प्रकाशित - 08 Aug 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बकरी पालन भारत में बड़े स्तर पर किया जाता है। भारत में खेती के बाद किसानों द्वारा सबसे ज्यादा पशुपालन ही किया जाता है। जिसमें गाय, भैंस और बकरी का पालन प्रमुखता से किया जाता है। बकरी पालन से किसानों को कई फायदे मिलते हैं। जैसे दूध का उत्पादन और मांस का उत्पादन। अगर ज्यादा संख्या में बकरियों को पाला जाए तो बकरियों से खाद का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर प्राप्त होता है। यही वजह है कि बकरी को गरीबों की गाय भी कहा जाता है। बकरी पालन में सबसे ज्यादा जरूरी है अच्छी नस्ल का होना। अगर बकरी अच्छी नस्ल की हो तो काफी अच्छी कमाई करके दे सकती है। ऐसी ही एक नस्ल है ब्लैक बंगाल बकरी। इस बकरी को पालकर बिहार की एक महिला किसान ने जबरदस्त मुनाफा कमाया है। जिसकी कहानी हम आगे बताने वाले हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम ब्लैक बंगाल बकरी के बारे में, बकरी की खासियत, बकरी से होने वाली कमाई, दूध का उत्पादन आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
ब्लैक बंगाल बकरी आकार में छोटी और देश के पूर्वी इलाकों में पाई जाने वाली बकरी की एक खास नस्ल है। इस नस्ल की बकरी के पैर छोटे और मूंह गोल मटोल होते हैं। इसकी नाक की रेखा सीधी होती है और नीचे दबी सी होती है। इस बकरी की खासियत है कि यह किसी भी जलवायु में रह लेती है। इसे ज्यादा देखदेख की जरूरत नहीं होती।
ब्लैक बंगाल बकरी से मांस के उत्पादन की बात करें तो यह 18 किलोग्राम से 20 किलोग्राम तक हो सकता है। एक व्यस्क नर का वजन इसी अनुपात में होता है, जबकि मादा के वजन की बात करें तो यह करीब 15 से 18 किलोग्राम होता है। बकरी का यह नस्ल 8 से 10 महीने में व्यस्क हो जाती है।
ब्लैक बंगाल बकरी से दूध उत्पादन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। एक मादा बकरी 3 से 4 महीने तक दूध देने की क्षमता रखती है। प्रति दिन आधा लीटर तक दूध का उत्पादन किया जा सकता है।
ब्लैक बंगाल बकरी 8 से 10 माह की उम्र में व्यस्क हो जाती है। लेकिन 12 महीने के बाद गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है। 12 माह की उम्र में 18 से 20 दिनों का ऋतु चक्र होता है, जिसमें बकरी का गर्भधारण कराया जा सकता है।
आज से 1 साल पहले बिहार की एक प्रगतिशील महिला किसान प्रमिला दूसरे के खेतों में मजदूरी करती थी। या खाली ही बैठी रहती थी। लेकिन आज प्रमिला को लोग पशु सखी के नाम से जानने और पहचानने लगे हैं। स्वयं सहायता समूह की मदद से प्रमिला ने आज से 1 साल पहले 22 हजार रुपए का ऋण लिया और बकरी पालन करना शुरू किया। ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी का पालन करते हुए प्रमिला, इस व्यापार से जब से अच्छा मुनाफा कमाने लगी तो काफी महिलाएं इनसे प्रभावित हुई और अभी प्रमिला बताती हैं कि, हमारे पंचायत के सभी 20 समूह की 400 दीदियों ने बकरी पालन करना शुरु कर दिया है। बिहार के अलावा उड़ीसा में भी बकरी की इस नस्ल को पालने का प्रचलन बढ़ा है। महिला किसान ने बताया कि बकरी पालन से यह फायदा है कि जब कभी भी पैसे की जरूरत होगी, हम इसे बेच सकते हैं और अपनी जरूरत को पूरा कर सकते हैं। साथ ही 1 साल में यह बकरी 2 से 3 बच्चे दे देती है जिससे अलग फायदा है।
ब्लैक बंगाल बकरी से कमाई की बात करें तो मुख्य कमाई इसके मांस से ही होती है। चूंकि साल में एक बकरी तीन बच्चे देती और एक 1 पाठा ( नर) को आप 3500 रुपए में भी बेचते हैं तो एक बकरी से 10,500 रुपए की सालाना कमाई की जा सकती है। अगर एक महिला 10 बकरी का पालन करती है तो सालाना 1 लाख 5 हजार रुपए की कमाई की जा सकती है। ग्रामीण इलाकों में पशुपालन करके इतनी कमाई कर पाना बड़ी बात है। अगर लागत की राशि 20 हजार रुपए कम कर दी जाए तो महिला किसान की शुद्ध कमाई प्रति वर्ष 84 से 85 हजार रुपए होगी। यानी इस बकरी को पालकर महीने के 6 से 7 हजार रूपये की कमाई आसानी से की जा सकती है।
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