प्रकाशित - 14 Aug 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गांव में खेती के साथ किसान पशुपालन करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इसके तहत मुख्य रूप से गाय व भैंस का पालन करके उसके दूध को बेचकर अच्छा-खासा पैसा कमाया जा रहा है। वहीं अब शहरी क्षेत्रों में भी इसके लाभ को देखते हुए गाय, भैंसे जैसे दुधारू पशुओं को दूध के लिए पाला तो जा रहा है लेकिन उनकी ठीक से देखभाल नहीं की जा रही है। यही कारण है कि शहरी क्षेत्र में गाय सड़कों पर खुला घूमती नजर आती है और कई बार दुर्घटना का शिकार भी हो जाती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने गाय-भैंस जैसे दुधारू पशु का पालन करने के लिए लाइसेंस लेना अनिर्वाय कर दिया है। शहरी क्षेत्र के जो पशुपालक दुधारू पशु को पालने का लाइसेंस नहीं लेंगे, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर की जल्द की जाएगी। ऐसे में गोरखपुर शहर में गाय-भैंस पालने के लिए व्यक्ति को लाइसेंस लेना होगा और प्रत्येक पशु के लिए सालाना शुल्क जमा करना होगा। नगर निगम इसकी पूरी तैयारी कर चुका है और जल्द ही यह व्यवस्था पूरे शहर में लागू होगी। यहां पशुपालकों को लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करना होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नगर निगम की 5वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। शासन को प्रयागराज से गजट नोटिफिकेशन कराने के लिए जनवरी में नगर निगम की ओर से प्रस्ताव भेजा गया था। हालांकि अभी तक यह गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं हो सका है। लेकिन नगर निगम को उम्मीद है कि जल्द ही नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। इसके बाद यह नियम पूरे शहर में लागू कर दिया जाएगा।
नियमों के मुताबिक दो या दो से अधिक गाय या भैंस पालने वाले पशुपालकों को लाइसेंस लेना होगा। यह लाइसेंस एक साल की अवधि के लिए जारी होगा जिसकी अवधि एक अप्रैल से 31 मार्च तक होगी। इस तरह हर साल प्रति पशु का शुल्क नगर निगम को जमा कराना होगा। इसमें गाय के लिए 500 रुपए और भैंस के लिए 1000 रुपए लाइसेंस शुल्क के रूप में जमा कराने होंगे।
पशुओं के लिए लाइसेंस एक साल के लिए जारी किया जाएगा जिसे पशुपालकों को हर साल रिन्यू करना होगा। वहीं अवैध रूप से संचालित की जा रही डेयरी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पशुपालक को पशुओं को साफ-सुधरी जगह पर रखना होगा और इसी के साथ ही उसके चारे-पानी की उचित व्यवस्था करनी होगी। निगम के अधिकारी निरीक्षण करने के बाद लाइसेंस जारी करेंगे।
लाइसेंस जारी करने के लिए पहले यह देखा जाएगा कि पशुपालक दुधारू पशु गाय-भैंस पालते समय उनकी उचित तरीके से देखभाल कर रहा है या नहीं, इसमें प्रत्येक पशु के लिए 8 वर्ग मीटर हवादार जगह होनी चाहिए जहां वह पशु रखा जा रहा है। सर्दी, गर्मी, धूप व बारिश से बचाने के लिए शेड की व्यवस्था, उचित पशु आहार व्यवस्था, गोबर व अन्य अपशिष्ट को पशु स्थल से सात मीटर दूर रखना जरूरी होगा। साथ ही डेयरी का फर्श पक्का होना चाहिए।
यदि कोई पशुपालक अप्रैल माह में लाइसेंस नहीं लेता है तो उसे लाइसेंस शुल्क के अलावा पहले एक महीने के लिए 100 रुपए की पेनल्टी देनी होगी। वहीं उसके बाद के महीनों के लिए 50 रुपए प्रतिमाह विलंब शुल्क देना होगा। वहीं नियमों का पालन नहीं करने पर पहली बार अवैध डेयरी संचालक पर एक हजार रुपए, दूसरी बार दो हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। शहर में अवैध रूप से संचालित डेयरी पर अधिकतम 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
नगर निगम की ओर से पशुपालक को लाइसेंस बनवाने के बाद एक टोकन दिया जाएगा। इस टोकन को पशु की गर्दन पर बांधना जरूरी होगा। पशु की गर्दन पर टोकन इस तरह बांधना है कि वह साफ तौर पर दिखाई देना चाहिए। इस टोकन की सहायता से गाय या भैंस के मालिक की पहचान होगी जिससे यदि कोई पशु सार्वजनिक जगह, गली, सड़क या पार्क के आसपास दिखाई दिया या पशुपालक द्वारा खुला छोड़ा गया तो पशुपालक पर कार्रवाई की जा सकेगी। यदि पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा रहा है तो इसके लिए निगम से इसके ट्रांसपोर्टेशन की इजाजत लेनी होगी।
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