प्रकाशित - 22 Jun 2023
खरीफ फसल बुवाई सीजन में किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके, इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए अलग-अलग राज्य की सरकारें, अपने-अपने स्तर पर करोड़ रुपए की सिंचाई परियोजनाओं का ऐलान कर रही है।
इसी कड़ी में सरकार की ओर से सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को क्रियान्वित करने का कार्य किया जा रहा है। 20 करोड़ की लागत से शुरू की जाने वाली इस योजना का लाभ 1280 एकड़ क्षेत्र को मिलेगा। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इससे क्षेत्र के किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त रूप से पानी उपलब्ध हो सकेगा जिससे फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आज हम आपको हरियाणा राज्य सरकार की ओर से किसानों के लिए शुरू की जाने वाली सूक्ष्म सिंचाई के लिए नई परियोजना की जानकारी दे रहे हैं।
सूक्ष्म सिंचाई की इस परियोजना पर अभी हरियाणा में काम चल रहा है। इसके लिए यहां की राज्य सरकार की ओर से घोषणा कर दी गई है। इस परियोजना को शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं में बसे पंचकूला जिले के मोरनी क्षेत्र में शुरू किया जाएगा। इससे क्षेत्र के किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा।
इस परियोजना की लागत 20 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इससे करीब 1280 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। बता दें कि अभी इस नई परियोजना को मोरनी में पायलट प्रोजक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। यहां सफल होने के बाद अन्य जिलों में भी इस परियोजना को शुरू किया जाएगा।
हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई उच्चाधिकार प्राप्त क्रय समिति (एचपीपीसी) की बैठक में इस परियोजना के अलावा अन्य चार योजनाओं को भी मंजूरी दी गई। इनमें 87 करोड़ रुपए से अधिक की खरीद व कॉन्ट्रेक्ट को मंजूरी दी गई। वहीं बैठक में सिंचाई, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और मिकाड़ा के कुल चार एजेंडे रखे गए थे जिन्हें मंजूरी प्रदान की गई। इसके अलावा बैठक में विभिन्न कंपनियों से नेगोशिएशन के बाद दरें तय करके करीब 1 करोड़ 41 लाख रुपए की बचत की गई।
मुख्यमंत्री के अनुसार मोरनी खंड में टपरिया, कंडियावाला, कैंबवाला, खैरवाली, परवाला और लश्करीवाला गांवों के लिए सौर ऊर्जा संचालित एकीकृत सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन से किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। इस पायलेट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी ऐसे ही प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे।
इस परियोजना के माध्यम से ड्रिप इरिगेशन प्रणाली स्थापित किए जाने की योजना है। इससे कम पानी में अधिक क्षेत्र को सिंचित किया जा सकेगा। बैठक में बताया गया कि एकीकृत सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के तहत इंफिल्टेशन गैलरी बनाई जाएगी। इससे पानी को साफ किया जाएगा और उसे आगे भेजा जाएगा। पाइप तथा कुहल के जरिये पानी को स्टोरेज टैंक तक पहुंचाया जाएगा। यहां सूक्ष्म सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन प्रणाली स्थापित की जाएगी।
बैठक में गुरुग्राम जिले के गांव बास पदमका से सिवारी तक बहने वाली इंदौरी नदी के पुनरुद्धार की परियोजना को भी मंजूरी दी गई। इस नदी के पुनरुद्धार पर करीब 20 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत का अनुमान है।
इसके अलावा बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा सिंचाई विभाग की करीब 10 करोड़ रुपए से अधिक की एक ओर परियोजना को भी मंजूरी दी गई। इस परियोजना के तहत लाखन माजरा लिंक ड्रेन पर वीआर पुलों का पुन: निर्माण होगा।
वहीं बैठक में आदमपुर में 2 इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन की स्थापना के साथ ही सीवरेज नेटवर्क सिस्टम स्थापित करने के प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई। इस पर करीब साढ़े 34 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
हरियाणा सरकार की ओर से पानी की बचत व उसके सही इस्तेमाल के लिए किसानों को ड्रिप इरिगेशन को अपनाने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को 85 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
ड्रिप सिंचाई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल सिंचाई के लिए होता है जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली के उपयोग से करीब 70 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। दूसरा इससे फसल उत्पादन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इस तरह देखा जाए तो ड्रिप इरिगेशन के इस्तेमाल से किसानों को काफी लाभ होगा।
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