अब तालाब की जगह खेत में होगी मखाने की खेती, सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी

Share Product प्रकाशित - 04 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

अब तालाब की जगह खेत में होगी मखाने की खेती, सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी

जाने, मखाने की खेती से कम लागत में कैसे कमाए ज्यादा मुनाफा, मखाना खेती की दो प्रमुख प्रणाली

सुपर फूड मखाने की खेती किसानों की आर्थिक सेहत को लगातार सुधार रही है। परंपरागत फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा मुनाफा देने के कारण किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मखाने की खेती परपंरागत तरीके से तालाब या जल जमाव वाली जमीन में होती है। लेकिन अब बदलते जमाने के साथ मखाने की खेती धान की तरह सामान्य खेत में भी की जा सकती है। इसके लिए खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भरना होता है। कृषि वैज्ञानिक समतल खेत में मखाने की खेती से जुड़ी जानकारी किसानों को दे रहे हैं। साथ ही सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए मखाने की खेती को प्रोत्साहित कर रही है और खेत में मखाना की खेती पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में मखाने की खेती और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

ये हैं मखाना की खेती की दो प्रमुख प्रणाली

मखाना की खेती की दो प्रणालियां किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय है। पहली है जलकर प्रणाली और दूसरी खेत प्रणाली। जलकर प्रणाली में ऐसी जगह पर मखाने की खेती की खेती की जाती है जहां पर साल भर पानी का जमाव रहता है। जैसे पोखर, तालाब, चाप, मरी हुई नदी आदि। वहीं खेत प्रणाली में खेत के चारों ओर मोटा बांध बनाकर पानी को रोका जाता है और मखाना की रोपाई की जाती है। जब तक फलन नहीं हो जाता तब तक पटवन जारी रहता है। उपरोक्त दोनों प्रणालियों में से खेत प्रणाली अधिक फायदेमंद है। किसान बड़ी संख्या में खेत प्रणाली से मखाना की खेती को अपना रहे हैं। इसकी फसल के लिए बीज और बेल दोनों डाली जाती है। इसकी बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल नाम से जाना जाता है।

समतल खेत में ऐसे होगी मखाने की खेती

विश्व में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है और भारत में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार है। यह राज्य मखाने की 80 प्रतिशत तक आपूर्ति करता है। बिहार में मखाने की खेती तालाबों में की जाती है। लेकिन अब आधुनिक तकनीक से मखाने की खेती समतल खेतों में की जा सकती है। समतल खेतों में मखाने की खेती के लिए खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भर जाता है। यह पानी खेत में लगातार भरा रहना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर किसान तालाब की बजाए खेत में पानी भरकर मखाने की खेती करते हैं तो उन्हें ज्यादा पैदावार मिलती है। कृषि वैज्ञानिक समतल खेतों में मखाना की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। हाल ही में बिहार के पूर्णिया जिले में जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी राहुल कुमार और भोला पासवान, शास्त्री महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉ० रूबी साहा सहित अन्य संबंधित अधिकारियों ने मखाना की खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों को जानकारी दी कि खेत में मखाना की खेती कैसे की जा सकती है और इससे कैसे मुनाफा कमा सकते हैं।

महिंद्रा युवो 475 डीआई

बिहार के अलावा अब अन्य राज्यों तक पहुंची मखाने की खेती

अभी तक मखाने की खेती में बिहार का ही एकाधिकार है। भारत के 80% मखाना का उत्पादन उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी व आसपास के जिलों में होता है। बिहार के दरभंगा जिले से शुरू हुई मखाने की खेती पूर्णिया, कटिहार, सहरसा से होते हुए उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है। उत्तरप्रदेश ने पिछले कुछ सालों में मखाना की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि दर हासिल की है।

मखाना की खेती पर इन किसानों को मिलेगी सब्सिडी

उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने मखाना की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने की योजना बनाई है। साथ ही किसानों को मखाना की खेती की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। सबसे पहले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बड़े स्तर में मखाना की खेती (Makhana) शुरू की जाएगी। फिलहाल मखाना की खेती के लिए वाराणासी के 8 विधानसभा क्षेत्रों से 25 किसानों का चयन किया गया है। इन्हें दरभंगा, बिहार के मखाना संस्थान में सरकार की ओर से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। मखाना की खेती की लागत 80 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। जिसमे 50% सब्सिडी उद्यान विभाग की तरफ से दी जाएगी। मखाना की खेती (Makhana Cultivation) के लिए केंद्र और राज्य फंडिंग कर रही है। वहीं, बिहार में मखाना की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 72 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है। साथ ही सस्ती कीमत पर बीज भी उपलब्ध कराया जाता हे।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टरमहिंद्रा ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

हमसे शीघ्र जुड़ें

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back