यूरिया सब्सिडी योजना को मिली मंजूरी, किसानों को कम दाम पर मिलेगा यूरिया जाने पूरी जानकारी

Share Product प्रकाशित - 04 Jul 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

यूरिया सब्सिडी योजना को मिली मंजूरी, किसानों को कम दाम पर मिलेगा यूरिया जाने पूरी जानकारी

जानें, यूरिया सहित अन्य उर्वरकों पर कितनी मिलेगी सब्सिडी और क्या रहेगा रेट

खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इसे देखते हुए सरकार ने किसानों के हित में बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला लिया है। किसानों को यूरिया पर सब्सिडी का लाभ प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से 3 लाख करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इससे किसानों को खेती के लिए यूरिया सस्ती दर पर मिलता रहेगा।

हाल ही में केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने किसानों के करों यानि टैक्स और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 242 रुपए प्रति 45 किलोग्राम बैग की समान कीमत पर यूरिया की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है। बता दें कि सरकार तीन वर्षों क्रमश: 2022-23 से 2024-25 के लिए यूरिया सब्सिडी के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह यूरिया सब्सिडी 2023-24 के खरीफ सीजन (Kharif Season) के लिए हाल ही में स्वीकृत 38,000 करोड़ रुपए की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के अलावा है।

किसानों को यूरिया की खरीद के लिए नहीं करना होगा अतिरिक्त खर्च

यूरिया पर सब्सिडी की मंजूरी मिलने से किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं खर्च करना होगा। इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में सहायता मिलेगी। वर्तमान समय में यूरिया की एमआरपी 242 रुपए प्रति 45 किलोग्राम यूरिया बैग है। इसमें नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि इसी यूरिया के बैग की कीमत बिना सब्सिडी के 2200 रुपए है। ऐसे में सरकार ने किसानों के लिए सब्सिडी मंजूर कर उन्हें इस साल भी सस्ता यूरिया उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इससे देश के करोड़ों किसानों को लाभ होगा।

वैश्विक स्तर पर कई गुना बढ़ गई उर्वरकों की कीमत

बता दें कि यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के जरिये वित्त पोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना (Urea Subsidy Scheme) के जारी रहने से आत्मनिर्भरता के स्तर तक पहुंचने के लिए यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा। लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण, पिछले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर उर्वरक की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं। लेकिन भारत सरकार की ओर से उर्वरक सब्सिडी को बढ़ाकर यहां के किसानों को उर्वरक की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी से बचाया है। यदि ऐसा नहीं होता तो किसानों को इस यूरिया की 45 किलो की एक बोरी खरीदने के लिए 2200 रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते जो किसानों के लिए काफी महंगा साबित होता। ऐसे में सरकार ने किसानों के हित में सब्सिडी जारी करने का फैसला किया है।  

 क्या है बिना सब्सिडी के यूरिया और अन्य उर्वरकों का ताजा रेट

यदि सरकार यूरिया व अन्य उर्वरकों पर सब्सिडी नहीं देती है तो किसानों को प्रति बोरी यूरिया व अन्य उर्वरकों जो दाम चुकाना पड़ता, वे इस प्रकार से हैं

खाद/उर्वरक का नाम प्रति बोरी मात्रा  प्रति बोरी रेट
यूरिया (Urea) 45 किलोग्राम 2450 रुपए
डीएपी (DAP) 50 किलोग्राम 4073 रुपए
एनपीके (NPK) 50 किलोग्राम 3291 रुपए
एमओपी (MOP) 50 किलोग्राम 2654 रुपए

यूरिया व अन्य उर्वरक पर सब्सिडी के बाद अब क्या है रेट

यूरिया व उन्य उर्वरकों पर सरकारी सब्सिडी के बाद कर सहित जो रेट हैं, इस प्रकार से हैं-

खाद/उर्वरक का नाम प्रति बोरी मात्रा  प्रति बोरी रेट
यूरिया (Urea) 45 किलोग्राम 266.50 रुपए
डीएपी (DAP) 50 किलोग्राम 1350 रुपए
एनपीके (NPK) 50 किलोग्राम 1470 रुपए
एमओपी (MOP) 50 किलोग्राम 1700 रुपए

उपरोक्त दोनों लिस्टों को देखकर आप आसानी से समझ सकते हैं, कि सरकार प्रति वर्ष कितना पैसा सिर्फ किसानों के लिए यूरिया और अन्य उर्वरकों की सब्सिडी पर खर्च करती है।  

सब्सिडी का खर्चा बचाने के लिए सरकार दे रही हैं जैविक खेती पर जोर

सब्सिडी का खर्चा बचाने के लिए सरकार जैविक खाद (Organic Fertilizer) या प्राकृतिक खेती पर जोर दे रही है। इसके लिए किसानों को सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि जितना करोड़ों रुपया यूरिया और अन्य उर्वरकों पर प्रति वर्ष खर्च किया जाता है। यदि उसे जैविक खेती पर खर्च किया जाए तो इससे उर्वरकों पर सब्सिडी का खर्चा तो बचेगा ही साथ ही लोगों को कैमिकल मुक्त प्राकृतिक उत्पाद खाने को मिल सकेंगे, जिससे किसान, सरकार और उपभोक्ता तीनों का लाभ होगा। यही कारण है कि सरकार प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। 

देश में होगी सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत

देश में सल्फर कोटेड यूरिया (Sulfur Coated Urea) की शुरुआत की जाएगी जिसे गोल्ड यूरिया (Gold Urea) का नाम दिया गया है। इस सल्फर यूरिया की खास बात यह है कि यह वर्तमान में उपयोग होने वाले नीम कोटेड यूरिया (Neem Coated Urea) से अधिक किफायती और बेहतर होगी। यह मिट्‌टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। यह किसानों की इनपुट लागत में भी कमी करेगा जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।

देश में चालू किए जाएंगे 8 नए नैनो यूरिया संयंत्र 

सरकार की योजना के मुताबिक 2025-26 तक, 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया संयंत्र चालू किए जाएंगे। नैनो उर्वरक की खास बात यह है कि यह पोषक तत्वों को नियंत्रित तरीके से रिलीज करता है, यह पोषक तत्वों के उपयोगिता को बढ़ता है, इसके उपयोग से किसानों की फसल लागत में कमी आती है, वहीं इसके उपयोग से फसल की उपज भी बढ़ोतरी होती है। इस तरह नैनो यूरिया फसलों के लिए काफी फायदेमंद बताया जा रहा है।

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