प्रकाशित - 02 May 2023
भारत में ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती करते हैं। पारंपरिक खेती जैसे अनाज, तिलहन, दलहन आदि फसलों की खेती ही ज्यादातर किसानों की आमदनी का जरिया है। लेकिन सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार नई-नई कोशिशें करती है। किसानों को कृषि से जुड़े नए और डिमांडिंग फील्ड के लिए प्रोत्साहन देती है। देश भर में मछली पालन और इससे जुड़े व्यापारों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकारें सभी किसानों को प्रोत्साहन देती आ रही है। मछलीपालन व्यवसाय में रुचि रखने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर आ रही है कि सरकार मछलीपालन (fish farming) के लिए 70 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान की है। मछलीपालन एक ऐसा बिजनेस है जिससे किसान लाखों रुपए हर महीने कमा सकते हैं। जिसका बड़ा कारण है कि मछलीपालन से कृषि के सिंचाई कार्यों के लिए आसानी से जल की उपलब्धता हो पाती है। किसान न सिर्फ बारिश का जल संचयन कर पाते हैं बल्कि मछलीपालन से मोटा मुनाफा तैयार कर पाते हैं। मछलीपालन के साथ किसान जलीय पौधों की खेती, बत्तखपालन आदि कार्यों को भी आसानी से कर सकते हैं। इस तरह अपनी आमदनी को लाखों में कर सकते हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में सरकार की ओर से दी जाने वाली मछली पालन पर सब्सिडी का लाभ कैसे मिलेगा, योजना की पात्रता, आवश्यक दस्तावेज और आवेदन प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की लागत पर किसानों को सब्सिडी दिए जाएगी। ये अनुदान किसानों को प्रति हेक्टेयर लागत पर दिए जाएंगे। वहीं जलाशय में केज बनाने पर 3 लाख रुपए प्रति केज और जलाशय में पेन बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रति पेन 10.50 लाख रुपए की लागत पर 70% तक अनुदान दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस प्रकार किसानों को मछलीपालन के लिए प्रोत्साहन देने से आर्थिक रूप से व्यापक सहायता मिल पाएगी। योजना में दिए जाने वाले लागत की रूपरेखा इस प्रकार है।
अवयव का नाम | इकाई लागत |
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मत्स्य अंगुलिका संचयन ( हेक्टेयर में ) | 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर |
जलाशय में केज का अधिस्थापन पर | 3 लाख रुपए प्रति केज |
जलाशय में पेन का अधिस्थापन | 10.50 लाख प्रति पेन |
अगर मिलने वाले अनुदान राशि की गणना करें तो मत्स्य अंगुलिका संचयन ( हेक्टेयर में ) पर किसानों को 42 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं जलाशय में केज का अधिस्थापन पर 2 लाख 10 हजार रुपए का सीधा अनुदान किसानों को मिलेगा। वहीं जलाशय में पेन का अधिस्थापन पर कुल लागत का 70% यानी 7 लाख 35 हजार रुपए का सीधा अनुदान दिया जाएगा। 70% के अनुदान के बाद शेष बची 30% राशि का वहन किसान या तो स्वयं कर सकते हैं या फिर बैंक ऋण के माध्यम से इस राशि का वहन कर सकते हैं।
वैसे किसान जो बिहार राज्य के स्थाई निवासी हैं और राज्य में किसान के तौर पर पंजीकृत हों। इसके अलावा तालाब बनाने के लिए पर्याप्त जमीन हो, वे इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि बिहार सरकार द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत प्रदेश के हजारों किसान लाभान्वित होने वाले हैं। इसके अलावा मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं।
बिहार जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना 2023 में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है। ये दस्तावेज इस प्रकार हैं।
योजना संबंधित सभी पात्रता शर्तों को पूरा करने वाले बिहार के किसान इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। बिहार जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान मत्स्य विभाग, बिहार की ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकते हैं। मत्स्य योजनाएं हेतु आवेदन के पॉपअप पर जाएं और यदि किसान पहली बार आवेदन कर रहे हैं तो उन्हें पहले इस योजना में रजिस्ट्रेशन करना होगा। मत्स्य योजनाओं में आवेदन हेतु पंजीकरण करें पर क्लिक कर किसान अपना पंजीकरण कर सकते हैं। योजना में पंजीकरण करने के लिए इस लिंक पर जाकर किसान सीधे पंजीकरण कर पाएंगे। पंजीकरण लिंक http://misfisheries.bihar.gov.in/RegisterFisheries.aspx पर जाकर और आसानी से पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरा कर किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। योजना की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाने और योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए किसान मत्स्य विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट www.fisheries.bihar.gov.in पर जा सकते हैं।
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