प्रकाशित - 25 Jun 2024
आज कई किसान खेती को लाभकारी व्यवसाय के रूप में करने लगे हैं, इससे उन्हें लाभ भी हो रहा है। ऐसे कई किसान हैं जिन्होंने परंपरागत खेती से हटकर बागवानी खेती की ओर ध्यान दिया और इससे आज काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इन्हीं किसानों में एक किसान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अमरेली जिले के वाडिया कुकावाव तहसील के देवलकी गांव के किसान संजय भाई डोबरिया है जो बागवानी फसलों की खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। आज वे बागवानी फसलों से अच्छी कमाई के लिए क्षेत्र में जाने जाते हैं। उनसे प्ररेणा लेकर कई किसान पारंपरिक खेती के साथ ही बागवानी फसलों की खेती भी करने लगे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसान संजय डोबरिया ने आठ साल पहले बागवानी फसलों की खेती करने का निर्णय लिया था और इसकी शुरुआत उन्होंने खजूर की खेती (Date palm cultivation) से की। आज वे खजूर की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। उनके बागान में एक हैक्टेयर में खजूर के 120 पेड़ लगे हुए हैं। इजरायली कच्ची खजूर की किस्म के एक पेड़ से उन्हें 100 से 150 किलोग्राम तक पैदावार मिलती है जिसकी बाजार में कीमत करीब 18 लाख रुपए है। यदि खेती और मजदूरी का खर्च निकाल दिया जाए तो उन्हें 10 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।
किसान संजय भाई के मुताबिक पहले वे भी पारंपरिक खेती किया करते थे। उसी दौरान वे कच्छ घूमने गए थे। वहां उन्होंने खजूर की खेती (Date palm cultivation) को देखा और वहीं से ही उन्होंने खजूर की खेती करने का मन बना लिया। कच्छ के किसानों से प्रेरणा लेकर उन्होंने अमरेली जिले में कच्चे खजूर की खेती करने की शुरुआत की। शुरुआत में उन्होंने खजूर के 120 पौधे लगाए। उन्होंने बताया कि उन्हें खजूर की खेती करने के लिए सरकार की ओर से 16,000 रुपए की सब्सिडी भी मिली थी। उनका कहना है कि यदि किसान बागवानी फसलों की खेती की ओर ध्यान दें तो इससे काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
पूरे देश में गुजरात के कच्छ जिले में सबसे अधिक खजूर की खेती की जाती है। यह जिला खजूर की खेती के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा अमरेली में अभी 50 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खजूर की खेती की जा रही है। राज्य सरकार और कृषि विभाग की ओर से किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें सब्सिडी भी दी जा रही है। सरकारी अनुदान मिलने से उन्हें प्रति हैक्टेयर दो लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।
खजूर की खेती (Date palm cultivation) के लिए अच्छे जल निकास वाली, गहरी रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए। इस बात का विेशेष ध्यान रखें कि जिस मिट्टी की दो मीटर नीचे तक की सतह सख्त हो उस मिट्टी में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। हालांकि क्षारीय और लवणीय मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है लेकिन इसकी कम पैदावार मिलती है।
खजूर की बिजाई साल में दो बार की जा सकती है। इसमें फरवरी से मार्च और अगस्त से सितंबर में इसकी बिजाई की जाती है। सबसे पहले खेत की दो से तीन जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है। इसके बाद पाटा फेरकर मिट्टी को समतल कर लिया जाता है। गर्मियों में 6 से 8 मीटर की दूरी पर 1 मीटर X 1 मीटर X 1 मीटर आकार के गड्डे खोदे जाते हैं। इन गड्ढ़ों को दो सप्ताह के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। उसके बाद इन गड्ढ़ों में अच्छी तरह से गली-सड़ी हुई गाय के गोबर की खाद और उपजाऊ मिट्टी मिलाकर भरी जाती है। इसी के साथ इन गड्ढ़ों में क्लोरपाइरीफॉस 50 मि.ली. या फोरेट 10 जी, 200 ग्राम और कप्तान 20-25 ग्राम प्रत्येक गड्ढे़ में डाला जाता है। अब इन गड्ढ़ों में प्रमाणिक नर्सरी से इसके पौधे लाकर लगाएं। पौधों की रोपाई के लिए अगस्त का महीना अच्छा माना जाता है।
किसान एक एकड़ में खजूर के 70 पौधे लगा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक खजूर के 20 पेड़ से किसान प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं। खजूर के एक पेड़ से किसान एक साल में 50 हजार की कमाई कर सकते हैं। इस तरह एक एकड़ में खजूर की खेती से किसान लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। बता दें कि खजूर को पौधे से पेड़ बनने और इसमें फल आने में तीन से चार साल लग जाते हैं। वहीं कुछ किस्मों में 6 साल बाद फल आने शुरू होते हैं। ऐसे में किसानों को खजूर की खेती करते समय धैर्य रखना होता है।
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