प्रकाशित - 25 Nov 2024
पट्टे पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। हाल ही में राज्य सरकार ने विधानसभा में इस संबंध में विधेयक पास किया गया है। राज्य सरकार की ओर से पारित किए ग्राम शामलात भूमि विनियमन संशोधन विधेयक-2024 के बाद अब प्रदेश के किसानों व ग्रामीणों के जमीन संबंधित विवादित मामलों को हल किया जा सकेगा। सरकार ने कब्जाधारी किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए यह फैसला किया है। इस विधेयक के तहत 20 साल पुराने विवादित मामलों का निपटारा किया जा सकेगा।
राज्य के जिन किसानों ने शामलात भूमि पर मकान बना रखे हैं और वह इस जमीन पर 20 साल से रह रहे हैं तो ऐसे किसानों को इस जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा यानी उनके नाम जमीन हो सकेगी। हालांकि इसमें अधिकतम 500 वर्ग गज तक बने मकानों को ही वैध माना जाएगा। इस प्रकार यदि किसी किसान ने सरकार से पट्टे पर खेती करने के लिए जमीन ले रखी है और वह उस पर 20 साल से खेती कर रहा है तो जमीन उसके नाम हो सकेगी।
सरकार की ओर से पारित किए विधेयक के मुताबिक शामलात देह जमीन किसानों के नाम की जा सकेगी। लेकिन किसानों को उसका मालिकाना हक पाने के लिए उन्हें बाजार मूल्य के आधार पर जमीन की कीमत चुकानी होगा। विधेयक के बाद विवादित जमीनों को वैध रूप से किसानों व ग्रामीणों के नाम किया जा सकेगा। बता दें कि इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार के शासन में 5 मार्च 2024 को हुई कैबिनेट की बैठक में शामलात जमीन को 20 साल पहले पट्टे पर लेने वाले किसानों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया गया था लेकिन लोकसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लगने से पुराने कानून में बदलाव नहीं हो सका था।
जमीन का हक पाने के लिए किसान को वर्तमान में प्रचलित बाजार भूमि दरों के आधार पर राशि का भुगतान ग्राम पंचायत को करना होगा। इसमें मूल पट्टेदार, हस्तांतरिक व्यक्ति या उनके कानूनी उत्तराधिकारी अपने स्वामित्व अधिकारों के हस्तांतरण के लिए इस राशि का भुगतान संबंधित ग्राम पंचायत को कर सकेंगे। हालांकि पंचायत की जमीन पर मालिकाना हक पाने का अधिकार 31 मार्च 2024 से पहले के मामलों के लिए होगा।
सरकार की ओर से पारित किए गए विधेयक में यह भी व्यवस्था की गई है कि अब प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान पर कृषि भूमि के मालिक की जगह पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे किसान को मुआवजा दिया जाएगा। बता दें कि राज्य में बहुत से किसान ऐसे हैं जो दूसरे की जमीन को किराये या पटटे पर लेकर खेती करते हैं। पहले पट्टे या किराये पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा नहीं मिलता था, बल्कि भूमि के वास्तविक मालिक को मुआवजा दिया जाता था। ऐसे में फसल नुकसान होने के बावजूद इन किसानों को कोई राहत नहीं मिल पाती थी। अब पट्टेदार किसानों को भी मुआवजा देकर उनके नुकसान की भरपाई की जाएगी।
किसानों को जमीन का मालिकाना हक देने के साथ ही हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने किसानों को एक राहत प्रदान की है। अब प्रदेश के किसानों को अपने खेत से गुजरने वाली हाईटेंशन बिजली की लाइनों के लिए भी मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए मुआवजा नीति बनाई गई है। इसके तहत किसानों को टावर एरिया की जमीन के लिए मार्केट रेट का 200 प्रतिशत मुआवजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान के तहत खेत से गुजरने वाली हाईटेंशन लाइन के नीचे की भूमि के टावर बेस एरिया से एक मीटर की परिधि तक की जमीन के लिए ही मुआवजा राशि दी जाएगी। खास बात यह है कि इस प्रावधान में मुआवजा की गणना के लिए जमीन के कलेक्टर रेट को नहीं बल्कि मार्केट रेट को आधार माना गया है।
शामलात देह भूमि वह जमीन होती है जो सरकारी रिकार्ड में शामलात देह के नाम से दर्ज है। यह वह जमीन होती है जो प्राइवेट मालिकों की ओर से किसानों की जमीन में से सामूहिक कार्यो के लिए रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ऐसी शामलात देह भूमि को पंचायती जमीन के रूप में दर्ज किया जाना किया जाना है। हरियाणा में ऐसी भूमि कई किसानों के पास है जिन पर विवाद है। किसानों को कहना है कि देश की आजादी के समय किसानों ने अपनी जमीन पशु चराने, जोहड़ और अन्य कार्य के लिए छोड़ दी थी जिसे सरकार लेना चाहती है। यदि ऐसी भूमि को सरकार ने पंचायत जमीन में बदला तो इससे किसानों को भारी नुकसान होगा। सरकार ने इस विवाद को हल करने के लिए किसानों के पक्ष में विधेयक लाकर उन्हें कानूनी तौर पर जमीन का मालिकाना हक देने की पहल की है जिससे किसानों को राहत मिलेगी।
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