प्रकाशित - 20 Jun 2024
केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए हित में कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है जिनका उन्हें लाभ मिल रहा है। इन योजनाओं में एक पीएम फसल बीमा योजना भी है जिसके माध्यम से किसानों को प्राकृतिक आपदा से फसल को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में खरीफ और रबी की फसलों के अलावा बागवानी व वाणिज्यिक फसलों का बीमा भी किया जाता है। मानसून की शुरुआत के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई काम शुरू हो जाएगा। इसी के साथ किसान अपनी बोई गई खरीफ फसलों का बीमा भी कराएंगे। पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के तहत अलग-अलग राज्य में अलग-अलग बीमा कंपनी फसलों का बीमा करती हैं।
यदि बात की जाए हरियाणा की तो यहां क्लस्टर दो वाले जिले जिसमें अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम आते हैं। इन जिलों में लगातार तीसरे फसल सीजन के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) का कवरेज किसानों को नहीं मिल रहा है। इसका कारण क्लस्टर 2 में योजना को लागू करने के लिए किसी भी बीमा कंपनी आगे नहीं आना है। ऐसे में इन जिलों के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ इस खरीफ सीजन में नहीं मिल पाएगा। इधर, यहां के किसान प्रशासन से पिछले साल खराब हुई कपास की फसल के मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क्लस्टर 2 के किसानों को खरीफ-2023 और रबी-2024 सीजन के दौरान भी खुद के भरोसे छोड़ दिया गया था, क्योंकि वहां फसलों का पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा नहीं किया गया था। बीमा कंपनी ने इन जिलों में योजना लागू करने से इनकार कर दिया है।
पीएम फसल बीमा योजना हरियाणा के कलस्टर एक और तीन के 15 जिलों में लागू है। इसमें क्लस्टर एक में पंचकूला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फरीदाबाद, कैथल, भिवानी और रेवाड़ी शामिल हैं। जबकि जमुनानगर, पानीपत, पलवल, रोहतक, फतेहाबाद, झज्जर, मेवात और चरखी दादरी क्लस्टर तीन में है।
हिसार में करीब दो लाख किसान कपास, धान, बाजरा और ग्वार की फसल की बुवाई करते हैं। अभी किसानों ने करीब 3.18 लाख एकड़ में कपास की बिजाई की है। मानसून के आते ही बाजरा, धान, ग्वार व अन्य फसलों की बिजाई होगी। स्थानीय किसानों का कहना है कि हालांकि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से 2016 में राज्य में पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) शुरू करने का दावा किया है, लेकिन उन्हें अभी तक इस योजना के तहत उचित बीमा कवर नहीं मिल सका है। वहीं आदमपुर के किरतान गांव के किसान अनिल शर्मा कहते हैं कि उन्होंने इस साल 8 एकड़ क्षेत्र में कपास की बुवाई की है, लेकिन इस साल भी मैं अपनी फसल के लिए बीमा कवर प्राप्त करने में असमर्थ रहा हूं। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी ने पिछले साल भी खरीफ की फसल के लिए कवर देने से इनकार कर दिया था। कंपनी ने किसानों द्वारा दिए गए प्रीमियम को वापस कर दिया था। बता दें पिछले साल कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसल को नुकसान हुआ था। किसानों का कहना है कि सरकार को पीएम फसल बीमा को इन जिलों में भी लागू करना चाहिए ताकि इन जिलों के किसानों को भी योजना का लाभ मिल सके।
हिसार के कृषि विभाग के उपनिदेशक राजबीर सिंह ने बताया कि क्लस्टर दो में योजना को लागू करने के लिए कोई भी बीमा कंपनी आगे नहीं आ रही है। ऐसे में यहां के किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसान खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों जैसे- अनाज, बाजरा और दालें और तिलहन फसलों का बीमा करा सकते हैं। इसके अलावा बागवानी और वाणिज्यिक फसलों का भी बीमा कराया जा सकता है। खरीफ सीजन की फसल के लिए किसानों को 2 प्रतिशत की दर से प्रीमियम देना होता है, जबकि वाणिज्यिक या बागवानी फसलों के लिए किसानों को 5 प्रतिशत बीमा प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
हरियाणा में खरीफ की अलग-अलग फसल के लिए अलग-अलग बीमा राशि निर्धारित की हुई है, उसी के अनुसार किसान क्लेम मिलता है। फसल के अनुसार यह बीमा राशि इस प्रकार से है-
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