Published - 15 Jul 2020
आधुनिक युग में कृषि कार्य के लिए कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। खेती के कार्य के लिए अब नए-नए कृषि यंत्र उपयोग में लिए जाने लगे है जिससे किसान को कम समय में अपने खेती के कार्य करने में आसानी हुई है। लेकिन यह आधुनिक कृषि यंत्र काफी महंगे है जिन्हें गरीब किसान नहीं खरीद सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने देश में कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसके तहत हर जिले में कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जाएंगे जहां से किसान अपनी जरूरत के अनुसार कृषि यंत्र किराए पर लेकर अपने कृषि संबंधी कार्य आसानी से कर सकेंगे।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
इसमें किसान को कृषि यंत्र को खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। बस किसान को इन कस्टम हायरिंग केंद्र पर जितने समय के लिए कृषि यंत्र चाहिए उतने समय के लिए कृषि यंत्र किराये पर लेने के लिए टोल फ्री कॉल सेन्टर या मोबाइल एप पर एडवांस बुकिंग करवानी होगी। इसके बाद किसान के खेत में केंद्र की ओर से कृषि यंत्र किसान के खेत में भेज दिया जाएगा। इस दौरान जितने समय के लिए किसान ने कृषि यंत्र किराए पर लिया है उससे उस समय तक का किराया वसूला जाएगा। ये उन किसानों के लिए काफी महत्व की योजना है जो कृषि यंत्र नहीं खरीद सकते है। वहीं यह योजना बेरोजगार ग्रामीण युवकों के लिए भी फायदेमंद हैं कि वे अपना केंद्र खोलकर रोजगार शुरू कर सकते हैं।
राजस्थान में किसानों को किराये पर खेती संबंधी यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए क्रय-विक्रय सहकारी समितियों एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों (केवीएसएस-जीएसएस) के माध्यम से 100 कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने सहकारिता विभाग को 8 करोड़ रुपए हस्तान्तरित किए हैं।
राष्ट्र्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एनएमएईटी) के सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन (एसएमएएम) के अन्तर्गत अभिलक्षित गांवों में केवीएसएस-जीएसएस के माध्यम कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इन केन्द्रों पर ट्रेक्टर में आवश्यक कृषि यंत्रों की क्रय लागत का 80 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रुपए का अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन सहकारिता विभाग के माध्यम से किया जाएगा। सहकारिता विभाग ने 30 जिलों से प्राप्त प्रस्तावों में से 100 केवीएसएस-जीएसएस का चयन किया गया है। इसके लिए सहकारिता विभाग को 8 करोड़ रुपए की अनुदान राशि बतौर अग्रिम हस्तान्तरित की गई है।
इन केंद्रों के खुलने के बाद सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं होने वाले किसानों तक कृषि यंत्रों की पहुंच होगी। उन्हें अपनी आवश्यकता एवं समयानुसार खेती का कार्य करने के लिए आधुनिक एवं महंगे कृषि यंत्र उचित किराये पर उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही एक ही स्थान पर खाद, बीज तथा अन्य सामग्री सहित समस्त आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी। आदान लागत में कमी होने से किसानों की आय बढ़ेगी।
राजसमन्द में 12, प्रतापगढ़ में 7, जयपुर में 6, श्री गंगानगर, बांसवाड़ा एवं बीकानेर में 5-5, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़़, चूरू एवं दौसा में 4-4, कोटा, उदयपुर, भरतपुर, झालावाड़, बूंदी, चित्तौडग़ढ़ एवं अलवर में 3-3 केन्द्र खोले जाएंगे। इसी प्रकार सीकर, नागौर, बाड़मेर, अजमेर, डूंगरपुर, झुंझुनूं, जोधपुर, पाली, जैसलमेर एवं टोंक में 2-2 तथा धौलपुर, सवाई माधोपुर एवं करौली में एक-एक कस्टम हायरिंग केन्द्र खुलेंगे। जयपुर जिले में बनेठी, कलवाड़ा, सरना चौड़, चिमनपुरा, कुजोता एवं मुरलीपुरा जीएसएस पर कस्टम हायरिंग केन्द्र खोले जाएंगे।
