प्रकाशित - 19 Jul 2022
सरकार की ओर से किसानों के लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं में एक कर्जमाफी योजना भी है। इस योजना के तहत किसानों के कर्ज माफ किए जाते हैं। ये योजना कई राज्यों में चलाई जा रही है। इस योजना को लेकर हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया है। इसके तहत इस योजना का लाभ देश के केवल 50 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाया है। जबकि अब भी शेष 50 प्रतिशत किसान इस योजना के लाभ से वंचित है। एसबीआई के इस खुलासे ने कर्ज माफी योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि अधिकांश किसानों को कर्ज माफी का लाभ दिया गया है।
एसबीआई के शोधकर्ताओं के अध्ययन के मुताबिक 2014 में जिन 9 राज्यों में कृषि ऋण माफी का ऐलान किया गया था, उन राज्यों में ऋण माफी चाहने वाले किसानों में से केवल आधे किसानों को ही इसका लाभ मिल पाया है। रिपोर्ट के मुताबिक कृषि ऋण माफी योजना में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं। यहां बहुत कम किसानों तक कर्जमाफी योजना का लाभ पहुंच पाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन 9 राज्यों में कर्ज माफी योजना (Debt Waiver Scheme) का खराब प्रदर्शन हुआ है उनमें तेलंगाना में (5 फीसदी), मध्यप्रदेश में 12 फीसदी, पंजाब में 24 फीसदी, झारखंड में 13 फीसदी, पंजाब में 24, उत्तर प्रदेश में 52 फीसदी और कर्नाटक में 38 फीसदी लोगों को कृषि ऋण माफी योजना का लाभ मिला है। जबकि 2018 में छत्तीसगढ़ में 100 फीसदी पात्र किसानों को कर्जमाफी का लाभ दिया गया। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां 91 प्रतिशत किसानों को कर्जमाफी का लाभ मिला है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि ऋण माफी योजना से अब भी देश के आधे किसान वंचित है। ऋण माफी योजना के तहत आंध्रप्रेदश के 42 लाख किसानों में से 92 प्रतिशत किसान ऋण माफी के पात्र थे। जबकि तेलंगाना में ये संख्या 5 प्रतिशत थी। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2022 तक इन आठ सालों के दौरान करीब 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से केवल 50 फीसदी किसानों को ही ऋण माफी का लाभ मिल पाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन किसानों को ध्यान में रखकर ये योजना चलाई गई थी। उन किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंच ही नहीं पाया है।
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि क्या वाकई आर्थिक संकट के दौर में किसानों को इस योजना से लाभ मिलता है? क्योंकि लोन माफी की पात्रता रखने वाले अधिकांश खाते मानक श्रेणी के थे। इससे यह सवाल खड़ा होता है क्या वाकई लोन माफी जरूरी थी। यहां मानक खातों से अभिप्राय यह है कि ऐसे खाते जिसमें उधारकर्ता सही समय से अपना ऋण चुका रहा होता है। जबकि ऐसे खातों को भी कृषि ऋण माफी योजना के तहत कवर किया गया। ऐसे खातों की संख्या झारखंड 100 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 96 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश 95 प्रतिशत, पंजाब 86 प्रतिशत और तेलंगाना 84 प्रतिशत थी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई के शोधकर्ताओं ने कहा है कि महाराष्ट्र के किसानों को ऋण माफी का लाभ देने के लिए 34000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी। जैसा कि आपको ऊपर बताया गया कि देश के 9 राज्यों में ऋण माफी योजना को लेकर यह योजना 2014 में लागू की गई थी। शोध में यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि 2.25 लाख करोड़ रुपए असली किसानों को मिले या नहीं।
रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ऋण माफी योजना आने वाले समय में किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके साथ ही इसका असर किसानों और कृषि के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने पर भी पड़ता है, क्योंकि इस तरह से सरकारों पर पडऩे वाला वित्तीय बोझ संस्थानों को वित्तीय रूप से कमजोर कर सकता है। बता दें कि कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से वास्तविक पात्र किसानों तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाता है। यदि सभी सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक ईमानदारी के साथ पहुंचे तो कर्जमाफी योजना की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए कृषि ऋण माफी योजना चलाई गई है। इसे कई राज्यों ने शुरू किया और इसके तहत किसानों के पुराने कर्ज माफी किए गए। इसमें किसानों के 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की कर्ज माफी का लाभ किसानों को दिया गया।
मध्यप्रदेश में जय किसान फसल ऋण माफी योजना चलाई गई है। इसके तहत प्रथम चरण में किसानों का 50 हजार रुपए का लोन माफ किया गया है। प्रथम चरण में जय किसान ऋण माफी के अंतर्गत 11 हजार किसानों का 36 हजार 80 लाख रुपए का कृषि ऋण माफ किया गया।
उत्तरप्रदेश इस योजना की शुरुआत 9 जुलाई 2017 को राज्य के किसानो को राहत पहुंचाने के लिए की गई है। इस योजना के तहत करीब 86 लाख किसानों को कर्ज की कर्ज माफी की जानी है। इस योजना में उन किसानों के कर्ज ही माफ होंगे जिन्होंने 31 मार्च 2016 से पहले ऋण लिया है।
इस योजना को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से वर्ष 2020 -21 का बजट को पेश करते हुए शुरू करने की घोषणा की थी। झारखंड किसान कर्ज माफी योजना 2021 के माध्यम से राज्य के छोटे एवं किसानों का 50000 रुपए तक का राज्य सरकर के द्वारा कर्ज माफ होना है। इस योजना के तहत जो राज्य के किसान गन्ना व फलों के साथ अन्य पारंपरिक खेती करते है उन किसानों को भी इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है।
तेलंगाना राज्य में चल रही एक ऋण माफी योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर किसानों का ऋण माफ किए गए हैं। ये योजना इस योजना के तहत 25 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया जा रहा है जो 25-25 हजार की चार किश्तों में होगा।
इस योजना को आरंभ करने की घोषणा पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने की है। इस योजना में राज्य के किसानों के 2 लाख तक के ऋण माफ किए जानें हैं। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए पंजाब सरकार ने 1200 करोड़ रुपए की राशि जारी की है। पहले राज्य सरकार की ओर से 5.63 लाख किसानों के 4610 करोड़ रुपए के कर्ज माफ किए गए थे। जिनमें से 1.34 लाख छोटे किसान और 4.29 लाख सीमांत किसान थे।
राजस्थान सरकार की ओर से कर्ज माफी योजना को 25 सितंबर 2019 को शुरू किया गया था। इसके लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा किसानों के 50 हजार रुपए तक के ऋण माफ करने की घोषणा की जा चुकी थी। वर्तमान राजस्थान सरकार की ओर से किसानों के डेढ़ लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया जाएगा। कुल मिलाकर किसानों को 2 लाख तक के ऋण माफ किए जाने हैं। अब सरकार द्वारा किसान ऋण माफी के दौरान 1800 करोड़ रुपए का खर्च वहन किया जाएगा।
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