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मनरेगा योजना : अब ड्रोन से होगी मनरेगा के कामों की जांच

प्रकाशित - 08 Sep 2024

योजना में आएगी पारदर्शिता, गड़बड़ी होने की संभावना होगी कम

MNREGA YOJANA : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जिसे मनरेगा योजना (MNREGA YOJANA) के नाम से जाना जाता है, इस योजना में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद राज्य सरकार ने अधिकारियो को मनरेगा कामों की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है। अब मनरेगा के कामों की निगरानी ड्रोन के माध्यम से की जाएगी ताकि योजना के तहत पारदर्शिता से काम हो और पात्र व्यक्ति को योजना का लाभ मिल सके। कई मामलों में यह बात सामने आई कि मनरेगा के तहत जो श्रमिक लगाए जाते हैं, वे काम पर बिना आए ही उपस्थित दिखा दिए जाते हैं और उन्हें योजना में मिलने वाली मजदूरी का लाभ मिल जाता है। इस प्रकार की गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद राज्य सरकार ने सख्ती का रूख अपनाते हुए मनरेगा के कामों की ड्रोन से निगरानी के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ प्रयोग के तौर पर ड्रोन से निगरानी का काम शुरू भी कर दिया है।

मनरेगा के तहत कहां से मिली गड़बड़ी की अधिक शिकायतें

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में मनरेगा (MNREGA) के तहत जिन जगहों पर ज्यादा गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं वहां ड्रोन से निगरानी की जाएगी। यूपी के बुंदेलखंड के लगभग सभी जिलों में रूरल डबलपमेंट डिपार्टमेंट को मनरेगा के कामों में गड़बड़ी की अधिक शिकायतें मिली हैं। ऐसे में उपमुख्यमंत्री और ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर बांदा में मनरेगा के कामों की ड्रोन से निगरानी करने की शुरुआत की गई है। यहां मनरेगा के कामों को ड्रोन कैमरे के माध्यम से रिकार्ड किया जाएगा ताकि जमीनी हकीकत का पता चल सके कि मनरेगा के तहत कितना काम हो रहा है और कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं है। इसके अलावा पूरे प्रदेश में मनरेगा के कामों का सत्यापन करने के लिए जिला मुख्यालय पर स्थापित टीमों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गई है।

ड्रोन रखेगा मनरेगा के कामों पर नजर

उपमुख्यमंत्री और ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्रामीण विकास में जुड़ी सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से करने और इसमें गड़बड़ी को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मजूबत करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत मनरेगा के कामों की क्वालिटी पर प्रभावी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं और ड्रोन की तैनाती की गई है ताकि मनरेगा में कितना काम हो रहा है इसकी जमीनी हकीकत का पता चल सके।

ड्रोन से हो रही है वीडियाग्राफी एवं फोटोग्राफी

अभी बांदा जनपद से ड्रोन तकनीक से मनरेगा के कामों की निगरानी की जा रही है। यहां अभी प्रयोग के तौर पर इसे शुरू किया गया है। इसके बाद अन्य जनपद में भी इसी प्रकार ड्रोन तकनीक से मनरेगा की निगरानी काम किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री मौर्य के निर्देश पर राज्य मुख्यालय में तैनात निगरानी टीम द्वारा जिलों में ड्रोन के माध्यम से मनरेगा के कामों की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी करवाई जा रही है। वहीं राज्य मुख्यालय स्तर पर तैनात टीमों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जा रही है। विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि टीमों की संख्या बढ़ाने का उद्देश्य अधिक से अधिक मनरेगा (MNREGA) के कार्यस्थलों पर ड्रोन कैमरों की पहुंच को बढ़ाना है जिससे योजना के तहत कराए जा रहे कामों में पारदर्शिता के साथ ही काम की क्वालिटी को सुनिश्चित किया जा सके। इसका पहला सफल प्रयोग बांदा जनपद से किया गया है।

बांदा के बाद अब किस जनपद में होगी ड्रोन से निगरानी

बुंदेलखंड में बांदा जनपद के बाद अब ड्रोन टीम जालौन जनपद में मनरेगा (MNREGA) के कामों की निगरानी करेगी। बता दें कि विभाग की ओर से राज्य स्तरीय ड्रोन टीम का गठन मनरेगा के कामों की क्वालिटी को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। यह टीम मनरेगा के कामों को ड्रोन से नियमित निरीक्षण के साथ ही इसकी निगरानी का काम भी करेगी। विभाग की ओर से बताया गया है कि जालौन जनपद की 20 ग्राम पंचायत में वित्तीय वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत कराए गए सभी कार्यों की ड्रोन टीम के जरिये वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर निरीक्षण और निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में ड्रोन टीम के सहयोग के लिए अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई जा रही है। जालौन के मुख्य विकास अधिकारी को भी इस काम में सहयोग करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए है। ग्राम्य विकास अधिकारी के आयुक्त जीएस प्रियदर्शी के अनुसार राज्य स्तर पर गठित ड्रोन टीमों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। अभी दो और टीमों को अन्य जनपदों में मनरेगा साइट पर भेजा गया है। वहीं आगे और भी टीम बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व निर्धारित रोस्टर के अनुसार जालौन जिले के अलग-अलग विकासखंड की 20 ग्राम पंचायतों में 12 सितंबर तक ड्रोन टीमें निगरानी और निरीक्षण का कार्य करेगी।

क्या है मनरेगा योजना

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) जिसे संक्षेप में मनरेगा (MNREGA) कहा जाता है। इस योजना की शुरुआत 7 सितंबर 2005 को की गई थी। इस योजना के जरिये साल भर में जॉबकार्ड धारी ग्रामीण परिवार के वयस्क व्यक्तियों को मांग करने पर 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। इसमें महिला मजदूरों को भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, बीपीएल परिवार, महिला मुखिया वाले परिवार, शारीरिक विकलांग मुखिया वाले परिवार, भूमि सुधार हितग्राही, वन अधिकार पट्टेधारी, इंदिरा आवास हितग्राही, लघु व सीमांत कृषक उक्त वर्ग के जॉबकार्ड धारी परिवार को लाभान्वित किया जाता है। मनरेगा योजना (MNREGA YOJANA) के तहत सड़क निर्माण, कुआं व तालाब निर्माण, मिट्‌टी निकालना जैसे काम किए जाते हैं।

मनरेगा योजना के तहत यूपी में कितनी मिलती है मजदूरी

मनरेगा योजना (MNREGA YOJANA) के तहत अलग-अलग राज्य में अलग-अलग मजदूरी की दर वहां के हिसाब से लागू की गई है। यदि बात करें यूपी की तो यहां मनरेगा के तहत काम की मजदूरी 337 रुपए प्रतिदिन है। प्रदेश में करीब 3.20 मजदूर मनरेगा से जुड़े हुए हैं। इसमें से करीब 1.62 करोड़ मजदूर ही इसके तहत काम कर रहे हैं। बता दें कि कोरोना काल में मनरेगा योजना के तहत अपने घर लौटे मजदूरों को अपने ही गांव में काम उपलब्ध कराया गया था ताकि वे अपना खर्च निकाल सकें। उस समय मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को काम मिला, लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद मजदूर वापस अन्य शहरों में काम के लिए चले गए जिससे मनरेगा में सक्रिय मजदूरों की संख्या कम हो गई।

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