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अब मनरेगा में पहले से अधिक मिलेगी मजदूरी, 100 दिन के रोजगार की गांरटी

प्रकाशित - 28 Mar 2023

मनरेगा की नई लिस्ट जारी, जानें, अब किस राज्य में कितनी मिलेगी मजदूरी

अगर आप मनरेगा के तहत मजदूरी करते हैं तो खुश हो जाइए क्योंकि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को अब ज्यादा पैसे मिलेंगे। महंगाई को देखते हुए मनरेगा मजदूरों के लिए ये राहत की खबर है। इस नई मजदूरी दर का सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा के मजदूरों को होने वाला है क्योंकि मजदूरी में इस बढ़ोतरी के बाद हरियाणा के मजदूर 357 रुपए प्रति दिन पाएंगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने  मजदूरी में ये बढ़ोतरी वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए की है। जिसके लाभार्थी राज्यों में बिहार, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, मेघालय, मणिपुर आदि शामिल हैं। कुछ राज्यों में कम मजदूरी बढ़ी तो वहीं कुछ राज्यों में ज्यादा बढ़ी है। कुछ राज्यों में मात्र 7 रुपए तो कुछ राज्यों में 26 रुपए तक भी मजदूरी बढ़ाई गई है। आपको बता दें  कि मजदूरी की ये नई दरें अगले महीने अप्रैल से लागू होने वाली हैं।

मनरेगा मजदूरी वृद्धि में राजस्थान है सबसे बड़ा लाभार्थी

अगर वृद्धि प्रतिशत के नजरिये से देखा जाए तो इस वृद्धि का सबसे ज्यादा लाभ राजस्थान के मजदूरों को होगा। पिछले साल राजस्थान में मजदूरी कीमत मात्र 231 रुपए थी। अब इस नई मजदूरी वृद्धि से राजस्थान का मनरेगा मजदूरी रेट 255 रुपए प्रति दिन हो जाएंगे यानि राजस्थान के मजदूरों के मेहनताने में 10.38 % की बढ़ोतरी की गई है। मजदूरी वृद्धि का लाभ बिहार और झारखंड के मजदूरों को भी मिला है, इन दोनों राज्यों में पिछले साल के मुकाबले मजदूरी को 8% तक बढ़ा दिया गया है। बिहार और झारखंड के मजदूरों की मजदूरी पहले 210 रुपए प्रति दिन थी। मजदूरी बढ़ने के बाद अब मजदूरों को 18 रुपए का ज्यादा फायदा मिलेगा।  

इन राज्यों के मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में हुई है कम बढ़ोतरी 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानि मनरेगा (MANREGA) के तहत की गई मजदूरी वृद्धि का सबसे कम लाभ छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश राज्य के मजदूरों को मिलेगा। इन दोनों राज्य के मजदूरों को प्रतिशत वृद्धि के मामले में सबसे कम वृद्धि दी गई है।  इस राज्य में मनरेगा की मजदूरी 204 रुपए प्रति दिन निर्धारित की गई है। वहीं सबसे काम मजदूरी वाले राज्यों में कर्नाटक, गोवा, मेघालय और मणिपुर शामिल है।  कुछ राज्यों में मजदूरी की ज्यादा बढ़ोतरी और कुछ राज्यों में कम बढ़ोतरी की वजह से कुछ मजदूर सरकार के इस फैसले से असंतुष्ट भी हैं।        

क्या है मनरेगा योजना? (What is MANREGA Scheme?)

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानि मनरेगा की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई।  योजना को अमल में लाने का प्रयास 2  फरवरी 2006 से शुरू हुआ। ये एक तरह से रोजगार गारंटी योजना है जिसका लक्ष्य भारत के मजदूरों को न्यूनतम रोजगार प्रदान करना है। शुरुआत में इसे नरेगा (एन.इ आर.इ.जी.ए) कहा जाता था।  लेकिन वर्ष 2009 में गांधी जयन्ती के अवसर पर इस योजना का नाम संशोधित कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम रख दिया गया। 

