न्याय योजना : 12 लाख ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूरों को इसी साल मिलेगा लाभ

Share Product Published - 05 Jul 2021 by Tractor Junction

न्याय योजना : 12 लाख ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूरों को इसी साल मिलेगा लाभ

राजीव गांधी न्याय योजना : छत्तीसगढ़ सरकार का अहम फैसला, सीधे खाते में दी जाएगी मदद

राज्य के ग्रामीण अंचल के भूमिहीन कृषि मजदूरों को आर्थिक मदद देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार ने इसी साल से राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना को लागू कर दिया है। इससे यहां के ग्रामीण आंचल में रहने वाले कृषि मजदूरों को योजना का लाभ इसी साल से मिलने लग जाएगा। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य के ग्रामीण अंचल के भूमिहीन कृषि मजदूरों को आर्थिक मदद देने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना इसी वित्तीय वर्ष से लागू होगी। इसका लाभ राज्य के लगभग 12 लाख ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूरों को मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल निवास कार्यालय में कृषि, जल संसाधन, राजस्व, वन विभाग के कार्या की समीक्षा के दौरान राजीव गांधी किसान न्याय योजना से हितग्राहियों को लाभान्वित किए जाने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। बैठक में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल विशेष रूप से मौजूद थे।  

 

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कृषि मजदूरों के खातों में दी जाएगी सहायता राशि

मुुख्यमंत्री ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूरों के बैंक खातों में राशि दी जाएगी। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में यह योजना राज्य की तीसरी ऐसी महत्वपूर्ण योजना है, जिसके जरिए हम ग्रामीण भूमिहीनों मजदूरों को सीधे मदद देने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना दो ऐसी योजनाएं हैं, जिनकी चर्चा देश-दुनिया में हो रही है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों को फसल विविधीकरण एवं उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आदान सहायता (इनपुट सब्सिडी) के रूप में बहुत बढ़ी धन राशि दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के जरिए हम राज्य के गोपालकों, किसानों से दो रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी कर उन्हें सीधे लाभ दे रहे हैं। पूरे हिन्दुस्तान में कहीं भी ऐसी योजना नहीं है।


एक लाख पोषण बाडिय़ा विकसित करने की तैयारी शुरू

उद्यानिकी विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ में एक लाख पोषण बाडिय़ां विकसित किए जाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। इन बाडिय़ों के विकास के लिए उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले द्वारा हितग्राहियों का चयन गौठान विकास हेतु चिन्हित ग्रामों में कलस्टर के रूप में किया जा चुका है। चयनित हितग्राहियों को पोषण बाड़ी विकास योजना के तहत फलदार पौधे, विभिन्न प्रकार के सब्जियों के बीज उद्यानिकी विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। उद्यानिकी विभाग के नर्सरियों में बड़े पैमाने पर नींबू, अमरूद कटहल, मुनगा आदि के पौधे तैयार किए गए हैं, जिसमें से लगभग 15 लाख पौधों का वितरण पोषण बाड़ी विकास योजना के तहत लाभान्वित हितग्राहियों को रोपण के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।  बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषकों के निवास के समीप उपलब्ध होंगे और बाड़ी विकास का कार्य पोषण बाड़ी विकास योजना के तहत किया जा रहा है। 


बीते दो सालों में प्रदेश में दो लाख बाडिय़ों का हुआ विकास

राज्य में बीते दो सालों में इस योजना के तहत ग्रामीण किसानों के आवास के समीप स्थित भूमि में दो लाख बाडिय़ों का विकास किया जा चुका है, जिससे ग्रामीण अंचल में सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा मिला है। इस साल एक लाख बाड़ी और विकसित होंगी। बाड़ी विकास योजना में  प्रति बाड़ी एक हजार रुपए का प्रावधान किया गया है। जिसमें से खरीफ मौसम में 346 रुपए मूल्य के फलदार पौधे एवं 250 रुपए मूल्य के सब्जी बीज हितग्राहियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।


रायपुर में पपीता, सरगुजा में लीची की होगी खेती

छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी फसलों के प्रोत्साहन के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य के 14 जिलों में 9 प्रकार की उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। चिन्हित फसलों की खेती करने वाले किसानों को उद्यानिकी विभाग द्वारा आवश्यक मार्गदर्शन एवं मदद दी जाएगी। 


एक जिला एक उत्पाद के तहत इन फसलों को मिलेगा प्रोत्साहन

उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत अदरक, पपीता, आम, सीताफल, चाय, काजू, टमाटर, हल्दी एवं लीची को चिन्हित किया गया है। उद्यानिकी संचालक श्री माथेश्वरन वी. ने बताया कि बलोद जिले का चयन अदरक की खेती के लिए किया गया है, जबकि सूरजपुर जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। रायपुर एवं बेमेतरा जिले के लिए पपीता, दंतेवाड़ा जिले में आम, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही एवं कांकेर में सीताफल की खेती, जशपुर में चाय उत्पादन, कोण्डागांव जिले में काजू, कोरिया, मुंगेली, रायगढ़ एवं दुर्ग जिले में टमाटर तथा सरगुजा जिले में लीची की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

 

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