प्रकाशित - 11 May 2024
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में संविदा पर लगे हुए कर्मचारियों को स्थाई किया जाएगा यानी अब उनकी नौकरी पक्की हो जाएगी। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल ने मनरेगा में लगे संविदाकर्मियों के हित में फैसला लिया है। उन्होंने संविदाकर्मियों नियमित करने की घोषणा की है। हालांकि इसके साथ शर्त यह रखी गई है कि इसका लाभ उन्हीं संविदाकर्मियों को दिया जाएगा जिन्होंने लगातार मनरेगा में 9 साल तक काम किया है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से राज्य के मनरेगा में लग रहे संविदाकर्मियों को राहत मिली है।
बता दें कि मनरेगा में काम करने वाले संविदाकर्मी बहुत समय से नियमित करने की मांग कर रहे थे, जिस पर मुख्यमंत्री ने उनकी बात पर ध्यान रखते हुए उन्हें स्थाई नौकरी का तोहफा दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से मनरेगा में संविदा पर लगे कर्मचारियों को स्थाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन इसका लाभ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा जिन्होंने नौ साल या इससे अधिक की अवधि तक संतोषजनक तरीके से अपनी सेवाएं दी हैं। इसमें अन्य विभाग या योजना की सेवा अवधि को शामिल नहीं किया जाएगा। 9 साल की अवधि की गणना एक अप्रैल 2024 को आधार मानकर की जाएगी।
राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से इस संबंध में राज्य के सभी जिला कार्यक्रम समन्वयक, ईजीएस और कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 11 जनवरी 2022 को जारी राजस्थान कंट्रेक्च्युअल टू सिविल पोस्ट रूल 2022 के नियम-20 के तहत ग्रामीण विकास विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में सृचित 4,966 नियमित पदों की प्रशासनिक स्वीकृति सात मार्च 2024 को जारी की गई है। इन आदेशों के मुताबिक महात्मा गांधी नरेगा योजना (Mahatma Gandhi NREGA scheme) के तहत नियुक्ति प्राप्त संविदाकर्मी जो नौ साल या इससे अधिक की अवधि में संतोषजनक कार्य पूर्ण कर चुके हैं, उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी। जिला स्तरीय कमेटी को इनकी पात्रता की जांच और दस्तावेज सत्यापन का कार्य सौंपा गया है।
मनरेगा एक ऐसी योजना है जो प्रत्येक भारतीय परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देती है। इसके तहत प्रत्येक परिवार के व्यस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए रोजगार प्रदान किया जाता है। इसमें शहरी व ग्रामीण दोनों श्रमिक एक वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। मनरेगा के तहत सड़कों, नहरों, तालाबों, कुओं का निर्माण होता है। इस योजना का उद्देश्य आवेदक के निवास के 5 किलोमीटर के दायरे में उसे रोजगार उपलब्ध कराना है और उसे न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। यदि इस योजना में आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं किया गया है तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता पाने का हकदार होता है।
मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों मिलने वाली मजदूरी हर राज्य में अलग-अलग तय की गई है। यदि बात करें राजस्थान की तो यहां मनरेगा में श्रमिकों को प्रतिदिन 266 रुपए की मजदूरी दी जाती है। वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 237 रुपए प्रतिदिन, बिहार और झारखंड में 245 रुपए प्रतिदिन और मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 243 रुपए प्रतिदिन मजदूरी दी जाती है। इन सभी राज्यों में हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है जहां मनरेगा के तहत अकुशल श्रमिकों को सबसे ज्यादा 374 रुपए मजदूरी दी जाती है। इसके बाद गोवा में मजदूरी दर 356 रुपए प्रतिदिन है। यदि बात की जाए इस योजना में सबसे कम मजदूरी की तो इस योजना के तहत सबसे कम मजदूरी अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में 234 रुपए प्रतिदिन है।
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