Published - 08 Jul 2021 by Tractor Junction
यूपी में कोरोना के सबसे खतरनाक माने जाने वाले वैरिएंट डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है। यूपी में दो लोगों में डेल्टा प्लस वैरिएंट पाया गया है जिसकी पुष्टि हो चुकी है। इसमें से एक की मौत हो चुकी हैे। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से गोरखपुर और देवरिया के दो मरीजों में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इसमें से एक की मौत हो चुकी है। इस वैरिएंट का पता जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए चला है। रिपोर्ट मिलने के बाद हडक़ंप मच गया है। इधर डेल्टा प्लस वैरिएंट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि दूसरी लहर में डेल्टा प्लस, डेल्टा और कप्पा वैरिएंट ने जमकर तबाही मचाई थी। वैसे भी सरकार कोरोना की तीसरी लहर के आने को लेकर गंभीर है और इसे रोकने के भरकस इंतजाम करने में जुटी हुई है। लोगों को कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी है। इसी बीच यूपी में मिले डेल्टा प्लस वैरिएंट ने संभावित गंभीर खतरे की ओर इशारा कर दिया है।
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हाल ही में मिले डेल्टा प्लस वैरिएंट का खुलासा तब हुआ जब 30 मरीजों नमून लिए गए और उन्हें जांच के लिए भेजा गया। जीनोम सीक्वेसिंग जांच में के बाद आई रिपोर्ट में 30 मरीजों में से 27 में डेल्टा, दो में डेल्टा प्लस और एक मरीज में कप्पा वैरिएंट का नया स्वरूप पाया गया है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबॉयोलॉजी की टीम ने इन मरीजों के नमूने अप्रैल और मई माह में लेकर जीनोम सीक्वेसिंग के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव (आईजीआईबी) दिल्ली भेजा था। बुधवार को दिल्ली के संस्थान से रिपोर्ट बीआरडी के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग को मिली।
बताया जाता है कि प्रदेश में डेल्टा प्लस और कप्पा वैरिएंट का यह पहला मामला है। अब तक प्रदेश में केवल डेल्टा के मरीजों के मिलने की पुष्टि हुई थी। इस रिपोर्ट के बाद गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक में हडक़ंप मच गया है। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने यहां जमकर तबाही मचाई थी। इस दौरान संक्रमण दर इतनी तेज थी कि अप्रैल और मई माह में औसतन 1000 के आसपास मरीज प्रतिदिन मिल रहे थे। लेकिन इन सबके बीच वायरस के नए स्वरूप की जानकारी नहीं मिल पा रही थी। जबकि पूरी दुनिया में नए वैरिएंट डेल्टा प्लस की चर्चा जोरों पर थी। अब चूंकी जांच में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि दो मरीजों में हो चुकी है जो चिंता का कारण है।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार डेल्टा प्लस के दो मरीजों में से एक मरीज की कोरोना संक्रमण के दौरान मौत हो चुकी है। मरीज देवरिया का रहने वाला था। उसकी उम्र 66 साल थी। वह 17 मई को पॉजिटिव हुआ था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गंभीर हाल में परिजनों ने मई माह में ही भर्ती कराया था। जून माह में उसकी मौत हो गई थी। मौत से पहले माइक्रोबॉयोलॉजी की टीम ने मरीज का नमूना लेकर जांच के लिए भेज दिया था।
डेल्टा प्लस की दूसरी संक्रमित एमबीबीएस की छात्रा है। उसकी उम्र 23 साल है। वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई करती है। मूलत: लखनऊ की रहने वाली है। वह 26 मई को पॉजिटिव हुई थी। पॉजिटिव होने के बाद जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए उसका नमूना अप्रैल माह में लिया गया था। उसकी तबीयत अब ठीक है।
