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डीजल सब्सिडी योजना : खेती में ट्रैक्टर का उपयोग करने पर मिलेगी सब्सिडी

प्रकाशित - 22 Sep 2022

जानें, क्या है कर्नाटक सरकार की डीजल सब्सिडी योजना और इससे किसानों को लाभ

महंगे पेट्रोल-डीजल से किसानों को राहत प्रदान करने के लिए कर्नाटक सरकार डीजल पर किसानों को सब्सिडी देने की योजना बना रही है। इसके तहत राज्य के ट्रैक्टर चलाने वाले किसानों को डीजल पर सब्सिडी दी जा सकती है। पिछले दिनों राज्य कृषि मंत्री बीसी पाटिल ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार की योजना ट्रैक्टर का उपयोग करने वाले किसानों को डीजल सब्सिडी जारी करने की है। इससे राज्य के किसानों को राहत मिलेगी। वे कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस) धारवाड़ में कृषि मेले के उद्घाटन के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

किन किसानों को मिलेगा डीजल पर सब्सिडी का लाभ (Diesel Subsidy Scheme)

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रायता शक्ति योजना के तहत जिन किसानों के पास पांच एकड़ तक की जमीन है, उन्हें 10 लीटर डीजल के लिए 25 रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाएगी। ऐसा अनुमान है कि एक किसान को अपनी सारी जमीन की जुताई के लिए कटाई तक 25 लीटर डीजल जलाना पड़ता है। सरकार ने प्रत्येक किसान को डीजल सब्सिडी के रूप में 1,250 रुपए की सब्सिडी देने का फैसला किया है। ये योजना जल्द शुरू की जाएगी। इस योजना का करीब राज्य के 69 लाख किसानों को मिलेगा। 

खेती को लाभदायक व्यवसाय बनाएं

श्री पाटिल ने कहा कि खेती एक उद्योग और किसान उद्यमी बने ताकि खेती एक लाभदायक उद्यम बन सके। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार फसलों के मूल्यवर्धन पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि यह किसानों के राजस्व को बढ़ाने की कुंजी है। उन्होंने कहा, वह किसानों से आग्रह करते हैं कि वे खेती की सदियों पुरानी पारंपरिक प्रथाओं को छोडक़र नवीन तकनीकों को अपनाएं जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके।  

जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नई तकनीक का उपयोग है जरूरी

श्री पाटिल ने कहा कि सरकार किसानों को जलवायु परिवर्तन से लडऩे में मदद करने के तरीकों पर शोध कर रही है। इनमें उन फसलों पर उन्नत शोध शामिल हैं जो सूखा और लवणता प्रतिरोधी हैं ताकि किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण नुकसान न हो। किसानों को बदलते कृषि परिदृश्य पर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उच्च उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत बीज गुणवत्ता वाली नस्ल का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय की ओर से फसलों की नई किस्मों और बेहतर कृषि उपकरणों को तैयार करने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। सरकार कृषि विश्वविद्यालयों और उनके अनुसंधान केंद्रों से उम्मीद करती है कि वे उन तरीकों और तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो किसानों को जलवायु परिवर्तन से लडऩे में सहायता कर सकते है।

जलवायु परिवर्तन के दौर को समझें किसान

उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि से लाभ प्राप्त करने के लिए नई तकनीकों और अधिक उपज देने वाली फसलों की खेती करनी चाहिए। बारिश का पैटर्न बदल गया है और राज्य में अधिक बारिश हो रही है। भारी बारिश फसलों को नुकसान पहुंचा रही है। इससे हर साल किसानों की फसलों में हुए नुकसान को देखा जा सकता है। किसानों को जलवायु परिवर्तन के दौर को समझना चाहिए और पारंपरिक फसलों की जगह लाभकारी या अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की ओर ध्यान देना चाहिए ताकि उनकी आय बढ़ सकें।

युवाओं का हो कृषि की ओर झुकाव

उन्होनें कहा कि आज के युवाओं का कृषि में झुकाव हो। इसके लिए विश्वविद्यालय और सरकार कुछ प्रगतिशील किसानों की सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष अपनी आय में तीन गुना से अधिक की बढ़ोतरी की है। ऐसी कहानियों से युवा किसानों को उद्यमी के रूप में विकसित होने की प्रेरणा मिलेगी। वहीं युवा भी कृषि की ओर आकर्षित होंगे जिससे उन्हें गांव में ही रोजगार मिल सकेगा। 

फसल नुकसान की भरपाई के लिए जारी की 400 करोड़ की राशि

फसल नुकसान पर एक संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट अभी पूरी हुई है। उसके आधार पर सरकार ने फसल नुकसान की भरपाई के लिए 400 करोड़ की राशि जारी की है। फसल नुकसान का निरीक्षण करने वाली केंद्रीय टीम की ओर से अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद केंद्र सरकार और फंड जारी करेगी। इससे राज्य के किसानों को बारिश से हुए नुकसान से राहत प्रदान की जाएगी। 


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