प्रकाशित - 27 Nov 2024
National Mission on Natural Farming : केंद्र सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission on Natural Farming) को मंजूरी प्रदान की गई है। इस योजना पर सरकार 2481 करोड़ खर्च करेगी। योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। वहीं किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। योजना का लाभ एक करोड़ किसानों को दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
सरकार का मानना है कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से किसानों को अपने उत्पाद के बाजार में बेहतर दाम मिल सकेंगे। प्राकृतिक खेती से किसान कम लागत पर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे। वहीं आमजन को रसायन मुक्त अनाज, फल, सब्जियां खाने को मिल सकेगी जो उन्हें स्वस्थ्य रखने में सहायक होंगे।
केंद्र सरकार की ओर से देश के किसानों के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना (National Natural Farming Mission Scheme) की शुरुआत की गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमडल की बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत सरकार 2481 रुपए खर्च किए जाएंगे जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 1584 करोड रुपए और राज्य सरकार की द्वारा 897 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है।
सरकार के मुताबिक योजना के तहत अपने पूर्वजों से विरासत में मिले पारंपरिक ज्ञान पर आधारित, किसान रसायन मुक्त खेती के रूप में प्राकृतिक खेती की आदत डालेंगे। इस प्रकार की खेती के तहत स्थानीय पशुधन एकीकृत प्राकृतिक खेती के तरीके, विविध फसल प्रणाली आदि शामिल हैं। प्राकृतिक खेती स्थानीय ज्ञान, स्थान विशिष्ट प्रोद्योगिकियों पर आधारित स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी सिद्धांतों का पालन करती है और स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी के अनुसार विकसित होती है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना (National Natural Farming Mission Scheme) का उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती की कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है। मिशन का उद्देश्य किसानों को खेती में आने वाली लागत को कम करना और बाहर से खरीदे गए संसाधानों पर निर्भरता को कम करने में सहायता करना है। प्राकृतिक खेती स्वस्थ मृदा इकोसिस्टम का निर्माण और रखरखाव करेगी। इससे जैव विविधता को भी बढ़ावा देगी। इसके अलावा प्राकृतिक खेती लाभकारी स्थानीय स्थाई खेती के लिए उपयुक्त लचीलापन बढ़ाने के लिए कई प्रकार की फसल प्रणालियों को प्रोत्साहित करेगी।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission) के तहत प्राकृतिक खेती इस योजना को अगले दो सालों में इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों में लागू किया जाएगा। इस योजना से करीब एक करोड़ किसानों को जोड़ा जाएगा। शुरुआती दौर में करीब 7.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें प्राकृतिक खेती करने वाले किसान, एसआरएलएम/पीएसीएस/एफपीओ आदि प्रचलन वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं किसानों के लिए उपयोग के लिए तैयार एनएफ लागत की आसान उपलब्धता और पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यकता-आधारित 10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित किए जाएंगे।
प्राकृतिक खेती मिशन (Natural Farming Mission) के तहत कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों के खेतों में करीब 2000 प्राकृतिक खेती मॉडल का प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे और इन्हें अनुभवी और प्रशिक्षित किसान मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। प्राकृतिक खेती करने के इच्छुक किसानों को उनके गांवों के पास कृषि विज्ञान केंद्रो (केवीके), कृषि विश्वविद्यालयों और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के खेतों में प्राकृतिक खेती पैकेज ऑफ प्रेक्टिस, प्राकृतिक खेती इनपुट की तैयारी आदि पर मॉडल प्रदर्शन फार्मों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
किसानों को प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के प्रति जागरूक ओर एकजुट करने और समूहों में इच्छुक किसानों की सहायता के लिए 30,000 कृषि सखियों व सीआरपी को तैनात किया जाएगा। योजना के तहत 18.75 लाख प्रशिक्षित इच्छुक किसान अपने पशुओं का उपयोग करके या बीआरसी से खरीद करके जीवामृत, बीजामृत आदि जैसे कृषि संबंधी संसाधन तैयार करेंगे।
सरकार के मुताबिक प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तरीकों को अपनाने से किसान को खेती की लागत कम करने और बाहर से खरीदे गए संसाधनों पर निर्भरता कम करने में सहायता मिलेगी। इसी के साथ ही किसानों को मिट्टी की सेहत, उर्वरता और क्वालिटी को फिर से जीवंत करने और जलभराव, बाढ़, सूखे आदि जैसी जलवायु जोखिमों से संभलने का सामर्थ्य पैदा करने में मदद मिलेगी। ये तरीके उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करते हैं और किसान के परिवार को स्वस्थ्य और पोष्टिक भोजन प्रदान करते हैं। इसके अलावा प्राकृतिक खेती के जरिये आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ धरती माता विरासत में मिलती है। प्राकृतिक खेती से मिट्टी में कार्बन की मात्रा व जल उपयोग दक्षता में सुधार होने के साथ ही मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की बढ़ोतरी होती है। प्राकृतिक खेती से जैव विविधता में बढ़ोतरी होती है।
योजना के तहत किसानों को अपने प्राकृतिक उत्पाद बेचने की सुविधा भी जाएगी। इसके लिए योजना के तहत किसानों को एक आसान प्रमाणन प्रणाली और समर्पित सामान्य ब्रांडिंग प्रदान की जाएगी ताकि उनके प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंच प्रदान की जा सकें। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के कार्यान्वयन की वास्तविक समय की जियो-टैग और संदर्भित निगरानी एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।
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