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट बेहद संक्रामक डेल्टा वैरिएंट का ही बदला हुआ रूप है। भारत में दूसरी लहर के लिए डेल्टा ही जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट (बी.1.617.2.1) डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) में ही आए बदलाव से बना है। डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में आए एक बदलाव (म्यूटेशन) के कारण डेल्टा प्लस बना। स्पाइक प्रोटीन से ही वायरस शरीर में फैलता है। डेल्टा प्लस के स्पाइक प्रोटीन में जो बदलाव देखा गया है वही बदलाव साउथ अफ्रीका में सबसे पहले पाए गए बीटा वैरिएंट में भी देखा गया है।
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि अभी तक इससे बीमारी के और भी घातक बनने का कोई संकेत नहीं मिला। माना जा रहा है कि मौजूदा वक्त में कोरोना मरीजों पर जो मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडीज कॉकटेल का इस्तेमाल हो रहा है, डेल्टा प्लस पर उनका भी असर नहीं होता। वैज्ञानिक इसकी गंभीरता को लेकर अभी पड़ताल कर ही रहे हैं। इसे सरकार ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न माना है जो ऐसे वायरस को कहा जाता है जो फैल रहा हो और चिंता का सबब हो।
कोरोना का कप्पा वैरिएंट इसके बी.1.617 वंश के म्यूटेशन से ही पैदा हुआ है, जो डेल्टा वैरिएंट के लिए भी जिम्मेदार है। बी.1.617 के एक दर्जन से ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से दो खास हैं- ई484क्यू और एल452आर। इसलिए इस वैरिएंट को डबल म्यूटेंट भी कहा जाता है। जैसे-जैसे यह विकसित होता गया बी.1.617 की नई वंशावली तैयार होती चली गई। बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट के नाम से जाना जा रहा है, जो कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अन्य वंश बी.1.617.1 को कप्पा कहा जाता है, जिसे इस साल अप्रैल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया था। लेकिन, कप्पा का ही एक उप-वंश, बी.1.617.3 भी है, जिसे अलग से नामांकित नहीं तो किया गया है, लेकिन इसे भी ट्रैक किया जा रहा है। कप्पा भी पहली बार भारत में ही पाया गया था। भारत ने नोवल कोरोना वायरस के जीनोम का वैश्विक डेटा जुटा रही संस्था ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इंफ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) को जो करीब 30,000 सैंपल दिए हैं, उनमें से 3,500 से ज्यादा कप्पा वैरिएंट के ही हैं। जीआईएसएआईडी को सौंपे गए कप्पा सैंपल के मामले में भारत के बाद यूके, अमेरिका और कनाडा हैं।
झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर की तीव्रता और घातक होने की मुख्य वजह नोबेल कोरोना वायरस के म्यूटेंट वैरियंट डेल्टा, कप्पा और अल्फा ही थे। 21 अप्रैल से 9 जून 2021 तक राज्य के पांच जिले पूर्वी सिंहभूम, रांची, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से 364 कोरोना संक्रमितों का सैंपल होल जीनोम सीक्वेंस के लिए भुवनेश्वर के आईएलएस भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट चौकाने आई थी। 364 सैंपल में से जहां 328 में SARS-COV-2 (नॉवेल कोरोना वायरस) खतरनाक म्यूटेंट वैरियंट म्यूटेंट वैरियंट मिले। जिसमें से 204 में डेल्टा वैरियंट, 63 में कप्पा वैरियंट, 29 में अल्फा वैरियंट और 32 अन्य वैरियंट मिले थे। बता दें कि यही वो कप्पा वैरिएंट है जिसने यूके और यूएसए में जमकर कहर बरपाया था।
कोरोना के अब तक सामने आए वैरिएंट में सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा प्लस को माना जा रहा है जो डेल्टा का ही विकसित स्वरूप है। डेल्टा वैरियंट तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और रेसिस्टेंट अधिक होते हैं। जबकि कप्पा वैरियंट अन्य के मुकाबले ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और तेजी से फैलता है। वहीं अल्फा वैरियंट सामान्य नॉवेल कोरोना वायरस की अपेक्षा तेजी से स्प्रेड होता है। कुल मिलाकर ये तीनों वैरिएंट काफी खतरनाक है। इसलिए हमें सचेत रहते हुए सरकार द्वारा बताए गए कोरोना प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन करना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
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