प्रकाशित - 31 Aug 2024
MNREGA YOJANA : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi Gram Rojgar Guarantee Yojana) जिसे मनरेगा (MNREGA) योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को एक साल में कम से कम सौ दिन का रोजगार प्रदान किया जाता है। इस योजना से गांव के साथ ही शहरों में भी बेरोजगार मजदूरों को काम मिलता है। लेकिन देखने में आ रहा है कि कई लोगों ने मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड तो बनवा लिए हैं, लेकिन उन्होंने इस योजना के तहत काफी समय से काम की मांग नहीं की है। सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के मूड में हैं। बताया जा रहा है कि इस योजना से जुड़े इन लोगों के जॉब कार्ड ब्लॉक किए जाएंगे और जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ प्रदान किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में पंजीकृत मजदूरों को साल में 100 दिन काम दिए जाने का नियम है। इस योजना के तहत जिले में 3.86 लाख मजदूरों के पास मनरेगा जॉब कार्ड (MNREGA JOB CARD) है। इसमें से 1.12 लाख मनरेगा मजदूरों ने साल भर काम की मांग नहीं की। वहीं केवल 46 हजार जॉब कार्ड (JOB CARD) धारक मजदूरों ने ही सौ दिन काम किया है। ऐसे में सरकार शेष जॉब कार्ड धारक मनरेगा मजदूरों का सत्यापन करेगी और जिन मजदूरों ने सालभर काम नहीं मांगा है उनके जॉब कार्ड को ब्लॉक किया जाएगा।
अब विभाग की ओर से जॉब कार्ड (JOB CARD) धारक मजदूरों का सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन कार्य पूरा होने के बाद जॉब कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। जॉब कार्ड ब्लॉक होने से मजदूर उस कार्ड पर कहीं भी मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं कर सकेंगे। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से गांवों में मजदूरों को काम देने के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई। इसके तहत जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा के तहत कम से कम सौ दिन का रोजगार दिए जाने की गारंटी दी जाती है।
कोरोना काल में शहरी क्षेत्रों में रोजगार छिनने के बाद गांव लौटे मजदूरों के सामने रोजगार का संकट आ गया था, जब मनरेगा योजना उनका सबसे बड़ा सहारा बनी थी। इस दौरान सरकार ने इस योजना के तहत मजदूरों के जॉब कार्ड (JOB CARD) बनाए और उन्हें इस योजना के तहत रोजगार दिया। वहीं मजदूरों के खातों में आर्थिक सहायता दी थी। कोरोना काल खत्म होने के बाद जब जनजीवन सामान्य तरीके से चलने लगा और फिर से श्रमिक अन्य राज्यों में मजदूरी करने निकल गए जिससे मनरेगा के तहत जॉब कार्ड होने के बावजूद उन्होंने काम की मांग नहीं की। सरकार ऐसे लागों के कार्ड ब्लॉक करने की तैयारी में है।
यदि बात करें यूपी के गाजीपुर जिले की तो यहां कुल 3.86 लाख जॉब कार्ड धारक हैं। इसमें से 46 हजार जॉब कार्ड धारकों ने ही सौ दिन का काम किया है। शेष श्रमिकों ने पूर साल भर में काम नहीं मांगा है। जनपद में मिट्टी के कामों को मनरेगा के तहत कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही जहां मजदूर की जरूरत हो, वहां प्राथमिकता से मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से ही काम कराया जाए। मनरेगा जॉब कार्ड का अब ब्लॉक स्तर पर सत्यापन कार्य शुरू किया जाएगा। इसमें काम नहीं मांगने वाले या बाहर रहकर मजदूरी करने वालों को चिह्नित किया जाएगा और ऐसे श्रमिकों के जॉब कार्ड को ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसकी जगह दूसरे जरूरतमंद मजदूरों को जगह दी जाएगी।
मनरेगा के तहत सड़क निर्माण, नहरें बनाना, तालाब खुदाई का काम, कुएं बनाना, भूमि विकास के काम, सूखा राहत, बाढ़ नियंत्रण जैसे कार्य किए जाते हैं। इन कार्यों में मजदूरों की आवश्यकता होती है। ऐसे में इस योजना से जुड़े मजदूरों को इसमें कार्य दिया जाता है और उन्हें निर्धारित मजदूरी का भुगतान किया जाता है।
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