मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन पर प्रशिक्षण 18 अप्रैल से होगा शुरू - जानें पूरी जानकारी

Share Product Published - 09 Apr 2022 by Tractor Junction

मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन पर प्रशिक्षण 18 अप्रैल से होगा शुरू - जानें पूरी जानकारी

चार दिवसीय प्रशिक्षण में दी जाएगी मशरूम व कुक्कुट पालन पर जानकारी

पंतनगर कृषि विश्वविद्याल की ओर से मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण 18 अप्रैल 2022 से शुरू होने जा रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से ये प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 अप्रैल से 21 अप्रैल तक चलेगा। इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत किसानों को मशरूम उत्पादन की तकनीक और कुक्कुट पालन की जानकारी दी जाएगी। उत्तराखंड स्थिति गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान किसानों के लिए अवसर प्रदान कर रहा है। यहां एक साथ मशरूम और कुक्कुट पालन दोनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जो किसान इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं उन्हें इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को रोजगार से जोडऩा है।

मशरूम और कुक्कुट पालन प्रशिक्षण के लिए पात्रता

  • विश्वविद्याल की ओर से शुरू किए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने वाले किसान की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • प्रशिक्षण के लिए चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित होने वाले मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद विश्वविद्यालय प्राथमिकता के आधार पर 30 से 35 प्रशिक्षणार्थियों का चयन प्रशक्षिण के लिए करेगा। विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रेशन के लिए मोबाइल नंबर जारी किया है। जो इस प्रकार से हैं-

मोबाइल नंबर- 8958601733, 6397754608 और 7500241451 किसान भाई इस नंबर पर संपर्क करके प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी लेकर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

विश्वविद्यालय की ओर से किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे उन्नत नस्ल के चूजे

देश में कुक्कुट पालन व्यवसाय बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में कुक्कुट पालन फार्म की स्थापना की है। इस फार्म के जरिये किसानों को उत्तम नस्ल के चूजे उपलब्ध कराएं जाएंगे। यह एक बहुउद्देशीय फार्म है जिसका मुख्य काम लोगों को कुक्कुट पालन के बारें में फ्री शैक्षिक जानकारी प्रदान करने के साथ ही शोध, प्रसार कार्यक्रमों का संचालन करना है।

मशरूम की खेती पर सरकार से कितना मिलता है अनुदान

मशरूम उत्पादन से जुड़े किसानों को सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। बिहार राज्य में सरकार की ओर से मुफ्त प्रशिक्षण के अलावा मशरूम से जुड़ी तीन योजनाओं पर अनुदान दिया जाता है। सरकार ने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिन तीन योजनाओं पर अनुदान देती है उसमें मशरूम उत्पादन इकाई, मशरूम स्पॉन इकाई तथा मशरूम कंपोस्ट उत्पादन इकाई शामिल है। इन तीनों योजनाओं की लागत 55 लाख है जिस पर किसानों को 50 फीसदी यानी 27.50 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है। अगर किसान अलग-अलग योजनाओं में लाभ लेना चाहता है तो किसान किसी भी योजना का चयन कर सकता हैं।

मशरूम से संबंधित तीनों योजनाओं में मिलने वाले अनुदान की राशि

जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है कि बिहार सरकार राज्य के किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए उपरोक्त बताई गई तीनों योजनाओं में अनुदान देती है। जो इस प्रकार से है-

  • मशरूम उत्पादन इकाई की लागत 20 लाख है। इस पर 10 लाख अनुदान है।
  • इसी प्रकार मशरूम स्पॉन इकाई की लागत 15 लाख है इस पर 7.5 लाख रुपए का अनुदान है।
  • मशरूम कंपोस्ट उत्पादन इकाई की लागत 20 लाख है इस पर 10 लाख अनुदान दिया जाता है।

कुक्कुट पालन पर सरकार की ओर से दिया जाने वाला अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के तहत हितग्राहियों कुक्कुट, बत्तख या बटेर के चूजे के लिए राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। इसमें सामान्य वर्ग के लिए लागत का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत कि सब्सिडी लाभार्थियों को दी जाती है। पशुधन विभाग की ओर से 28 दिवसीय 45 कुक्कुट / बत्तख के चूजे अथवा 80 बटेर के चूजे के लिए 3,000 रुपए की लागत तय हुई है। इस पर सामान्य वर्ग को 75 प्रतिशत यानि 2,250 रुपए और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत यानि 27,00 रुपए अनुदान दिया जाता है। 

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बारे में

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (पंतनगर विश्वविद्यालय या केवल पंतनगर) भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है। इसका उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा 17 नवंबर, 1960 को उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के नाम से किया गया था। वर्ष 1972 में इसका नाम महान स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कर दिया गया। यह विश्वविद्यालय पंतनगर नामक परिसर-कस्बे में पड़ता है जो उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले में है। यह विश्वविद्यालय भारत में हरित क्रांति का अग्रदूत माना जाता है।

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