Published - 11 Aug 2021 by Tractor Junction
केंद्र सरकार की ओर से किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं। इस किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इससे किसानों को अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने में काफी सहायता मिलती है। अब तक केसीसी का फायदा केवल किसानों ही को दिया जाता रहा। इसके बाद सरकार ने केसीसी का दायरा ओर बढ़ाया और इससे पशुपालक और मछली पालकों को जोड़ा गया। अब नई व्यवस्था के तहत सब्जी उत्पादकों को भी इससे जोड़ा गया है। बता दें कि देश भर में बड़ी संख्या में किसान सब्जियों की खेती करते हैं। बिहार में ऐसे सब्जी उत्पादक किसानों की संख्या अधिक है। इसे ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने राज्य के सब्जी उत्पादकों को इसका लाभ देने की पहल की है ताकि उन्हें आसानी से अपनी कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके।
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बिहार राज्य में काफी संख्या में सब्जी उत्पादक किसान है और ये किसान गरीब हैं और छोटी जोत वाले हैं। ऐसे किसानों के सामने फसल बुवाई के समय आदान जैसे- बीज, खाद आदि खरीदने संबंधी परेशानी आती है। फसल बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है और इन किसानों के पास पहले पूंजी लगाने को नहीं होती है। इस कारण से कई किसान खेती का काम छोडक़र राज्य के बाहर मजदूरी करने के लिए चले जाते हैं। किसानों का राज्य से पलायन कम करने और राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने सब्जी उत्पादक किसानों को भी केसीसी का लाभ देने का निर्णय लिया है। इससे राज्य के डेढ़ लाख किसानों को फायदा होगा।
प्रखंड स्तरीय प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों से संबद्ध किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
मीडिया में प्रकाशित खबरों अनुसार पटना के एक उच्चाधिकारी ने स्थानीय अखबार को बताया है कि प्रदेश के सब्जी उत्पादक किसानों को ऋण सुविधा देकर प्रोत्साहन और बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। पहले चरण में 20 जिलों को शामिल किया गया है। इनमें पटना, नालंदा, वैशाली, भोजपुर, बक्सर, छपरा, गोपालगंज, सिवान, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा और सुपौल को शामिल किया गया है। इन जिलों में गठित प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों से जुड़े 25 हजार किसानों को केसीसी दिया जा रहा है।
पहले चरण में 25 हजार किसानों को लाभ पहुंचाने के बाद सरकार का लक्ष्य दूसरे चरण में 50 हजार सब्जी उत्पादक किसानों को केसीसी देने का है। किसानों के लिए इसका फायदा उठाने की साधारण सी शर्त यही है कि सब्जी उत्पादकों को प्रखंड स्तरीय प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियों (को-ऑपरेटिव) से जुडऩा होगा।
अगले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार इस योजना का तीसरा चरण शुरू करेगी और प्रदेश के 75 हजार किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा। अभी 20 जिलों में वर्तमान में तीन सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन संघ कार्यरत हैं। इन संघों से 213 प्रखंड स्तरीय प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहयोग समितियां संबद्ध हैं और इनके तहत करीब 25 हजार किसान समिति सदस्य हैं। वेजफेड अब राज्य भर में समितियों की संख्या बढ़ाने और अधिक किसानों को इससे जोडऩे का काम कर रही है।
किसान क्रेडिट कार्ड ( केसीसी ) भारत सरकार की एक योजना है जिसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के किसानों को आमतौर पर उधारदाताओं जैसे साहूकारों द्वारा वसूल की जाने वाली उच्च-ब्याज दरों से बचाना है। इस योजना के तहत ब्याज दर 2 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसके अलावा, पुनर्भुगतान अवधि फसल की कटाई या व्यापार अवधि पर आधारित होती है जिसके लिए लोन राशि ली गई थी।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) द्वारा निर्धारित की गई थी और भारत के सभी प्रमुख बैंकों द्वारा इसका पालन किया गया है। केसीसी की पेशकश करने वाले बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक हैं। इसके अलावा अन्य बैंक भी है जो क्रेडिट कार्ड प्रदान करते हैं जिनमें बैंक ऑफ इंडिया, ओडिशा ग्राम्य बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बंगिया ग्रामीण विकास बैंक शामिल हैं।
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