Published - 09 Dec 2021 by Tractor Junction
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंंचे इसके लिए जरूरी है कि किसानों को इन योजनाओं की जानकारी हो। इसके लिए हम समय-समय पर ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको इन योजनाओं की जानकारी देते रहते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको कुक्कुट पालन से संबंधित दो योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इसका फायदा उठा कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें।
बता दें कि पशुपालन विभाग मप्र की ओर से किसानों की आय बढ़ाने को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही है। इसमें कुक्कुट पालन भी है। इस योजना का उद्देश्य कुक्कुटपालन के माध्यम से हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार, कडक़नाथ नस्ल के संरक्षण एवं संवर्धन करना है। उप संचालक, पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं इंदौर से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दिनों जारी इन दोनों योजनाओं रंगीन चूजों की बैकयार्ड और कडक़नाथ कुक्कुट इकाई वितरण की जानकारी दी जा रही है, जो सभी वर्गों के लिए है।
यह योजना सामान्य, अजा और अजजा सभी वर्ग के लिए है। इस योजना की इकाई लागत 2225 रुपए है। जिसमें बिना लिंग भेद के 28 दिवसीय 40 रंगीन चूजों का मूल्य प्रति इकाई (प्रति चूजा 45 रु) की दर से कुल 1800 रु, औषधि/टीकाकरण रु 5 प्रति चूजा कुल 200 और परिवहन (चिक बॉक्स सहित) 225 रु कुल 2225 रुपए है। इसमें हितग्राही का अंशदान 25 प्रतिशत रहेगा और सरकारी अनुदान 75 प्रतिशत रहेगा।
यह योजना भी सामान्य, अजा और अजजा सभी वर्ग के लिए है। इसकी इकाई लागत 4400 रुपए है। इसमें भी बिना लिंग भेद के 28 दिवसीय 40 चूजे, खाद्यान्न, औषधि और परिवहन का प्रावधान है। जिसमें प्रति चूजा 65 रुपए की दर से 40 चूजों की लागत 2600 रुपए, औषधि / टीकाकरण (दर 5 रु प्रति चूजा) कुल 200 रुपए परिवहन (चिक बॉक्स सहित) 210 रुपए कुक्कुट आहार 48 ग्राम प्रति पक्षी, प्रति दिन, 30 दिवस हेतु कुल आहार 58 किलो, 24 रुपए प्रति किलो कुल 1390 रुपए कुल 4400 रुपए है। इसमें भी हितग्राही का अंशदान 25 प्रतिशत रहेगा और सरकारी अनुदान 75 प्रतिशत रहेगा।
कुक्कुट पालन से संबंधित उक्त दोनों योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान भाई संबंधित जिले के निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी/पशु औषधालय के प्रभारी / उपसंचालक पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
राज्य में कुक्कुट पालन के अंतर्गत बटेर व बत्तख पालन के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अंतर्गत किसान को अनुदान (सब्सिडी) का लाभ प्रदान किया जाता है।
जापानी बटेर एक पालतू पक्षी है जिन्हें जंगली बटेरों की अपेक्षा आसानी से पाला जा सकता है। एक वर्ष में 12 चक्र में बटेर पालन हो सकता है। ये 45-50 दिन में ही वयस्क हो जाती है और अंडे देना शुरू कर देती हैं। जापानी बटेर एक वर्ष में 300 अंडे का उत्पादन करती है। बैकयार्ड योजना अंतर्गत इसकी प्रति ईकाई 15 दिवसीय 180 चूजों का वितरण किया जाता है।
यह मुर्गी की अपेक्षा 40 से 50 अंडे अधिक देती है। बत्तख लंबी अवधि (3 वर्ष) तक लाभदायक रहती है। इसके मांस उत्पादन से भी लाभ होता है। बत्तख का अंडा 80-90 ग्राम का होता है। दलदली तथा अधिक वर्षा वाले स्थान पर बत्तख पालन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। बत्तख के आहार पर कम खर्च होता है। राज्य में बत्तख की खाकी केम्पबेल नस्ल पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। बत्तख की ये नस्ल प्रति वर्ष 300 अंडे देती है। इसके अंडे का वजन करीब 80-90 ग्राम होता है। बैकयार्ड योजना अंतर्गत इसके 15 दिवसीय 100 चूजों का वितरण प्रति ईकाई किया जाता है।
कुक्कुट, बत्तख या बटेर के चूजे के लिए राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके तहत सामान्य वर्ग के लिए लागत का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत कि सब्सिडी लाभार्थियों को दी जाती है। कुक्कुट पालन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले समस्त वर्गों के हितग्राहियों के लिए 100 प्रतिशत अनुदान पर यह योजना वर्ष 2010-11 से मध्यप्रदेश में प्रारंभ की गई थी। वर्ष 2014-15 से योजना को राष्ट्रीय पशुधन मिशन में समाहित कर 75 प्रतिशत केन्द्रांश तथा 5 प्रतिशत राज्यांश तथा 20 प्रतिशत हितग्राही अंश पर प्रदेश में संचालित की जा रही है।
योजनांतर्गत प्रत्येक हितग्राही को बिना लिंग भेद के 4 सप्ताह के लो इनपुट टेक्नोलॉजी वाले 45 पक्षी दो चरणों में प्रदाय किए जाते हैं। साथ ही पक्षियों के लिए दढ़़बा बनाने हेतु रु. 1500 दिए जाने का प्रावधान है। प्रत्येक मदर यूनिट सेे 300 हितग्राहियों को चूजे प्रदाय किए जाते हैें। मदर यूनिट के हितग्राही रुपए 60,000 अनुदान के पात्र होंगे जो सीधे उनके खाते में जमा किया जाता है। मदर यूनिट के हितग्राही को 4 सप्ताह के चूजों का 45 रुपए प्रति चूजा का भुगतान किया जाता है। वर्ष 2016-17 से योजना को 60 प्रतिशत केंद्रांश तथा 20 प्रतिशत राज्यांश तथा 20 प्रतिशत हितग्राही अंश पर प्रदेश में संचालित की जा रही है।
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