कोरोना अलर्ट : कोरोना का नया वैरिएंट सक्रिय, पहले से अधिक खतरनाक

Share Product प्रकाशित - 30 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

कोरोना अलर्ट : कोरोना का नया वैरिएंट सक्रिय, पहले से अधिक खतरनाक

जानें, कौनसा है कोराेना का यह नया वैरिएंट और इससे कितना हो सकता है खतरा

एक बार फिर से कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है। इस बार इसका एक नया वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) सक्रिय हुआ है। कोरोना का यह सब वैरिएंट, ओमिक्रॉन सब वैरिएंट BA.2.86 का वंशज है, जिसे पिरोला भी कहा जाता है। यह नया वैरिएंट अब तक 41 देशों में फैल चुका है। इस वैरिएंट के सबसे अधिक मामले फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर व स्वीडन में मिले हैं। अब यह वैरिएंट हमारे देश भारत में भी अपने पैर पसार रहा है। इस वैरिएंट से अब तक देशभर में 110 केस मिल चुके हैं। सबसे अधिक मामले गुजरात मिले हैं। इसके अलावा कई राज्यों में भी कोरोना के नए वैरिएंट के केस मिल रहे हैं। अब तक इस नए वैरिएंट से संक्रमित तीन लोगों की मौत हो चुकी है। यदि प्रतिदिन इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या पर नजर डाले तो देशभर में कोरोना के रोजाना 400 से 600 मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में प्रशासन और आमजन की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में एक बार फिर डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन का पालन करने की सलाह दी जा रही है।

क्यों किया जा रहा है कोरोना के इस नए वैरिएंट के प्रति अलर्ट

कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) की पहचान सबसे पहले लक्जमबर्ग देश में की गई और यहीं से यह वैरिएंट अन्य देशों में फैलना शुरू हो गया। यह वैरिएंट पिरोला वैरिएंट (बीए.2.86) से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इस वैरिएंट को मनुष्य के शरीर के लिए इसलिए खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इसका प्रभाव सीधा इम्यूनिटी पर पड़ता है। यह वैरिएंट हमारे इम्यूनो सिस्टम पर अटैक करता है जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है जिससे हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हम बीमार पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं संक्रमण बढ़ने पर मौत भी हो सकती है। यहीं वजह है कि इस नए वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।

कितना खतरनाक है कोरोना का यह नया वैरिएंट 

फिलहाल इस वैरिएंट  का ज्यादा खतरा नहीं बताया जा रहा है क्योंकि यहां अधिकांश लोगों का वेक्सिनाइजेशन हो चुका है, ऐसे में इसका असर यहां कम ही होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 48 घंटों के दौरान 617 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसमें से 603 मरीज ठीक हो गए हैं और तीन की मौत हुई है। वहीं सोमवार को 638 पॉजिटिव मिले और मंगलवार को 412 नए मरीज इस वैरिएंट के सामने आए हैं। इस तरह प्रतिदिन मरीजों की संख्या में इजाफा होना यह संकेत देता है कि यह वैरिएंट भी नुकसान पहुंचा सकता है। हमें इससे सर्तक रहने की जरूरत है। यह वैरिएंट कितना खतरनाक है इसको लेकर अभी कोई डेटा हमारे पास नहीं है।

किस राज्य में कितने मिले जेएन.1 (JN.1) वैरिएंट से संक्रमित मरीज

गुजरात में सबसे अधिक कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) से संक्रमित 36 मरीज मिले हैं। इसके बाद कर्नाटक में 34, गोवा में 14, महाराष्ट्र में 9, केरल में 6, राजस्थान में 4, तमिलनाडु में 4 व तेलंगाना में 2 व दिल्ली में एक मरीज इस वैरिएंट से संक्रमित मिले हैं।

क्या है कोरोना के इस नए वैरिएंट से संक्रमित व्यक्ति के लक्षण

कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) से संक्रमित से संक्रमित व्यक्तियों के जो मामले सामने आ रहे हैं, उनमें कई लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इसमें से जो लक्षण जो आम तौर पर देखे जा रहे हैं, वे इस प्रकार से हैं।

  • बार-बार तेज बुखार चढ़ना और बैचेनी होना
  • लगातार खांसी आना और इसका लंबे समय तक बने रहना
  • बिना कोई काम किए भी जल्दी थकान का अनुभव होना
  • नाक का बंद होना या इसका जाम होना
  • नाक का लगातार बहना
  • गले में खराश या दर्द का होना
  • माइग्रेन जैसा तेज सिरदर्द होना

यदि आपको उपरोक्त लक्षण दिखाई दे रहे हैं या आपको अधिक समय से यह समस्याएं बनी हुई हैं तो इसे नजरअंदाज नहीं करें और बिना देरी किए जांच कराएं और एहतियात बरतें।

कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) से कैसे करें बचाव

कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) से बचाव के लिए आपको डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की हुई गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना से बचाव के लिए जो गाइडलाइन दी गई है, वे इस प्रकार से है

  • दूसरों से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें।
  • भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने से बचें।
  • घर से बाहर निकलते समय मास्क पहने जिससे नाक और मुंह को ठीक से ढक जाएं।
  • अपने हाथों को बार-बार अल्कोहल आधारित हैंड रब या साबुन और पानी से साफ करें।
  • खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को मुड़ी हुई कोहनी या टिश्यू से ढ़क लें।
  • इस्तेमाल किए गए टिश्यू इधर-उधर न फेंके, इसका सही तरीके से निपटान करें और हाथों को साफ कर लें।
  • यदि आप में लक्षण विकसित होते हैं या आप में परीक्षण सकारात्मक आता है, तो ठीक होने तक खुद को अलग-थगल कर लें।

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