आप भी अपना स्वयं का कस्टम हायरिंग केंद्र खोल सकते हैं। इसके लिए आपको सरकार से अनुदान मिलेगा। इसके लिए आपको आवेदन करना होगा और यह बताना होगा कि आप कहां किस जिले में कहां केंद्र खोलना चाहते है और वहां पहले से तो काई निजी हायरिंग केंद्र तो प्रस्तावित नहीं है। यदि पहले से वहां निर्धारित कस्टम हायरिंग केंद्र है तो आपको अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि नहीं है तो आपको उस क्षेत्र में केंद्र खोलने की अनुमति दे दी जाएगी। इसका चयन लाटरी के द्वारा किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत ‘कस्टम हायरिंग सेंटर‘ खोलने के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक मदद की जाएगी इसके तहत यदि किसान आवेदन करता है तो उसे नियमानुसार कुल लागत का 40 प्रतिशत अनुदान विभाग की ओर से दिया जायेगा। इसी प्रकार यदि किसान समूह में आवेदन करते हैं तो उन्हें नियमानुसार कुल लागत का 80 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान है। अनुदान 10 लाख से एक करोड़ रुपए तक दिया जाएगा।
सभी श्रेणी के किसानों को लाभान्वित किया जाएगा अनुसूचित जाति ,जनजाति, महिलाओ, बी. पी. एल धारको, लागू एवं माध्यम कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी ‘‘पहले आओ पहले पाओ‘ के अनुसार पात्र किसानों को अनुदान राशि दी जाएगी।
एक किसान को विभाग की किसी भी योजना में एक प्रकार की कृषि यंत्र जैसे सीड फर्टिलाइजर ड्रिल, प्लाऊ, थ्रेसर अदि पर तीन वर्ष की अवधि में केवल एक बार ही अनुदान देय होगा। एक किसान को एक वित्तीय वर्ष में समस्त योजनाओं में अलग प्रकार की अधिकतम 3 कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा सकेगा।
किसानों को अनुदान प्राप्त करने के लिए अपने क्षेत्र के ई-मित्र कियोस्क पर निर्धारित लागू शुल्क देकर आवेदन करना होगा। सभी श्रेणी के किसान कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आवेदन पत्र पर कृषक की स्व: प्रमाणित फोटो, स्व: हस्ताक्षरित बिल की प्रति, भामाशाह कार्ड, आधार कार्ड की प्रति, अनुदान क्लेम विभाग के स्थानीय अधिकारियों के द्वारा प्रमाणित, बचत खाते की पास बुक की फोटो प्रति तथा अन्य आवश्यक दस्तावेजों की सेकंड प्रतियां लगाया जाना अनिवार्य है।
उप निर्देशक, कृषि जिला परिषद कार्यालय द्वारा प्राप्त आवेदनों को रजिस्टर में इंद्राज कर भौतिक सत्यापन उपरांत कृषकों को बजट की उपलबध्ता की अनुरूप वरियता की क्रम में नियमानुसार अनुदान से लाभान्वित किया जाता है।
यंत्र क्रय करने की उपरांत यथा शीघ्र अनुदान हेतु आवेदन करना होगा तथापि कृषक संबंधित वित्तीय वर्ष में अनुदान हेतु पात्र माना जाएगा। कृषकों की अनुदान क्लेम का भुगतान उनके बैंक खाते में ऑनलाइन ही देय होगा। अन्य जिले के पंजीकृत स्त्रोत से कृषकों द्वारा सीधी खरीद के क्लेम का भुकतान उपरोक्त प्रक्रिया के अनुरूप ही किया जाएगा। आपूर्ति स्त्रोत अधिकृत पंजीकृत क्रय-विक्रय सहकारी समिति ग्राम सेवा सहकारी समिति अथवा राज्य के कैसे भी जिले में पंजीकृत निर्माता विक्रता से कृषि यंत्र करने पर ही अनुदान देय होता है।
यदि किसान द्वारा यंत्रों का क्रय अन्य जिलों के पंजीकृत स्रोत से किया गया है, तो कृषक के द्वारा उस जिले के पंजीकृत आपूर्ति स्रोत का प्रमाण अनुदान क्लेम के साथ प्रस्तुत करना होगा।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।
Social Share ✖