Published - 19 Jul 2021
भूमिगत जलस्तर हर साल घटता ही जा रहा है। ऐसी स्थिति में खेतों की में सिंचाई करना तो दूर पीने के पानी का भी संकट हो रहा है। लेकिन हमारे किसान भाइयों को घबराने की जरूरत नहीं है। इन दिनों बारिश का मौसम चल रहा है और इसका लाभ किसान खेत तलाई बना कर उठा सकते हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ( Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana) के अंतर्गत राजस्थान सरकार ने भी वर्ष राजस्थान फार्म पौंड स्कीम लागू की है। इसका लाभ वर्ष 2020-2021 से मिलना शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके तहत लाभार्थी किसानों को उनके खाते में 63000 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की। योजना से अभी तक अनेक किसान अनभिज्ञ बने हुए हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप भी इस योजना के भागीदार बन सकते हैं।
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि किसान के पास अपनी स्वयं की कम से कम 0. 5 हैक्टेयर भूमि हो। इसके अलावा वे किसान भी आवेदन कर सकते हैं जो सात वर्षों से लीज कान्टे्रेक्ट पर खेती कर रहे हों। राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को फार्म पौंड बनाए जाने के लिए आवेदन स्वीकृत होने पर 63 हजार रूपये की सब्सिडी दी जाती है। पौंड के लिए कम से कम चार सौ घन मीटर और अधिकतम 1200 घनमीटर गहराई जरूरी है। इस मापदंड से प्रतिकूल अनुदान राशि नहीं मिलेगी। इसके अलावा खेत में स्प्रिगलर लगाया जाना भी अनिवार्य है। फार्म पौंड योजना के तहत किसान अपने खेत में तलाई बना कर उससे लंबे समय तक फसलों की सिंचाई के लिए पानी जमा रख सकते हैं।
खेत तलाई या फार्म पौंड बनाने में जो भी लागत आती है उसका 60 प्रतिशत हिस्सा सरकार अनुदान के रूप में देती है और शेष राशि यानि चालीस प्रतिशत किसान को स्वयं देनी होगी। आवेदक किसान को अपना आधार कार्ड, बैंक पासबुक, भामाशाह कार्ड, जमीन की खातेदारी, खसरा आदि वहीं शपथ पत्र पर यह भी प्रमाणित किया गया हो कि उसकी जो भूमि खेत तलाई के लिए है वह असिंचित क्षेत्र वाली है। खेत तलाई का निर्माण पूरा होने के बाद संबंधित हल्का पटवारी या कृषि अधिकारी भी उस स्थान का निरीक्षण करते हैं जहां फार्म पौंड का निर्माण किया गया हो। सरकार की यह योजना खास तौर पर राजस्थान के किसानों के लिए बहुत कारगर साबित हो रही है क्योंकि यहां बारिश की कमी रहती है। वर्षा जल को खेत तलाई में संचित कर लिया जाता है। इसके अलावा पंरपरागत जल स्त्रोत का भी सहारा लिया जा सकता है। इसके जरिए ड्रिप सिंचाई पद्धति से जल की बचत होगी।
भूमिगत जल स्तर घटने की समस्या राजस्थान सहित कई प्रदेशों में पिछले कई वर्षों से हो रही है। राजस्थान के पडौसी राज्य की मौजूदा मनोहर खट्टर सरकार ने भी अपने प्रांत के किसानों के लिए अनूठी योजना संचालित की है। इस योजना का नाम मेरा पानी, मेरी विरासत है। इस योजना का खास उद्देश्य भूजल की बचत करना और किसानों को कम लागत पर सिंचाई के आधुनिक तरीके अपना कर नलकूपों पर हो रहे लाखों के खर्च को बचाना है। वहीं सरकार हरियाणा के किसानों के लिए इस योजना के माध्यम से यह संदेश भी देना चाहती है कि वे परंपरागत खेती का मोह त्याग कर नई फसलों की पैदावार की ओर ध्यान दें। इसके अंतर्गत यदि खरीफ फसलों की बात की जाए तो मक्का, उडद, अरहर, कपास आदि की फसलों का उत्पादन कर सरकार से ड्रिप सिंचाई करने पर सात हजार रूपये प्रति एकड के हिसाब से सब्सिडी भी पा सकते हैं। वैसे तो यह योजना 6 मई 2020 को लागू हुई थी लेकिन इन दिनों इसमें आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। किसान मेरा पानी, मेरी विरासत योजना में आगामी 31 जुलाई 2021 तक आवेदन कर इसका लाभ उठा सकते हैं।
हरियाणा सरकार की योजना मेरा पानी, मेरी विरासत योजना किसानों के लिए खासी लाभप्रद है। इसके लिए 31 जुलाई तक आवेदन करना जरूरी है। सबसे पहले किसानों को हरियाणा का स्थायी मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाना होगा। वहीं जो किसान अब तक 50 हार्टज पावर वाली विद्युत मोटर का उपयोग कर रहे हैं वे इस योजना की पात्रता रखते हैं। वहीं किसानों का आधार नंबर उनके बैंक एकाउंट से जुडा होना चाहिए। किसान स्वयं भी अपने मोबाइल पर इस योजना में पंजीयन करवा सकते हैं। इसके लिए agriharyanaofwm.com पर जाकर लॉगइन कर सकते हैं। लिंक ओपन करने के बाद आधार नंबर डाले और इसके बाद आगामी प्रकिया के लिए नेक्स्ट दबा दें।
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