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गन्ना किसानों को मिलेगा 900 रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान, जानें, पूरी जानकारी

प्रकाशित - 07 Oct 2022

सरकार गन्ने की फसल सुरक्षा के लिए देगी सहायता, किसानों को होगा लाभ

दिवाली से पहले गन्ना किसानों के लिए एक खुशखबरी आई है। अब गन्ना किसानों को फसल सुरक्षा के लिए 900 रुपए प्रति हैक्टेयर के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। इससे किसानों की फसल लागत में कमी आएगी और उनका मुनाफा बढ़ेगा। ये फैसला यूपी सरकार की ओर से किया गया है। यूपी सरकार ने राज्य के किसानों के हित में यह फैसला लिया है। अब किसानों को गन्ने की फसल को कीट और रोगों से सुरक्षा के लिए रासायनिक दवाओं की खरीद पर सहायता दी जाएगी। इससे किसानों की फसल की लागत कम होगी जिससे उन्हें लाभ होगा। 

दो योजनाओं को एक किया, अनुदान राशि भी बढ़ाई

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए दो अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को फसल सुरक्षा के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें से पहला बीज भूमि उपचार कार्यक्रम है और दूसरा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम। अभी तक राज्य सरकार इन दोनों योजनाओं के माध्यम से किसानों को अलग-अलग अनुदान उपलब्ध कराती रही है। लेकिन अब सरकार ने दोनों योजनाओं को मिलाकर एक कर दिया है साथ ही दिए जाने वाले अनुदान में भी बढ़ोतरी की है। 

फसल सुरक्षा रसायनों की खरीद पर कितनी मिलेगी सब्सिडी?

उत्तर प्रदेश में किसानों को बीज भूमि उपचार कार्यक्रम तथा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम के तहत अनुदान दिया जाता है, लेकिन अब दोनों योजना को समाप्त कर एक ही अनुदान योजना चलाई जाएगी। योजना के तहत राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद अब गन्ना किसानों को उनकी बुआई से लेकर पेड़ी प्रबंधन तक उपयोग किए जा रहे किसी भी फसल सुरक्षा रसायन की लागत का 50 प्रतिशत अनुदान अथवा अधिकतम 900 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाएगा। बता देें कि इससे पहले बीज भूमि उपचार कार्यक्रम के तहत गन्ना रसायनों पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 500 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता था तथा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम के लिए पेड़ी गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए उपयोग में लिए जाने वाले रसायनों की लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 150 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता था। अब अलग-अलग अनुदान की इस व्यवस्था को खत्म करके एक योजना तैयार की गई है। इसमें किसानों को कृषि रसायनों की खरीद पर कुल अधिकतम अनुदान 900 रुपए प्रति हैक्टेयर दिया जाएगा। 

किन रसायनों पर दी जाएगी सब्सिडी

अब गन्ना फसल के लिए किसान कोई भी संस्तुत रसायन का उपयोग गन्ने का पौधा फसल, उसकी बुआई के समय बीज व भूमि उपचार या पेड़ी प्रबंधन आदि के लिए कर सकते हैं। राज्य सरकार की ओर से गन्ना किसानों के हित में लिए गए इस निर्णय एवं अनुदान में बढ़ोतरी किए जाने के परिणामस्वरूप गन्ना की खेती में फसल सुरक्षा उपायों को अपनाने से गन्ना उत्पादन में गति आएगी और कुल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। इससे किसानों की लागत घटेगी और उन्हें लाभ होगा। 

किसानों को ट्रैक्टर पर भी मिलती है सब्सिडी

कीटनाशक के अलावा उत्तरप्रदेश सरकार यहां के किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर भी सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। इसके तहत किसानों को एक लाख रुपए तक सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। इसके लिए समय-समय पर उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से कृषि विभाग के जरिये किसानों से आवेदन मांगे जाते हैं। आवेदन के बाद चयनित किए गए किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। उत्तरप्रदेश के किसानों के बीच महिंद्रा, स्वराज और आयशर ट्रैक्टर काफी लोकप्रिय हैं। 

गन्ना में कीटनाशक का उपयोग क्यों है जरूरी

गन्ना में कीटनाशक रसायनों का उपयोग इसलिए जरूरी है कि इसकी फसल को कई प्रकार के कीट और रोग लगते हैं और समय पर इसका उपचार नहीं किया जाए फसल उत्पादन कम प्राप्त होता है। कीट और रोग की अधिकता होने पर फसल को काफी नुकसान होता है। गन्ना में जिन कीटों और रोगों का प्रकोप होता है, वे इस प्रकार से हैं

दीमक (टरमाइट), दीमक एवं अंकुर बेधक, अंकुर बेधक, शूट बोरर, चोटीबेधक( टॉपबोरर), गुरदासपुर बोरर, गन्ना बेधक (स्टाक बोरर), काला चिकटा, सफेदमक्खी (व्हाइट फ्लाई), थ्रप्स, टिड्डा (ग्रास हॉपर), अष्टपदी (माइट), पायरिला, लाल सडऩ रोग (रेड रॉट), कंडुआ (स्मट) रोग, बिज्ट रोग, ग्रासीसूट: एल्बिनो रोग, रैट्न स्टन्टिंग रोग आदि गन्ना की फसल को लगते हैं।

गन्ना की फसल में किन किटनाशकों का उपयोग किया जाता है?

  • बीज उपचार प्रयुक्त होने वाले रसायनों में एरीटान या एगलाल अथवा बाविस्टन रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
  • भूमि उपचार में दीमक आंकुर बेधक के नियंत्रण में काम आने वाले रासायनों में 
  • क्लोरोपाईरीफॉस अथवा फोरेट-10 जी या दीमक नियंत्रण हेतु फेनक्लरेट कीटनाशक रसायन का उपयोग किया जाता है। 
  • इसके अलावा गन्ना की फसल में खरपतवार और कीटों की रोकथाम के लिए सिमैजीन (50 डब्लू), आईसेप्लेनोटाक्स (67), एट्राजीन, 2-4-डी रसायन का उपयोग किया जाता है। 


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