प्रकाशित - 18 Dec 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए सरकार की ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब सरकार अगले एक महीने के दौरान भू-अभिलेख को आधार से लिंक करने का काम करेगी। यह घोषणा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने की है। उन्होंने कृषि विभाग की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन्हीं पात्र किसानों को दिए जाने की बात कही जिनका भू-अभिलेख आधार से लिंक हो।
दरअसल राजस्व सचिव हाल ही में कृषि विभाग की ओर से बामेती में एग्री स्टैक परियोजना के तहत डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं फार्मर रजिस्ट्री विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसमें उन्होंने कहा कि बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराना बहुत जरूरी है। इससे किसानों की जमीन के बारे में सही आंकड़े उपलब्ध होंगे जिससे जरूरतमंद किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने 31 जनवरी 2025 तक जियो रेफरेंस मैप तैयार करने का निर्देश दिया। बता दें कि राज्य में कुल 45 हजार राजस्व गांव हैं। इसमें रबी मौसम में 50 प्रतिशत राजस्व गांव का जियो रेफरेंस मैपिंग करने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत बड़ी क्रांति के रूप में की जा रही है। वर्तमान में किस जिले में, किस फसल की कितने क्षेत्र में खेती की गई है, इस विषय पर विभिन्न स्रोतों के अलग-अलग आंकड़े हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य में करीब 18 हजार से अधिक गांवों का डाटा उपलब्ध है। सचिव ने कहा कि पिछले साल रबी सीजन में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 5 जिलों जहानाबाद, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा और शेखपुरा के 831 गांवों में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराया गया था।
बिहार सरकार की ओर से किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाओं का संचालन किया जा है। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार से हैं-
बीज अनुदान योजना के तहत किसानों को धान एवं गेहूं के 10 साल से कम अवधि के प्रभेद के बीज पर सब्सिडी दी जाती है। जबकि दलहन एवं तिलहन के विकास के लिए 15 वर्षों से कम अवधि के प्रभेद के बीज पर अनुदान दिया जाता है। सरकारी बीज गुणन क्षेत्र में धान, बाजरा, मडुआ, अरहर, जूट, मूंग, लोबिया, मूंगफली और सोयाबीन शामिल है। वहीं रबी में गेहूं, जौ, चना, मटर, राई/सरसों और तीसी एवं मूंग, उड़द शामिल है। तिल के बीज के उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम योजना चलाई जा रही है। इसके तहत आधार बीज का वितरण सभी जिला एवं मुख्यालयों में शिविर लगाकर किया जाता है। बीज वितरण के समय ही सभी किसानों को बीजोत्पादन स्तर पर बीज वितरण का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से बीज ग्राम योजना के तहत धान एवं गेहूं के लिए 50 प्रतिशत अनुदान आधार/प्रमाणित बीज तथा दलहन एवं तिलहन के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी पर आधार/प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। प्रत्येक गांव में से 100 किसानों का चयन किया जाता है। उन किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाता है। वहीं धान की मिनी किट योजना के तहत 80 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
राज्य में किसानों के लिए जैविक खेती प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 6,500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान के पास कम से कम 2.5 एकड़ खेती की भूमि होनी चाहिए। योजना के तहत किसान को 2.5 एकड़ भूमि पर जैविक खेती के लिए कुल 16,250 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
वर्मी कम्पोस्ट पर अनुदान: फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किसानों को वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन के लिए अनुदान दिया जाता है। इसके तहत 75 घन फीट क्षमता की प्रतिष्ठित या अर्धस्थाई उत्पादन इकाई की कीमत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 3,000 रुपए प्रति इकाई की दर से अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत एक किसान अधिकतम 5 यूनिट के लिए अनुदान का लाभ ले सकता है।
हरी खाद के लिए अनुदान: योजना के तहत हरी खाद के रूप में ढैंचा व मूंग की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ढैंचा के बीज पर 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वहीं मूंग के बीज पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
गोबर या बायो गैस प्रोत्साहन योजना: इस योजना के तहत किसानों को 2 घनमीटर क्षमता के लिए इसकी लागत मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकतम 19,000 रुपए प्रति यूनिट की दर से अनुदान दिया जाता है।
राज्य में किसानों को सस्ती कीमत पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है। इन कृषि यंत्रों में कंबाइन हार्वेस्टर, पावर टीलर, जीरो टिलेज या सीड कम फर्टिलाइजर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, पंपसेट आदि कृषि यंत्रों पर किसानों को कृषि यंत्र की लागत का 40 से लेकर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
बिहार में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए यहां के किसानों को डीजल पर अनुदान दिया जाता है ताकि उन्हें फसलों की सिंचाई करना आसान हो जाए। इस योजना के तहत सरकार की ओर से पंपसेट से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए 75 रुपए प्रति लीटर की दर से प्रति एकड़ अधिकतम 750 रुपए डीजल अनुदान दिया जाता है। धान के बिचडे़ एवं जूट की फसल के लिए अधिकतम दो सिंचाई के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ अनुदान दिया दिया जाता है। वहीं खड़ी फसल में धान, मक्का और अन्य खरीफ फसलों के तहत दलहन, तिलहन, मौसमी सब्जी, औषधीय व सुगंधित पौधों की अधिकतम तीन सिंचाई के लिए 2250 रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत प्रति किसान अधिकतम आठ एकड़ क्षेत्र की सिंचाई के लिए अनुदान प्राप्त कर सकता है।
सात निश्चय- 02 “हर खेत तक सिंचाई का पानी” के तहत मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना चलाई जा रही है। इसके तहत सामान्य वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वहीं अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इस योजना के तहत 35 हजार नलकूपों पर अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
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