देश के कई किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही अच्छी उपज से अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन कर उभर रहे हैं। 

बिहार के एक किसान आशीष कुमार ने काली हल्दी की खेती कर काफी अच्छा मुनाफा कमाया है। काली हल्दी को दूसरे राज्यों में भेज कर काफी मुनाफा कमा पा रहे हैं।

कैसे करें काली हल्दी की खेती

काली हल्दी की खेती करने वाले किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में काली हल्दी की खेती प्रमुखता से की जाती है। औषधीय फसल होने की वजह से मांग के अनुसार इसकी अच्छी कीमत किसानों को मिल जाती है। 

ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में काली हल्दी की खेती कैसे करें, बुआई कैसे करें, उचित समय क्या है, पैदावार कितनी होगी, भूमि कैसा चाहिए, जलवायु कैसी होनी चाहिए, बीज की मात्रा क्या होगी, कमाई क्या होगी आदि की जानकारी दे रहे हैं।

कैसे मिली बिहार के आशीष कुमार को इस खेती में सफलता

काली हल्दी की खेती करने वाले बिहार के किसान आशीष कुमार सिंह का कहना है कि वे अपने गांव में लगभग 3 साल से खेती कर रहे हैं। अखबार में उन्होंने काली हल्दी की खेती के बारे में पढ़ा था। उन्हें कृषि से संबंधित लेख और खबरें पढ़ने का शौक है, वे अक्सर खेती की खबरें पढ़ते हैं। काली हल्दी की खेती से प्रभावित होकर आशीष कुमार ने इस खेती का प्लान बनाया। आशीष कुमार कई ऐसी फसलों की खेती भी कर रहे हैं जो विलुप्त होने की कगार पर है। बिहार में काली हल्दी लगभग विलुप्त हो चुकी थी। आशीष कुमार जानते थे कि मध्यप्रदेश के कुछ खास इलाकों और देश के कई जगहों पर इसकी मांग काफी अधिक है। शुभ कार्य शुरू करने के उद्देश्य से भी बहुत से लोग काली हल्दी का उपयोग करते हैं।

आशीष एक छोटे और सीमांत श्रेणी के किसान हैं, वे मात्र डेढ़ कठ्ठे में इसकी खेती करते हैं। जिससे करीब डेढ़ क्विंटल हल्दी की उपज होती है। आशीष कहते हैं यह खेती कोई भी कर सकता है। गमले में भी इस हल्दी की खेती संभव है। आशीष अभी बहुत छोटी सी जमीन पर खेती कर 3 लाख रुपए सालाना की कमाई कर पाते हैं।

भूमि

अच्छी जलधारण क्षमता के साथ बलुई और दोमट मिट्टी इस खेती के लिए सर्वोत्तम माना गया है। मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो यह 5 से 7 के बीच होना चाहिए। जलभराव वाली जमीन पर इस फसल की पैदावार नहीं की जा सकती।

जलवायु

काली हल्दी की खेती के लिए गर्म जलवायु को अच्छी माना जाता है। अगर तापमान 5 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड हो तो इस तापमान में काली हल्दी की काफी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

काली हल्दी को लगाने का उचित समय 

काली हल्दी की बुआई का उचित समय जून और जुलाई के बीच सही माना गया है। काली हल्दी की खेती वर्षा ऋतु में किया जाना अच्छा होता है। बीज की मात्रा की बात करें तो 8 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से बोई जाती है। 

बीजोपचार

बाविस्टीन के 2 प्रतिशत घोल में 15 से 20 मिनट तक बीज को डूबा कर रखें।

पैदावार

8 क्विंटल कच्ची हल्दी के बीज को बोई जाने पर किसान एक एकड़ में 12 से 15 क्विंटल तक सूखी हल्दी की पैदावार कर सकते हैं। हालांकि अगर उत्कृष्ट कृषि कौशल का उपयोग किया जाता है तो 25 से 28 क्विंटल प्रति एकड़ भी काली हल्दी की पैदावार की जा सकती है।

कमाई

कमाई की बात करें तो सूखी काली हल्दी 300 से 500 रुपए किलो तक बिक जाती है। इस हिसाब से किसान की कमाई 4.5 से 5.5 लाख रुपए तक आसानी से हो जाती है।

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