देश के ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों को इस योजना के तहत व्यापक लाभ मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार मिलने और देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने में भी ये योजना कारगर साबित हुई है।  गौरतलब है कि भारत जैसा देश जो रोजगार संकट से जूझ रहा है, ऐसे में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद ग़ैरकुशल मजदूरों के हित में काम करना जरूरी था। केंद्र सरकार के इस कदम से देश के राज्यों को व्यापक फायदा मिला है। मनरेगा के तहत बिहार में और अन्य रोजगार संकट से जूझ रहे राज्यों में रोजगार के साधन खुले हैं। खासकर बिहार राज्य में मनरेगा के तहत भारी वृक्षारोपण के कार्य संपन्न कराए गए हैं।  राज्य में हरे भरे क्षेत्र भी बढे़ हैं। राज्य के संसाधनों का विकास हुआ है, जिसके फलस्वरूप नए रोजगार कि सम्भावना और बढ़ी है। इससे पलायन की समस्या का भी बहुत हद तक समाधान हुआ है।  राज्य से दूर जाकर मजदूर कई बार असुरक्षित महसूस करते हैं, इसलिए जरूरी है कि इस तरह की लोक कल्याणकारी योजनाएं चलें। 

मनरेगा योजना के उद्देश्य 

मनरेगा योजना के लाभ एवं उद्देश्य की बात करें तो मनरेगा का सबसे बड़ा लक्ष्य भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करना है। इसके अलावा इसके अन्य उद्‌देश्य इस प्रकार से हैं

  • न्यूनतम रोजगार गारंटी फिक्स करना
  • पंचायत स्तर पर रोजगार पैदा करना 
  • पलायन पर रोक लगाना 
  • समाज के गरीब और कमजोर वर्ग को मुख्यधारा में लाना ताकि वे भी एक सही जीवनयापन कर सकें। 

मनरेगा में कैसे मिलता है रोजगार

इस योजना के तहत मजदूर को जॉब कार्ड दिया जाता है, जिसे नरेगा जॉब कार्ड या मनरेगा जॉब कार्ड भी कहा जाता है। जॉब कार्ड मिलने के बाद मजदूर हर साल कम से कम 100 दिन तक रोजगार पाने के लिए एलिजिबल होते हैं। 

क्या है योजना की पात्रता और शर्तें 

मनरेगा योजना के तहत रोगाजार प्राप्त करने के लिए सरकार की ओर से पात्रता और शर्तें निर्धारित की गई है, जो इस प्रकार से हैं।

  • कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष से ज्यादा उम्र का है वो इस योजना के तहत आवेदन करने हेतु पात्रता रखता है। बशर्ते आवेदक अकुशल कार्यों के लिए तैयार हों। कुशल कार्यों में मजदूरी ज्यादा है इसलिए कुशल श्रमिक को इस योजना के तहत आवेदन नहीं करना चाहिए। 

मनरेगा आवेदन के लिए किन दस्तावेजों की होगी आवश्यकता

मनरेगा आवेदन करने के लिए आवेदन के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं

  • आवेदन करने वाले व्यक्ति का फोटो 
  • आवेदन करने वाले का व्यक्ति का आधार कार्ड
  • ग्राम पंचायत का नाम
  • सफ़ेद कागज पर नीले या काले बॉल पेन से हस्ताक्षर 

मनरेगा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब :

1) मनरेगा की मजदूरी कितनी है?

मनरेगा से जुड़े कुछ सवाल-जवाब में अक्सर लोग ये पूछते हैं कि मनरेगा में एक दिन में कितनी मजदूरी मिलती है, तो आपको बता दें कि अलग-अलग राज्यों में मनरेगा की मजदूरी अलग-अलग है। नीचे कुछ राज्यों की मनरेगा मजदूरी दर की लिस्ट दी जा रही है, आप इसमें अपने राज्यों के हिसाब से मजदूरी की दर चेक कर कर सकते हैं।

मनरेगा मजदूरी लिस्ट 2023 अपडेटेड 

राज्य का नाम मजदूरी ( रूपये में )
बिहार और झारखण्ड  228
मध्यप्रदेश 221
छत्तीसगढ़ 221
राजस्थान 255
हरियाणा 357

2 ) मनरेगा में कितने दिन तक रोजगार मिलता है?

उत्तर: मनरेगा में मजदूरों को प्रति वर्ष 100 दिन तक का रोजगार मिलता है। 

3 ) मनरेगा से लाभ उठाने की प्रक्रिया क्या है?

उत्तर : मनरेगा योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करना होता है जिसकी आवेदन की प्रक्रिया इस प्रकार से है

  • सबसे पहले मनरेगा आवेदन फॉर्म को डाउनलोड करें।  
  • प्रिंटेड फॉर्म को अच्छी तरह बिना किसी त्रुटि के भरें। 
  • आवेदन पत्र डाउनलोड न कर पाने की स्थिति में ग्राम पंचायत कार्यालय में आप आवेदन फॉर्म की डिमांड कर सकते हैं।
  • आवेदन प्रपत्र भरने के बाद इसे ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा करें। 

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