भारत की बनाई कोवैक्सीन कोरोना के अल्फा, डेल्टा वेरियंट पर असरदार

Share Product Published - 02 Jul 2021 by Tractor Junction

भारत की बनाई कोवैक्सीन कोरोना के अल्फा, डेल्टा वेरियंट पर असरदार

जानें, कोवैक्सीन की संक्रमण रोकने की क्षमता और इससे जुड़ी और भी खास बातें

कोरोना महामारी के संकट के दौर में भारत सरकार की ओर से दो वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड को आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी। इसमें पहली वैक्सीन कोवैक्सीन भारत की स्वदेशी वैक्सीन है जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने बनाया है। इस वैक्सीन के असरकारक होने को लेकर अमेरिका की ओर से हाल ही में यह कहा गया है कि ये भारत द्वारा निर्मित कोवैक्सीन कोरोना के अल्फा व डेल्टा वेरियंट में असरदार है। मीडिया से मिली जानकारी में बताया गया है कि अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने पाया है कि कोवैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट्स से लडऩे में कारगर है। एनआईएच ने बताया कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के ब्लड सीरम के अध्ययन से यह पता चलता है कि टीके से जो एंटीबॉडीज बनती हैं, वह ब्रिटेन और भारत में सबसे पहले मिले कोरोना के बी. 1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) वेरिएंट्स पर असरदार है। 

 

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अमेरिका के एक्सपर्ट डॉक्टर कई बार कर चुके है कोवैक्सीन की तारीफ

इससे पहले अमेरिका के इंफेक्शन डिजीज एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फाउची भी कई बार कोवैक्सीन की तारीफ कर चुके हैं। इसी साल फाउची ने कहा था कि भारत में बनी कोवैक्सीन कोरोना के 617 वेरिएंट्स को खत्म करने में सक्षम है। कोवैक्सीन को डेड कोरोना वायरस से बनाया गया है जो शरीर में इस वायरस से लडऩे के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी का निर्माण करता है। कोवैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक, यह टीका पूरी तरह सुरक्षित है।


कोवैक्सीन 77.8 प्रतिशत तक असरदार

वैक्सीन में निष्क्रिय कोविड-19 वायरस हैं, जो लोगों को बिना नुकसान पहुंचाए कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक तंत्र बनाने में मदद करता है। संक्रमण के वक्त शरीर में एंटीबॉडीज बनाकर वायरस से लड़ता है। हाल ही में देश के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण के विशेषज्ञों की एक समिति ने भारत बायोटेक कंपनी के कोविड टीके-कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण (कोरोना वैक्सीन ट्रायल) के आंकड़ों  की समीक्षा की और उसे स्वीकार कर लिया है। सूत्रों यह जानकारी मीडिया को दी है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद स्थित कंपनी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, स्वदेशी रूप से विकसित टीका 25,800 परीक्षणों में 77.8 प्रतिशत प्रभावी रहा। उन्होंने कहा कि कंपनी ने सप्ताहांत में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़े सौंपे थे।


कोवैक्सीन के यह हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स

कोवैक्सीन लगने के बाद कई लोगों में इसके साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। इसी आधार पर बताया जा रहा है कि कोवैक्सीन का इंजेक्शन लगने की जगह दर्द, सूजन, लालिमा या खुजली, सिरदर्द, बीमार होने जैसा अहसास होने, शरीर में दर्द, मितली होना, उल्टी, चकत्ते (रैशेज) की शिकायत हो सकती है। इस संबंध में भारत बायोटेक कंपनी का कहना है कि कोवैक्सिन के कुछ गंभीर और अनपेक्षित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें बेहद कम होने वाले एलर्जिक रिएक्शन भी शामिल हैं। ऐसा होने पर फौरन डॉक्टर या वैक्सीनेटर से संपर्क करना चाहिए।

 

