Published - 11 Feb 2021
आम बजट 2021 में पंचायती राज मंत्रालय को 913.43 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यह 2020-21 के संशोधित अनुमान से 32 प्रतिशत अधिक है। आवंटित बजट के मुख्य हिस्से के रूप में 593 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए दिए गए हैं। वहीं एक नई योजना ‘स्वामित्व’ के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। स्वामित्व योजना के पहले चरण को 79.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है। इस पायलट चरण के दौरान, यह योजना 9 राज्यों-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है।
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इस योजना का पूरा नाम है सर्वे ऑफ विलेज एंड मेकिंग विद इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन इमेज एरियाज (स्वामित्व) है। इस योजना के तहत ड्रोन के जरिए जमीनों का सीमांकन किया जाता है। एक गांव की सीमा में जितनी प्रॉपर्टी आती हैं, सभी का डिजिटल नक्शा तैयार किया जाता है। इस योजना के तहत गांव की सभी इमारतों, मकान, दुकान, जमीन, तलाब आदि का एक लेखा जोखा तैयार किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य संपत्ति के रिकॉर्ड तैयार करना और मालिकाना हक तय करना है। संक्षेप में कहें तो इस योजना के तहत गांव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण रिहायशी इलाकों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड जारी करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की मदद से सर्वेक्षण किया जाएगा।
पिछले 31 जनवरी तक लगभग 23,300 गांवों में सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। लगभग 1,432 गांवों के 2.30 लाख संपत्ति धारकों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा चुके हैं और यह प्रक्रिया लगातार चल रही है। इसी तरह पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश राज्यों में 210 कंटीनुअस ऑपरेटिंग रेफरेंस सिस्टम (कोर) नेटवर्क स्थापित किए जा रहे हैं। इनके मार्च 2021 तक पूरा होने और चालू होने की संभावना है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने राज्यों में लगभग 130 ड्रोन टीमें तैनात की हैं और अब भारत में बने ड्रोन्स की सप्लाई से इस प्रकिया को और तेजी प्रदान की जा रही है। इस योजना में फिलहाल 16 राज्यों के 2.30 लाख गांवों को लक्षित किया जाएगा।
मंत्रालय ने लगभग 5.41 लाख गांवों को कवर करने के लिए 566.23 करोड़ रुपए के खर्च का प्रस्ताव व्यय विभाग को प्रस्ताव भेजा है। इस योजना में संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा और बैंक ऋण को सक्षम करना; संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना प्रमुख लक्ष्य होगा। यह पहली बार है कि देश के सभी गांवों को कवर करते हुए लाखों ग्रामीण संपत्ति के मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकांश आधुनिक तकनीक से जुड़े इस तरह के बड़े पैमाने पर अभ्यास किए जा रहे हैं।
योजना को लागू करने की दिशा में ( वित्तीय वर्ष 2021-2024) के लिए, गोवा, गुजरात, केरल और ओडिशा राज्यों ने इसके अगले चरण में कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दे दी है। छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा पहले ही भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। असम, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और तमिलनाडु राज्यों ने भी सक्रिय रूप से अगले चरण में योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रारंभिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं।
इस योजना के तहत ड्रोन सर्वे तकनीक की सहायता से गांव के आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन किया जाएगा। इससे गांव में रहने वाले लोगों को अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड्स ऑफ राइट्स हासिल होगा। इन रिकॉर्ड्स के जरिए वे अपनी संपत्ति का वित्तीय रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे और बैंक से कर्ज या अन्य वित्तीय सुविधाएं लेने में कर सकते हैं। इस योजना से ग्रामीण योजना के लिए जमीन के सटीक आंकड़े मिलेंगे और प्रॉपर्टी टैक्स के आकलन में सरकार को मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे जमीन से जुड़े कानूनी झगड़े कम करने में मदद मिलेगी।
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