प्रकाशित - 21 Feb 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी एक्ट) देश की सबसे बड़ी रोजगार परक योजना है। इस योजना में 24 करोड़ 80 लाख ग्रामीण रजिस्टर्ड है जो हर साल 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने के हकदार है। केंद्र सरकार ने बजट 2024 में मनरेगा का बजट 26 हजार करोड़ बढ़ा दिया है। लेकिन मनरेगा अपडेट 2024 के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों के 1 करोड़ से कम मजदूरों को अब योजना का लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर 100 दिन का रोजगार नहीं दिया जाएगा। इन लोगों के नाम हटाने के पीछे सरकार ने कुछ कारण बताए हैं। आईये, जानें किन लोगों को मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिलेगा और नाम हटाने के पीछे क्या कारण है।
केंद्र सरकार ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा/ MGNREGA) के माध्यम से हर साल बड़ी राशि खर्च करती है। अब मनरेगा योजना (MGNREGA Scheme) के तहत वित्तवर्ष 2024-25 में 86 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट 2024 में मनरेगा योजना का बजट 26 हजार करोड़ रुपए बढ़ा दिया है। इस बजट में मनरेगा के लिए अनुमानित राशि पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा है। जबकि गत वित्तवर्ष में मनरेगा का बजट 60 हजार करोड़ रुपए था। वहीं 2014-15 में यह राशि 33 हजार करोड़ रुपए थी। केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मनरेगा का बजट बढ़ाकर ग्रामीण भारत के लोगों को संदेश दे दिया है कि सरकार उनके हितों का हमेशा ध्यान रखेगी, गांव में ही रोजगार के अवसर हमेशा मिलते रहेंगे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (MGNREGA) में देश के 25.80 करोड़ परिवार पंजीकृत है जिनमें से 14.33 करोड़ परिवार सक्रिय है। इन सक्रिय मजदूरों ने बीत तीन साल के दौरान कम से कम एक दिन काम किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक फरवरी 2024 तक कुल 85.64 लाख जॉब कार्ड सिस्टम से हटा दिए गए हैं। वहीं अप्रैल 2022 से फरवरी 2024 तक 311.19 लाख जॉब कार्ड हटाए गए हैं।
इन्हें अब मनरेगा मजदूरी का लाभ नहीं मिलेगा। मनरेगा जॉब कार्ड हटाने के पीछे मुख्य कारण ये बताए गए हैं :
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत के 12 राज्यों में एक करोड़ से ज्यादा मजदूर मनरेगा योजना में पंजीकृत है। सबसे ज्यादा पंजीकृत मजदूर महाराष्ट्र से हैं जबकि सबसे ज्यादा सक्रिय मजदूर उत्तरप्रदेश में है। आईये इस सारिणी से समझें
मनरेगा राज्य | सक्रिय मजदूर (Active Workers) | पंजीकृत मजदूर (Total Workers) |
---|---|---|
मनरेगा उत्तरप्रदेश | 1,43,03,441 | 2,01,22,269 |
मनरेगा पश्चिम बंगाल | 1,38,84,432 | 2,57,22,096 |
मनरेगा राजस्थान | 1,32,99,223 | 2,25,61,083 |
मनरेगा मध्यप्रदेश | 1,06,22,818 | 1,74,31,110 |
मनरेगा आंध्र प्रदेश | 96,94,275 | 1,21,30,821 |
मनरेगा बिहार | 96,36,794 | 1,71,32,830 |
मनरेगा तमिलनाडू | 92,17,818 | 1,23,49,856 |
मनरेगा कर्नाटक | 85,16,807 | 1,80,80,384 |
मनरेगा ओडिसा | 78,89,688 | 1,03,62,661 |
मनरेगा महाराष्ट्र | 69,18,343 | 2,86,65,760 |
मनरेगा असम | 63,89,051 | 1,16,82,956 |
मनरेगा तेलंगाना | 60,74,202 | 1,11,26,281 |
मनरेगा मजदूरों को योजना से बाहर के बाद मजदूरों में यह भ्रम बन गया है कि बैंक खाता आधार से लिंक नहीं होने के कारण उन्हें योजना से हटाया गया है जबकि ऐसा नहीं है। राज्य सरकारों ने हर साल की तरह नियमित प्रक्रिया के तहत नाम हटाए हैं। मंत्रालय के अनुसार मनरेगा का भुगतान मजदूरों द्वारा उपलब्ध कराए गए बैंक खाते व डाकघर खाते में नियमित किया जा रहा है। मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान आधार आधारित पेमेंट बिज सिस्टम के माध्यम से किया जा रहा है। एपीबीएस की यह व्यवस्था एक जनवरी 2024 से अनिवार्य कर दी गई है।
देश के 2 केंद्र शासित प्रदेश और एक राज्य में 10 हजार से भी कम परिवार मनरेगा में कार्यशील है। मनरेगा की वेबसाइट (https://nrega.nic.in) के अनुसार लक्ष्यद्वीप में 242 श्रमिक सक्रिय है जबकि 16 हजार 666 श्रमिक रजिस्टर्ड है। इसी प्रकार दादर नगर हवेली और दमनद्वीप में 1,976 श्रमिक सक्रिय और 34,226 श्रमिक रजिस्टर्ड है। गोवा में 7867 मनरेगा श्रमिक कार्यशील है जबकि 50,819 श्रमिक रजिस्टर्ड है।
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