प्रकाशित - 16 Jun 2024
पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त का लाभ इस बार 9.3 करोड़ से अधिक किसानों को मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून को अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में किसान सम्मेलन के दौरान किसानों के खातों में 20 हजार करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर करेंगे। इस बार तो 9.3 करोड़ किसानों के खाते में 17वीं किस्त पहुंच जाएगी लेकिन 18वीं किस्त का लाभ लेने के लिए किसानों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार राज्य सरकार एक ऐसी योजना लांच करने जा रही है, जिसमें किसान रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इन सरकारी योजनाओं में पीएम किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी दर्जनों योजनाएं है। अगर आप पीएम किसान सम्मान निधि की किस्त का लगातार लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको इस नई योजना की जानकारी होनी चाहिए। आइए, इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दरअसल, उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 1 जुलाई 2024 से प्रदेश में किसान रजिस्ट्री अभियान की शुरुआत करने जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य किसान के हर खेत को तकनीक के माध्यम से जोड़कर डेटा इकट्ठा करना है। इसके तहत गांव-गांव में कैंप लगाकर किसानों की एक यूनिक आईडी बनाई जाएगी। हर किसान के खेतों का ब्यौरा डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज किया जाएगा। इस आईडी के माध्यम से खेत का रकबा, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई के साधन सहित अन्य जरूरी जानकारियां दर्ज की जाएगी। यूपी के मुख्य सचिव ने इस संबंध में जीओ भी जारी किया है।
उत्तरप्रदेश के कृषि निदेशक डा. जितेंद्र कुमार तोमर के मीडिया में प्रकाशित बयान के अनुसार अगर कोई किसान या उसका परिवार किसान रजिस्ट्री अभियान के तहत अपना नाम दर्ज नहीं कराता है तो उसे भविष्य में पीएम किसान सम्मान निधि किस्त व अन्य योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ सकता है। तोमर के अनुसार इस अभियान में हर किसान परिवार की जानकारी दर्ज होगी जिससे उन्हें भविष्य में किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अलग से वेरिफिकेशन नहीं करवाना होगा।
उत्तरप्रदेश में किसान रजिस्ट्री अभियान में किसान की यूनिक आईडी बनाने के लिए खसरा-खतौनी में दर्ज अभिलेख के उपयोग किया जाएगा और हर खेत का ब्योरा दर्ज होगा। किसान रजिस्ट्री बनने के बाद सरकार को किसान से जुड़ी सभी जानकारी मिल सकेगी। सरकार को यह भी पता रहेगा कि किस गांव में किस किसान ने कौन से खेत में फसल बोई है और कौन से खेत में फसल नहीं बोई है। इससे फसल बीमा सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थी को ही मिल सकेगा।
किसान रजिस्ट्री के माध्यम से यूपी सरकार सभी किसानों का डिजिटल डेटा बेस तैयार करना चाहती है। अगर एक बार डेटा बेस डिजिटली तैयार हो जाता है तो किसान को अलग-अलग योजनाओं के लिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया की जरुरत ही नहीं होगी और पात्र किसानों को ही योजनाओं का लाभ मिलेगा। किसान रजिस्ट्री से सरकार को पता लग पाएगा कि किस सीजन में किस किसान ने कौनसी फसल बोई है। कितने रबके में उसने खेती की है और कितने रकबे को खाली छोड़ा। किसान अपने दर्ज रिकॉर्ड के आधार पर कृषि वैज्ञानिकों से खेती से संबंधित सलाह भी ले सकेंगे कि उन्हें खेत की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से कौनसी फसल बोनी चाहिए, किस किस्म का बीज खरीदना चाहिए, फसल की पैदावार के कितना खाद, पानी और दवा की जरुरत है। किसान रजिस्ट्री के माध्यम से अगर हर गांव के किसान का डेटा सरकार के पास जमा हो जाता है तो सरकार को किसी भी गांव में विभिन्न फसलों के संभावित उत्पादन एवं वास्तविक उत्पादन के आंकड़े मिल सकेंगे। इससे विभिन्न वस्तुओं की मांग और सप्लाई का संतुलन बनाने में सरकार को मदद मिलेगी।
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