स्वदेशी कोवैक्सीन को लेकर कुछ खास बातें

  • कोवैक्सीन एक इनेक्टिवेटिट होल वायरस वैक्सीन है। ये वैक्सीन इसलिए असरदार होती हैं क्योंकि ये पूरे वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती हैं और ऐसे में अगर वायरस में बदलाव भी हो तो भी उनमें उससे लडऩे की क्षमता होती है। इस तरह की वैक्सीन में कई सारे वायरल प्रोटीन और इनएक्टिवेटेड वायरस होते हैं।
  • इनएक्टिवेटेड वैक्सीन में मृत पैथोजन (बीमार करने वाले वायरस) होते हैं। ये मृत पैथोजन शरीर में जाकर अपनी संख्या नहीं बढ़ा सकते लेकिन शरीर इनको बाहरी आक्रमण ही मानता है और इसके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी डेवलप होने लगते हैं।
  • इनएक्टिवेटेड वायरस से बीमारी का कोई खतरा नहीं होता है। इसमें जेनेटिक मटीरियल को गर्मी, रसायनों या रेडिएशन द्वारा नष्ट कर दिया जाता है ताकि वे कोशिकाओं को संक्रमित न कर सकें। ऐसे में शरीर में डेवलप हुए एंटीबॉडी में असल वायरस आने पर भी बीमारी नहीं फैलती और ये एक बहुत ही भरोसेमंद तरीका बताया गया है।
  • भारतीय मौसम के अनुरूप कोवैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर पर स्टोर किया जा सकता है और लाया-ले जाया जा सकता है। इसके लिए किसी कोल्ड चेन की जरूरत नहीं। इस तरह इसे सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी सप्लाई किया जा सकता है।


अब 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए भी टीका

बेंगलुरु बेस्ड फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई से 12 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए अपनी डीएनए वैक्सीन डीएनए वैक्सीर्न Zycov-D के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। अगर डीसीजीआई से इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो फिर देश में जारी टीकाकरण अभियान में जल्द ही यह वैक्सीन शामिल हो सकती है। बता दें कि वैक्सीन के तीनों चरणों का ट्रायल पूरा हो चुका है। कंपनी ने वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा प्रस्तुत किया है, जिसमें 28,000 से अधिक वॉलंटियरों ने भाग लिया था। रॉयटर्स की मानें तो अंतरिम डेटा में वैक्सीन सुरक्षा और प्रभावकारिता के मानकों पर खड़ी उतरी है। 


अब तक देश में कितना हुआ कोरोना टीकाकरण

भारत में कोरोना टीकाकरण का काम काफी तेजी से चल रहा है। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी टीकाकरण की गति को तेज करने में सहयोग दे रहे हैं ताकि ज्यादा-ज्यादा आबादी को टीकाकरण कर कोरोना से सुरक्षा प्रदान की जा सके। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से भारत में कोरोना वायरस रोधी टीकाकरण की संख्या 32 करोड़ के पार कर गई है। देश में 27 जून 2021 को 17, 21, 268 टीके लगाए गए, जिसके बाद अब तक की कुल संख्या 32 करोड़, 36 लाख 63 हजार 297 हो गई। इसके साथ ही दुनियाभर में भारत सबसे ज्यादा टीकाकरण करने वाला देश बन गया है। ग्लोबर वैक्सीन ट्रैकर की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ्रांस फ्रांस और भारत में टीकाकरण की गति तेज है।  बता दें कि भारत में टीकाकरण इस साल 16 जनवरी से टीकाकरण का कार्य शुरू किया गया था जबकि इससे पहले ब्रिटेन में 8 दिसंबर को, अमेरिका में 14 दिसंबर, इटली, जर्मनी और फ्रांस में 27 दिसंबर को टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। ताजा आंकड़ों  के अनुसार अभी तक देश में कोरोना रोधी वैक्सीन की 33.57 करोड़ डोज लोगेां को लगाई जा चुकी है।


भारत में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति

मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से पिछले 24 घंटे में कोरोना के 48 हजार 786 नए मामले आए हैं। इससे पहले मंगलवार को यह आंकड़ा 45 हजार 951 पर था। सिर्फ दैनिक मामले ही नहीं, बल्कि कोरोना से हर रोज हो रही मौतों का आंकड़ा भी फिर से एक हजार पार हो गया है। एक दिन में कोरोना से 1005 मरीजों की जान गई है, जबकि पिछले कुछ दिनों से यह आंकड़ा हजार से नीचे था। वहीं, अब कोरोना के इलाजरत मरीजों की संख्या भी घटकर 5 लाख 23 हजार 257 पर आ गई है। यह संख्या कुल मामलों का सिर्फ 1.72 फीसदी है। राहत की बात यह है कि एक दिन में कोरोना के 61 हजार 588 मरीज ठीक हुए हैं। लगातार 49वें दिन भी कोरोना से ठीक होने वालों की तादाद इसके नए आए केसों से ज्यादा रही है। वहीं, देश में अब कोरोना से ठीक होने वालों की दर बढक़र 96.97 फीसदी पर पहुंच गई है। साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर भी 2.64 फीसदी पर है तो वहीं दैनिक संक्रमण दर भी लगातार 24वें दिन 5 फीसदी से नीचे रही है।


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