कृषि मेला में किसानों को दी जाएगी स्मार्ट खेती और ड्रोन तकनीक की जानकारी

Share Product Published - 05 Mar 2022 by Tractor Junction

कृषि मेला में किसानों को दी जाएगी स्मार्ट खेती और ड्रोन तकनीक की जानकारी

जानें, मेले के प्रमुख आकर्षण और इससे किसानों को क्या होगा लाभ

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा की ओर से नई दिल्ली में कृषि विज्ञान मेला 2022 का आयोजन 9 मार्च को किया जाएगा। ये मेला तीन दिन चलेगा। इस मेले में किसानों को स्मार्ट खेती और ड्रोन तकनीक की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा किसान यहां से उन्नत बीज की खरीद भी कर सकेंगे। 

मीडिया रिपोट्स में दी गई जानकारी के अनुसार पूसा कृषि विज्ञान मेला 2022 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा द्वारा प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले कृषि मेले के लिए इस वर्ष की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इस वर्ष आयोजित होने वाले इस कृषि विज्ञान मेले में किसानों को स्मार्ट खेती, हाइड्रोपोनिक खेती, ड्रोन तकनीक, विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसलों के उन्नत बीज एवं जैविक खेती जैसे आधुनिक विषयों पर जानकारी दी जाएगी। इसी के साथ ही किसानों की समस्याओं का समाधान भी किया जाएगा। 

कब एवं कहां होगा आयोजित होगा कृषि मेला

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा की ओर से इस मेले का आयोजन नई दिल्ली में 9 मार्च से 11 मार्च के दौरान किया जाएगा। 9 मार्च को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा इस मेले का शुभारंभ किया जाएगा। इस तीन दिवसीय मेले का आयोजन संस्थान के मेला ग्राउंड, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में किया जाएगा।  

ये होंगे मेले के प्रमुख आकर्षण और गतिविधियां

कृषि विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किए जाने वाले इस मेले की मुख्य थीम तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान है। इस मेले में किसानों को कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। यह कृषि मेला जिन पांच विषयों पर केंद्रित रहेगा वे इस प्रकार से हैं-

  • स्मार्ट खेती मॉडल संरक्षित खेती / हाइड्रोपोनिक / एरोपोनिक / वर्टिकल खेती
  • कृषि उत्पादों के निर्यात प्रोत्साहन  
  • एग्री. स्टार्टअप एवं किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.)
  • जैविक तथा प्राकृतिक खेती  

तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान पर विषय पर केंद्रित होगा मेला

मेला भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि मेले की थीम तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान होगी। मेले में किसानों को स्मार्ट एग्रीकल्चर डिजिटल एग्रीकल्चर एवं ड्रोन के उपयोग आदि की जानकारी दी जाएगी। किसान उत्पादक संगठन कैसे किसानों की आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं इसके बारे में भी बताया जाएगा। प्राकृतिक और जैविक खेती से किसान कैसे सामंजस्य बनाएं और उसका जो उत्पादन होता है उसे बाजार से जोड़ करके किस प्रकार ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकता है, इन सब पहलुओं पर विशेषज्ञ विस्तार से चर्चा करेंगे। 

मेले में उन्नत बीज की खरीद भी कर सकेंगे किसान

किसान इस मेले से विकसित एवं उन्नत बीज की खरीद भी कर सकेंगे। डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि इस मौके पर पूसा में तैयार कई फसलों के उन्नत बीजों की बिक्री भी की जाएगी। किसान मिट्टी व पानी की जांच करवा पाएंगे। किसान संगोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं का वैज्ञानिकों द्वारा समाधान किया जाएगा।

मेले में बासमती की इन किस्मों का होगा विक्रय

मेले में पूसा बासमती की चार नई किस्मों पर फोकस किया जाएगा। इनमें पूसा बासमती 1847, 1885, 1886 एवं 1692 शामिल हैं। पूसा बासमती 1847 को बासमती 1509 की जगह तैयार किया गया है। नई किस्म यानी बासमती 1847 में ब्लास्ट और शीथ ब्लाइट नामक फफूंदी रोग नहीं लगेगा। जबकि पूसा बासमती 1885 को बासमती 1121 की जगह तैयार किया है। नई किस्म में 20 फीसदी पैदावार ज्यादा है। इसी प्रकार 1886 को 1401 सुपर बासमती की जगह निकाला गया है। नई किस्म ज्यादा सुगंधित हैं। साल 2021 में आई पूसा बासमती 1692 पर भी फोकस होगा। किसान इन सभी किस्मों का एक-एक किलो बीज ले पाएंगे।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के बारे में

पूसा संस्थान के नाम से लोकप्रिय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना मूल रूप से पूसा (बिहार) में एक अमेरिकी समाजसेवक मि. हेनरी फिप्स द्वारा दिए गए 30,000 पाउंड् के सहयोग से 1905 में हुई थी। मूल रूप में यह संस्थान इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान था जो ब्रिटिश काल में में स्थापित किया गया था। सन् 1934 में बिहार में एक भयंकर भूकंप आया जिसमें इस संस्थान के मुख्य भवनों को काफी क्षति हुई। इसके परिणामस्वरूप उसी वर्ष इस संस्थान को नयी दिल्ली स्थानान्तरित कर दिया गया जिसे पूसा कैम्प्स कहा गया। आगे चलकर दिल्ली स्थित यह संस्थान का नाम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कर दिया गया। और पूसा में जो कुछ बचा रहा उसे पदावनत करके कृषि अनुसंधान स्टेशन कहा जाने लगा। आखिरकार 3 दिसंबर सन 1970 को भारत सरकार ने इसी को नामांतरित करके राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के रूप में बदल दिया। बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली की ओर से किसानों के लिए हर साल कृषि मेला का आयोजन किया जाता है। कृषि मेला आयोजित करने मुख्य उद्देश्य किसानों को कृषि में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीकों की जानकारी देने के साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान करना है।  

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