प्रकाशित - 13 Aug 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
धान खरीफ की प्रमुख फसल है, लेकिन पानी की अधिक खपत के कारण अब धान की खेती (Paddy Cultivation) में कमी आ रही है। गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए सरकार भी किसानों को धान की खेती छोड़कर अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार धान की खेती करने वाले किसानों को भी प्रति एकड़ 4,000 रुपए की दर से आर्थिक सहायता दे रही है। यह सहायता या अनुदान सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो डीएसआर मशीन (DSR-Machine) से धान की खेती कर रहे हैं। जिन किसानों ने डीएसआर मशीन की सहायता से अपने खेत में धान सीधी बुवाई की है, वे इस अनुदान के पात्र होंगे। लेकिन ऐसे किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा तभी उन्हें अनुदान का लाभ मिल सकेगा।
राज्य सरकार की ओर से डीएसआर मशीन (DSR-Machine) से धान की खेती करने वाले किसानों के लिए यह योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसान को धान की सीधी बुवाई में डीएसआर मशीन का उपयोग करना है। डीएसआर मशीन (DSR-Machine) की खास बात यह हैं कि इस मशीन से बिना जुताई किए गए खेत में धान की सीधी बुवाई करने से पानी की बचत होती है और पैदावार भी बेहतर होती है। ऐसे में हरियाणा सरकार ने यह योजना शुरू की है। जो किसान डीएसआर मशीन की सहायता से धान की बुवाई कर रहे हैं या की है, उन्हें 4,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। यह राशि सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
डीएसआर मशीन (DSR-Machine) से बुवाई करने पर समय व पैसे दोनों की बचत होती है। इसके अलावा इस तकनीक से धान की बुवाई करने पर 30 से 32 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। खास बात यह है कि यह एक मशीन कई मजदूरों का काम खुद कर लेती है। ऐसे में किसान को धान की बुवाई के काम के लिए मजदूरों की समस्या नहीं आती है। जबकि धान की बुवाई के लिए कई मजदूरों की आवश्यकता होती है और धान की बुवाई के सीजन में मजदूर भी आसानी से नहीं मिल पाते हैं। ऐसे डीएसआर मशीन की सहायता से किसान धान की बुवाई के काम को आसानी से पूरा करके बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
डीएसआर मशीन (DSR-Machine) में पहले लेवल सेट कर दिया जाता है जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 8 सेमी और उनके बीच की दूरी 2 सेंटीमीटर होती है। इसमें जब धान की फसल पकने के लिए तैयार हो जाती है तब लाइन से लाइन में बिजाई होने से इसमें हवा क्रॉस हो जाती है जिसके कारण पौधों में बीमारियां कम होती है और अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। इस मशीन से एक एकड़ में धान की बुवाई करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही 50 किलोग्राम डीएपी खाद एक एकड़ के लिए डाला जाता है। डीएसआर मशीन में अलग से खांचे बने होते हैं जिसमें बीज के लिए अलग और खाद के लिए अलग खांचे बने होते हैं जिसमें खाद और बीज डाला जाता है। इस विधि से बीज डेढ़ सेंटीमीटर भूमि के अंदर बोया जाता है और उसके साथ ही खाद डाला जाता है। इस विधि में बीज के साथ खाद डालने पर पौधों की बढ़वार अच्छी होती है।
हरियाणा सरकार की ओर से डीएसआर मशीन (DSR-Machine) पर 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जो अधिकतम 40,000 रुपए तक होती है। इसके लिए समय-समय पर कृषि विभाग की ओर से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। आवेदन के लिए किसान को आधार कार्ड, परिवार पहचान पत्र, मेरी फसल मेरा ब्यौरा का रजिस्ट्रेशन नंबर, पैन कार्ड, बैंक खाता तथा ट्रैक्टर की वैध आरसी की स्वयं सत्यापित प्रतियां व कृषि भूमि की मलकियत संबंधी पटवारी की रिपोर्ट आवेदन फार्म के साथ जमा करवानी होती है।
हरियाणा के जिन किसानों ने इस बार डीएसआर मशीन (DSR-Machine) का इस्तेमाल करके धान की सीधी बुवाई की है। उन्हें धान की खेती के लिए प्रति एकड़ 4,000 रुपए सब्सिडी दी जाएगी। इसके लिए प्रदेश के पात्र किसान 18 अगस्त 2024 तक अपना रजिस्ट्रेशन मेरी फसल मेरा ब्यौरा (Meri Fasal Mera Byaura) पोर्टल पर करवा सकते हैं। जो किसान पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए थे, उनके लिए दुबारा से मेरी फसल मेरा ब्यौरा पार्टल खोल दिया गया है ताकि वे अपना रजिस्ट्रेशन करवा का अनुदान का लाभ प्राप्त कर सके। योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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