प्रकाशित - 13 Feb 2024
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें उन्हें खेती के साथ पशु पालन (animal husbandry) व मछली पालन (Fisheries) के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में मछली पालक किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Sah Yojana) को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत 6,000 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इस योजना को अगले चार वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा।
खास बात यह है कि इस योजना के तहत मछली पालन बिजनेस (fish farming business) के लिए सरकार की ओर से 45 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा सरकार की ओर से मछली पालन में पुरुष और महिलाओं को नौकरियां सृजित की जाएगी जिसमें पुरुषों को 10,000 और महिलाओं को 15,000 रुपए प्रतिवर्ष दिए जाएंगे। ऐसे में मछली पालन का काम करने वाले महिला-पुरुषों के लिए यह योजना काफी लाभकारी साबित हो सकती है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) को मंजूरी दी है। इस योजना को 2023-24 से 2026-27 तक अगले चार वर्षों के लिए सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे वह बड़े बिजनेस के रूप में उभर सके। इस योजना पर सरकार 6,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाना और मत्स्य पालन से जुड़े सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को समर्थन देना है।
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Sah Yojana) का लाभ मछुआरे, मछली (जलीय कृषि) किसान, मछली श्रमिक, मछली विक्रेता या ऐसे अन्य लोग जो सीधे मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला से जुड़े हुए हैं उनको दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रॉपराइटरी फर्मों, साझेदारी फर्मों और भारत में पंजीकृत कंपनियों, समितियां, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी), सहकारी समितियों, संघों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), मछली किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) जैसे ग्राम स्तरीय संगठनों के रूप में सूक्ष्म और लघु उद्यम और मत्स्य पालन व जलीय कृषि मूल्य श्रृंखला में लगे स्टार्टअप, किसान उत्पादक संगठनों एफपीओ को योजना का लाभ दिया जाएगा।
योजना के घटक सृजित और अनुरक्षित नौकरियों की संख्या के तहत महिलाओं के लिए सृजित व अनुरक्षित नौकरियां शामिल हैं। इसके तहत एक महिला के लिए सृजित और अनुरक्षित प्रत्येक नौकरी के लिए हर साल 15,000 रुपए की राशि का भुगतान किया जाएगा। इसी तरह एक पुरुष के लिए सृजित और अनुरक्षित प्रत्येक नौकरी के लिए प्रति वर्ष 10,000 रुपए की राशि का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा। यह कुल पात्र अनुदान का 50 प्रतिशत की सीमा के अधीन होगा।
मत्स्य पालन क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला दक्षता में सुधार के लिए सूक्ष्म उद्यमों को समर्थन के तहत सामान्य श्रेणी में सूक्ष्म उद्यम के लिए प्रदर्शन अनुदान कुल निवेश का 25 प्रतिशत या 35 लाख रुपए, जो भी कम हो दिया जाएगा। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म उद्यमों के लिए कुल निवेश का 35 प्रतिशत या 45 लाख रुपए, जो भी कम हो दिया जाएगा। ग्राम स्तरीय संगठनों और एसएचजी, एफएफपीओ और सहकारी समितियों के संघों के लिए प्रदर्शन अनुदान कुल निवेश का 35 प्रतिशत या 200 लाख रुपए जो भी कम हो, अनुदान दिया जाएगा।
कुल निवेश में नए संयंत्र और मशीनरी, तकनीकी सिविल/इलेक्ट्रिकल कार्यों और संबंधित बुनियादी ढांचे, परिवहन और वितरण बुनियादी ढांचे, नवीनीकरण ऊर्जा उपकरण सहित ऊर्जा कुशल उपकरणों, मूल्य श्रृंखला दक्षता में सुधार के लिए किए गए प्रयास सहित प्रौद्योगिकी उपाय और योजना के तहत आवेदन के वर्ष में सृजित अतिरिक्त नौकरियों के लिए वेतन बिल पर हुए पूंजीगत निवेश पर किया गया व्यय शामिल होगा।
योजना के घटक बी के तहत उचित बीमा उत्पाद तैयार करने की सुविधा प्रदान करने और संचालन को बड़े स्तर पर बढ़ाने के लिए परियोजना अवधि के दौरान कम से कम एक लाख हैक्टेयर जलीय कृषि फार्मों को कवर करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 4 हैक्टेयर जल प्रसार क्षेत्र और उससे कम के खेत के आकार के साथ बीमा खरीदने के इच्छुक किसानों को एक मुश्त प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव है। एक मुश्त प्रोत्साहन प्रीमियम की लागत का 40 प्रतिशत की दर से होगा, जो जलीय कृषि फार्म के जल प्रसार क्षेत्र के प्रति हैक्टेयर 25,000 रुपए की सीमा के अधीन होगा। एकल किसान को अधिकतम 1,00,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रोत्साहन के लिए पात्र अधिकतम खेत का आकार 4 हैक्टेयर जल प्रसार क्षेत्र है।
केज कल्चर, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), बायो-फ्लोक, रेसवे आदि खेतों के अलावा जलीय कृषि के अधिक बड़े रूप के लिए देय प्रोत्साहन प्रीमियम का 40 प्रतिशत है। अधिकतम देय प्रोत्साहन एक लाख रुपए है और पात्र इकाई का अधिकतम आकार 1800 एम का होगा। एकमुश्त प्रोत्साहन का उपरोक्त लाभ केवल एक फसल यानी एक फसल चक्र के लिए खरीदे गए जलीय कृषि बीमा के लिए प्रदान किया जाएगा। इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं को सामान्य श्रेणियों के लिए देय प्रोत्साहन की तुलना में 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। इससे जलीय कृषि बीमा उत्पादों के लिए एक मजबूत बाजार तैयार होगा।
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