Published - 23 Jun 2021 by Tractor Junction
कोरोना संक्रमण ने दुनिया में अपना कहर बरपाया और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत में इसकी दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हुई। इस दौरान संक्रमण की दर और मौतों के आंकड़ों ने सबको चौंका दिया। इस बीच कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए वैक्सीन एक मजबूत हथियार के रूप इस्तेमाल की गई। देश में रिकार्ड तोड़ वैक्सेनाइजेशन हुआ और परिणाम भी सुखद दिखाई दिए। कोरोना संक्रमण की दर और मौतों के आंकड़ों में आश्चर्यजनक गिरावट देखने को मिली। वहीं सरकार की ओर से लॉकडाउन और सख्ती बरती गई जिसका भी अच्छा परिणाम देखने को मिला। वर्तमान में भारत में कोरोना संक्रमण बहुत कम हो गया है जिससे एक बार ये कहा जा सकता है कि हमने कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पा लिया है। इधर सरकार की ओर से लोगों को वैक्सीन लगाने का कोरोना वैक्सीन रजिस्ट्रेशन अभियान जारी है। लेकिन वैक्सीन को लेकर अभी भी लोगों में डर बना हुआ है और वे इसे लगवाने में हिचक रहे हैं। आज हम वैक्सीन के लाभ और साइड इफेक्ट्स बारे में चर्चा करेंगे ताकि वैक्सीन को लेकर जो भ्रांतियां लोगों के मन में है वे दूर हो सके और वे वैक्सीन लगावा कर अपना जीवन सुरक्षित कर सकें।
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मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार कोरोना वायरस के चलते हो रही मौतों को रोकने में वैक्सीन खासी असरदार है। इस बात की जानकारी इंडियन काउंसिल और मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (आईसीएमआर-एनआईई) के एक एनालिसिस से मिलती है। स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन का एक डोज मौत को रोकने में 82 फीसदी कारगर है। जबकि, दोनों डोज 95 फीसदी तक मौत से बचा सकते हैं। हाल ही में आई एक स्टडी से पता चला था कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके 94 फीसदी लोगों को कोरोना संक्रमित होने पर आईसीयू में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ी, जबकि 77 फीसदी लोगों को तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं पड़ी। स्टडी में पता चला है कि दोनों डोज प्राप्त करने से अस्पताल में भर्ती, ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत और आईसीयू में दाखिले को कम कर देते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में स्टडी के लेखक डॉक्टर जेवी पीटर्स के हवाले से कहा गया है कि पहले डोज के बाद से ही सुरक्षा मिलना शुरू हो जाती है। वैक्सीन का सिंगल डोज आईसीयू में भर्ती होने से 95 फीसदी सुरक्षा देता है।
भारत में इन दो वैक्सीन, कोवैक्सीन और कोवीशील्ड वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की गई है। दोनों ही टीके लोगों को लगाए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के दिमाग में यह बता जरूर आती है कि कौनसी वैक्सीन लगवाएं? ऐसी स्थिति में हमें दोनों वैक्सीन के बारे में जानकारी होना जरूरी है ताकि तय किया जा सकता है कि कौनसी वैक्सीन लगवाना ज्यादा बेहतर होगा।
कोवैक्सीन को वैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक कंपनी ने मिलकर बनाया है। इसे स्वदेशी का टैग मिला हुआ है। इस वैक्सीन को कोविड-19 के वायरस को निष्क्रिय कर बनाया गया है। वैक्सीन में निष्क्रिय कोविड-19 वायरस हैं, जो लोगों को बिना नुकसान पहुंचाए कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक तंत्र बनाने में मदद करता है। संक्रमण के वक्त शरीर में एंटीबॉडीज बनाकर वायरस से लड़ता है। हाल ही में देश के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण के विशेषज्ञों की एक समिति ने भारत बायोटेक कंपनी के कोविड टीके-कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण (कोरोना वैक्सीन ट्रायल) के आंकड़ों की समीक्षा की और उसे स्वीकार कर लिया है। सूत्रों यह जानकारी मीडिया को दी है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद स्थित कंपनी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, स्वदेशी रूप से विकसित टीका 25,800 परीक्षणों में 77.8 प्रतिशत प्रभावी रहा। उन्होंने कहा कि कंपनी ने सप्ताहांत में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़े सौंपे थे।
कोवैक्सीन लगने के बाद कई लोगों में इसके साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। इसी आधार पर बताया जा रहा है कि कोवैक्सीन का इंजेक्शन लगने की जगह दर्द, सूजन, लालिमा या खुजली, सिरदर्द, बीमार होने जैसा अहसास होने, शरीर में दर्द, मितली होना, उल्टी, चकत्ते (रैशेज) की शिकायत हो सकती है। इस संबंध में भारत बायोटेक कंपनी का कहना है कि कोवैक्सिन के कुछ गंभीर और अनपेक्षित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें बेहद कम होने वाले एलर्जिक रिएक्शन भी शामिल हैं। ऐसा होने पर फौरन डॉक्टर या वैक्सीनेटर से संपर्क करना चाहिए।
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड नाम से बना रही है। कोविशील्ड को चिम्पांजी में पाए जाने वाले आम सर्दी के संक्रमण के एडेनोवायरस का इस्तेमाल कर बनाया गया है। कोविशिल्ड वैक्सीन शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए प्रतिरोधक तंत्र बनाने में मदद करता है। कोविशील्ड को इबोला वायरस से लडऩे वाली वैक्सीन की तरह ही बनाया गया है। कोविशील्ड को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ने 23745 से अधिक विदेशी प्रतिभागियों के डेटा की जांच की और यह 70.42 प्रतिशत तक असरदार है। भारत में आयोजित दूसरे और तीसरे ट्रायल में 1600 लोगों को टीका लगाया गया था।
कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद सामान्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। कोई एक या एक से ज्यादा लक्षण होना सामान्य बात है। ऐसे लक्षण वैक्सीन लगवाने वाले 10 में से एक शख्स में होते हैं। इंजेक्शन लगने की जगह पर हल्की सूजन, लालिमा, खुजली या चोट लगने जैसा अहसास, गांठ बनना, बुखार, आमतौर पर बीमार जैसा महसूस करना, थकान महसूस होना, ठंड लगना या बुखार जैसा लगना, सिरदर्द मितली होना या उल्टी जैसा लगना, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द जैसा अनुभव होना आदि शिकायत हो सकती हैं। जबकि कुछ लोगों में फ्लू जैसे लक्षण जैसे तेज बुखार, गले में खराश, नाक बहना, खांसी और ठंड लगने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। इसके अलावा कोवीशील्ड से कुछ और लक्षण भी हो सकते हैं। 100 लोगों में से किसी एक में कुछ असामान्य लक्षण भी देखे गए हैं। जैसे- चक्कर आना, भूख कम होना, पेट में दर्द, लिम्फ नोड बढऩा, बहुत ज्यादा पसीना आना, त्वचा में खुजली या रैशेज। बता दें कि लिम्फ नोड शरीर के विभिन्न हिस्सों, खासतौर पर गर्दन, कान के नीचे और बगल में पाई जाने वाली विशेष ग्रंथियां होती है। इनमें लिम्फ यानी व्हाइट ब्लड सेल्स भरे होते हैं। यह किसी इन्फेक्शन के दौरान हमारी रक्षा करते हैं।
आमतौर पर कोरोना वैक्सीन के सामान्य साइड इफेक्ट्स 24 से 48 घंटे तक रहते हैं। अगर किसी में यह लक्षण इससे ज्यादा समय तक बने रहें तो उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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