प्रकाशित - 28 Jul 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
MNREGA : मनरेगा योजना देश की सबसे बड़ी योजना है जो ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक जरूरतमंद मजदूर को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है। इसी योजना के तहत प्रदेश में पौधे लगाने का काम किया जाएगा और उनकी देखभाल के लिए वाच एंड गार्ड के रूप में कच्ची नौकरी पर ग्रामीणों को रखा जाएगा। इससे दो तरह से लाभ होगा। एक तो जरूरतमंद ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मिल जाएगा। वहीं दूसरी ओर पौधों की देखभाल सही से होने से पौधा, पेड़ बनने तक सुरक्षित रहेगा जिससे ग्रीन सिटी का सपना साकार करने में सहायता मिलेगी।
आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्मी दिनों-दिन तेज होती जा रही है और आने वाले समय में यदि पेड़ नहीं लगाए गए तो इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं। इसे देखते हुए अभी से ही सरकार सचेत होकर लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर ही है। इसी कड़ी में एक पेड़ मां के नाम अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक वृक्षारोपण अभियान से जुड़कर पौध रोपण करें और पौधे को पेड़ बनने तक उसकी सुरक्षा करें।
ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाओं की ओर से पेड़ तो लगा दिए जाते हैं लेकिन उचित देखभाल की वजह से पौधे, पेड़ बनने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं जिससे पौधरोपण का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से इनकी देखभाल व सार संभाल के लिए वाच एंड गार्ड नियुक्त किए जाएंगे जिन्हें मनरेगा के तहत कच्ची नौकरी पर रखा जाएगा। इनका काम पौधे को समय पर पानी, खाद आदि देना होगा और उनकी सुरक्षा करना होगा ताकि वे पेड़ बन सकें। इसके लिए उन्हें मनरेगा के तहत प्रतिमाह वेतन के रूप में धनराशि दी जाएगी। इस योजना से राज्य के करीब 8,000 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। योजना के तहत जरूरत के अनुसार इन वाच एंड गार्ड की संख्या कम व ज्यादा हो सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 200 पौधे एक साथ लगाए जाएंगे वहां पर एक अकुशल श्रमिक को लगाया जाएगा। वह समय-समय पर पौधे को पानी खाद आदि देगा और उसकी सुरक्षा और देखभाल करेगा। यदि व ठीक तरीके से देखभाल नहीं करता है और पौधा मर जाता है तो उसे भुगतान नहीं किया जाएगा या मानदेय का कम भुगतान किया जाएगा।
सरकार की ओर से वृक्षारोपण अभियान के तहत पौधों का रोपण सरकारी स्थान, ग्राम पंचायत, मुक्तिधाम, जोहड, गोशाला व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किया जाएगा। झुंझुनूं जिले में 185 जगह ऐसी चिह्रित कर ली गईं है जहां अकुशल श्रमिकों को वाच एंड गार्ड के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। इसी तरह राज्य के अन्य जिलों में भी जगहों का चयन किया जाएगा जहां पौधरोपण किया गया है।
जिस ग्रामीण को पौधों की देखभाल का काम सौंपा जाएगा उसे नरेगा के मद से अकुशल श्रमिकों के नियमों के अनुसार मानदेय का भुगतान किया जाएगा। यदि वह श्रमिक नियमित कार्य करते हैं और पौधों की सही तरीके से सुरक्षा व देखभाल करते हैं तो उन्हें करीब 5 से 6 हजार रुपए प्रति माह भुगतान किया जा सकेगा। इसके विपरित यदि वे कार्य में लापरवाही बरतते है तो भुगतान कम भी हो सकता है।
यदि बात की जाए राजस्थान की तो यहां मनरेगा के तहत काम करने वाले अकुशल श्रमिक को 266 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है और इस योजना के तहत 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। यदि श्रमिक कुशलता से कार्य करता है तो उसे 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार भी दिया जाता है। वहीं विशेष योग्यजनों को 100 दिन के बाद फिर से 100 दिन का रोजगार दिया जा सकता है।
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