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किसान ने बिना ड्राइवर के खेत में चलाया ट्रैक्टर, विदेश से मंगाई यह तकनीक

प्रकाशित - 27 Jun 2024

जानें, कैसे काम करता है ट्रैक्टर और इसे बनाने में कितना आया खर्चा

किसानों के लिए ट्रैक्टर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कृषि यंत्र हैं। इसकी सहायता से खेती के सभी काम आसानी से किए जा सकते हैं। आज बाजार में नवीनतम डिजाइन और एडवांस तकनीक से लेस ट्रैक्टर आ रहे हैं। इसी बीच एक युवा किसान ने एक ऐसे ट्रैक्टर को बना डाला जो बिना ड्राइवर के चलता है और इतना ही नहीं यह खेत में बीजों की बुवाई काम भी कर लेता है। यानी इसे चलाने के लिए किसी ड्राइवर की आवश्यकता नहीं है। युवा किसान द्वारा बनाए गए इस ट्रैक्टर की पूरे देश में चर्चा है और जो भी इसे देखता है दंग रह जाता है।

कैसे आया बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर को बनाने का विचार

युवा किसान महाराष्ट्र के अकोला जिले का रहने वाला है जिसका नाम राजू वरोकर है। यह अपने खेत में सोयाबीन की बुवाई करना चाहता था, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। ऐसे में युवा किसान राजू के मन में आया कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे कम खर्च में खेत में सोयाबीन की बुवाई की जा सके और इसमें मजदूरों की आवश्यकता भी नहीं पड़े। बस यही विचार उन्हें बिना ड्राइवर का ट्रैक्टर बनाने के लिए प्रेरित किया और वह काम को अंजाम देने में जुट गए।

बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर में किस तकनीक का किया गया है इस्तेमाल

किसान राजू वरोकर ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया है। इसे बनाने में जर्मन तकनीक के तहत जीपीएस कनेक्ट सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है जिसमें ऑटो पायलट सोइंग टेक्नोलॉजी के जरिये ट्रैक्टर को ऑटो पायलट मोड पर डालकर खेत में बुवाई का काम किया गया है। इस तरह पहली बार गांव में किसी ने फसल की बुवाई की है जिसे देखकर ग्रामीण आश्चर्य चकित हो गए।

इस तकनीक से कैसे होती है फसल की बुवाई

राजू वरोकर के अनुसार इस तकनीक के जरिये बिलकुल सीधी लाइन में रोपाई होती है। बताया जा रहा है कि इस तकनीक के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और समय व श्रम की बचत के साथ लागत भी कम आती है। इसकी लागत केवल 4.5 से 5 लाख रुपए है। इस तकनीक से बुवाई का काम करने पर उत्पादकता में 17.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और बीज अंकुरण में 14.1 प्रतिशत का सुधार देखा गया है।

कैसे काम करता है बिना ड्राइवर का ट्रैक्टर

राजू वरोकर ने मीडिया को बताया कि इस तकनीक के साथ खेत में ट्रैक्टर चलाने के लिए ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होती है। इस ट्रैक्टर में जर्मन इंजीनियरिंग के साथ रियल-टाइम किनेमेटिक्स (RTK) डिवाइस का उपयोग किया जाता है। डिवाइस काे खेत में एक तरफ रखा जाता है और जीपीएस के जरिये ट्रैक्टर से कनेक्ट किया जाता है। इस तकनीक में लागत कम होने के कारण दुनिया भर के किसान अब आरटीके तकनीक को अपनाने रूचि दिखा रहे हैं।  

जीपीएस तकनीक क्या है

जीपीएस (GPS) का अर्थ है ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम जो एक खास इलेक्ट्रिकल कंट्रोल सिस्टम है। इस तकनीक का उपयोग हम किसी स्थान और समय को जानने के लिए कर सकते हैं। जीपीएस तकनीक सेटेलाइटस, जियोस्टेशनरी ट्रांसफर कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट (भूगर्भीय स्थानांतरण संचार उपकरणों) और रिसीव करने वाले उपकरणों के एक कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करके काम करती है। इस तकनीक के पीछे काम करने के लिए सेटेलाइटस पर लोकलाइजेशन और टाइमिंग सिग्नल बार मैगनेट का इस्तेमाल किया जाता है। आजकल जीपीएस टेक्नोलॉजी का बहुत से कामों में इस्तेमाल होने लगा है जिसमें स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, फ्लाइंग क्राफ्ट, सेलिंग शिप और शिपिंग कंपनियों के लिए नेविगेशन सिस्टम आदि में इस्तेमाल किया जा रहा है। आज जीपीएस का उपयोग रसद, परिवहन सहित बड़े प्रबंधन जैसे उद्योगों में वाहनों को ट्रैक करने  लिए किया जाता है।

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