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गर्मी के कहर से सूखने लगी दिमाग की नस, किसान भाई अपना ध्यान रखें

प्रकाशित - 06 Apr 2024

गर्मी जनित बीमारियों से बचाव के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइन

अप्रैल महीने की शुरुआत के साथ ही तेज गर्मी का कहर शुरू हो गया है और तरह-तरह की मौसमी बीमारियां फैल रही है। इस बीच गर्मी के कहर से दिमाग की नस सूखने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में रबी फसलों की कटाई और कटी फसल को मंडियों में पहुंचाने के काम में जुटे किसानों को अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अप्रैल से जून तक गर्म हवा (हीट वेव) चलने की भविष्यवाणी की है। आईएमडी के अनुसार अल-नीनो के प्रभाव के चलते इस साल हीट वेव और थोड़ा ज्यादा तापमान रहने की संभावना है। पिछले सालों की तुलना में इस साल ज्यादा तापमान ऊपर जा सकता है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने किसानों, मजूदरों व आम आदमी के बचाव के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से जानें कि इस बार कैसा रहेगा गर्मी का मौसम और गर्मी जनित बीमारियों से बचाव के तरीके कौन-कौन से हैं।

सबसे पहले जानिए क्या है गर्म हवाओं से नस सूखने का मामला

कई राज्यों में तापमान 40 डिग्री से अधिक पहुंच गया है। ऐसे में डिहाइड्रेशन की समस्या के साथ-साथ दिमाग की नस सूखने के मामलों में अचानक तेजी आई है। ब्रेन स्ट्रोक और मिर्गी के दौरे से पीड़ित मरीज भी अस्पतालों में अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। चिकित्सकीय जांच में सामने आया है कि तेज गर्मी व गर्म हवाओं के कारण दिमाग की नस सूख रही है। सबसे ज्यादा पीड़ित 30 से 40 वर्ग के युवा हैं जो मौसम की परवाह किए बिना ज्यादा काम करते हैं। इस बीमारी में गर्मी के कारण दिमाग की नस सूखने लगती है और ब्लड का सर्कुलेशन प्रभावित होता है। पीड़ित व्यक्ति को झटके आते हैं, आंखों की रोशनी में कमजोरी आती है और मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। वाराणसी के बीएचयू हॉस्पिटल में प्रतिदिन 40 से 50 मरीज इन लक्षणों के साथ पहुंच रहे हैं।

हीट वेव से बचाव के लिए सरकार की गाइडलाइन

इस बार गर्मी के मौसम में हीट वेव (Heat Waves) चलने की भविष्यवाणी के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्य योजना तैयार करने के लिए बैठक बुलाई। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया सहित आईएमडी, स्वास्थ्य विभाग और आपदा प्रबंधन के अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन भी जारी की। साथ ही केंद्रीय मत्री ने राज्य सरकारों से गर्मी से बचने के लिए गाइडलाइन जारी करने का आग्रह किया।

किसान को कैसे रखना है अपना ध्यान

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि थोड़ी सी लापरवाही के कारण हीट वेव से हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हीट स्ट्रोक गर्मी से होने वाली सबसे अधिक गंभीर बीमारी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस साल गर्मियों में तापमान विगत वर्षों से अधिक रहेगा। इसे देखते हुए लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों को अपना ख्याल रखने की जरूरत है। 
उन्होंने कहा कि हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखनी चाहिए और समय-समय पर पानी पीते रहना चाहिए। गर्मी महसूस होने पर तुरंत पानी पीना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों को समय-समय पर पानी के साथ जूस भी पीने की सलाह दी है। साथ ही नींबू पानी और मौसमी फसल का सेवन करने की बात कही है।

हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए आयुष्मान आरोग्य सेंटर पर सभी सुविधाएं

सरकार से हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए आयुष्मान आरोग्य सेंटर पर सुविधाएं उपलब्ध कराई है। केंद्रीय मंत्री मांडविया के अनुसार यदि किसी को हीट स्ट्रोक आता है तो उसे सबसे पहले नजदीकी आयुष्मान आरोग्य सेंटर में ले जाना चाहिए। वहां पर उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध है। इसके अलावा राज्य सरकारों से इन सेंटर्स पर वाटर कूलर, आइस पैक तथा अन्य आधारभूत आवश्यकताओं से लैस करने को कहा गया है। सीएचसी समेत जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों में खास प्रबंध करने के लिए एडवाइजरी भी सरकार ने जारी की है।

शरीर पर हीट वेव के प्रभावों की ऐसे करें पहचान

गर्मी के मौसम में हीट वेव के प्रभाव से बीपी और न्यूरो संबंधी परेशानी बढ़ जाती है। कई बार तुरंत उपचार नहीं मिलने पर व्यक्ति की मौत भी जाती है। शरीर पर हीट वेव का असर होने पर कमजोरी महसूस होना, झटका लगना, अचानक बेहोश होना, सिरदर्द, उबकाई, पसीना आना, आंखों के सामने अंधेरा छाना या रोशनी कमजोर होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

हीट वेव से बचाव के उपाय (Measures to prevent heat wave)

  • हीट वेव से बचाव के लिए अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। बिना प्यास के भी पानी पीना चाहिए।
  • घर से बाहर निकलते समय हमेशा अपने पास पानी की बोतल रखें।
  • नींबू पानी, नारियल पानी, ओआरएस, छाछ, मट्ठा, लस्सी, ठंडाई, कच्चे आम का पानी, प्याज का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
  • मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूज, संतरा, अंगूर, अन्नास, खीरा-ककड़ी आदि का उपयोग करना चाहिए।        

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