Published - 23 Apr 2022 by Tractor Junction
सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत केंद्र सरकार की ओर से एफपीओ योजना चलाई जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके द्वारा उत्पादित वस्तु का बाजार में उचित मूल्य दिलाना है। एफपीओ को लेकर सरकार नई योजना पर काम कर रही है। इसके तहत किसानों को बुवाई से लेकर बाजार तक किसानों को सक्षम बनाया जाएगा। एफपीओ को लेकर केंद्र सरकार एक नई योजना पर कार्य कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से 6,865 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बता दें कि देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें एफपीओ के माध्यम से आदान उपलब्ध कराने से लेकर प्रोसेसिंग व उपज की बाजार में उचित दाम पर बिक्री में सहयोग जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश में बनाए जा रहे 10 हजार कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्कीम को सुचारू रूप से लागू करने के संबंध में क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) का राष्ट्रीय सम्मेलन बीते दिनों दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि एफपीओ से किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सीबीबीओ को हर जतन करना होगा। एफपीओ की परिकल्पना तब पूरी होगी, जब एफपीओ बनने के बाद उसका लाभ किसानों को मिलने लगे तथा केसर की तरह उसकी खुशबू फैले और सारे किसान कहें कि हमें भी एफपीओ से जोडि़ए व आगे नए एफपीओ गठन के लिए सरकार से मांग हो। सीबीबीओ को सरकार साधन दे रही है, जिससे अच्छे परिणाम आना चाहिए। सीबीबीओ इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ हैं, जागरूकता फैला सकते हैं, किसानों को खेती में टेक्नोलॉजी दे सकते हैं, श्रेष्ठ एफपीओ के गठन के लिए सीबीबीओ को सभी को साथ लेकर कार्य करना चाहिए।
तोमर ने कहा कि देश में पहले करीब 7 हजार एफपीओ बने थे, लेकिन अधिकतर टिकाऊ नहीं हो पा रहे थे, नई योजना पर सरकार 6,865 करोड़ रुपए खर्च करेगी। देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें एफपीओ के माध्यम से आदान उपलब्ध कराने से लेकर प्रोसेसिंग व उपज की बाजार में उचित दाम पर बिक्री में सहयोग जैसी सुविधाएं दिलाना सरकार का उद्देश्य है। वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि एफपीओ की स्कीम में सीबीबीओ महत्वपूर्ण कड़ी है, ये ठान लें तो उद्देश्य की प्राप्ति जरूर होगी। कुल मिलाकर, उद्देश्य यह है कि किसानों को लाभ पहुंचे।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी ने सीबीबीओ से सरकार की अपेक्षाएं बताई। संयुक्त सचिव डॉ. विजय लक्ष्मी ने स्वागत भाषण में बताया कि योजना में तीन प्रमुख क्रियान्वयन एजेंसियों-नाबार्ड, एसएफएसी व एनसीडीसी सहित 13 अन्य एजेंसियों को नामित किया गया है। नाबार्ड के चेयरमेन जी.आर. चिंताला ने स्कीम को लेकर कुछ सुझाव दिए। राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन एजेंसी ईवाय के पार्टनर श्री सत्यम शिवम सुंदरम ने प्रेजेन्टेशन दिया। लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) की एमडी नीलकमल दरबारी ने सम्मेलन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर एसएफएसी, नाबार्ड, एनसीडीसी, नैफेड, एपीएमएएस, ई एंड वाई, एक्सेज डेवलपमेंट सर्विसेज, ग्रांट थार्नटन व अन्य कंपनियों के अधिकारी व देशभर से आए सीबीबीओ के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।
एफपीओ यानि फॉर्म फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन वह संगठन होता है जिसके सदस्य किसान होते हैं। एफपीओ के माध्यम से किसानों को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। इस योजना तहत किसान 15 लाख रुपए तक का ऋण भी ले सकते हैं।
एफपीओ योजना का लाभ विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों को दिया जाएगा। इस योजना के तहत 11 किसान मिलकर समूह बना सकते हैं। ये 11 किसानों का समूह एफपीओ के रूप में काम करेगा। हालांकि ये लघु एफपीओ की श्रेणी में होगा। इस समूह को किसानों को कंपनी अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड करवाना होगा। रजिस्टर्ड करवाने के बाद एफपीओ एक कंपनी रूप में काम कर सकता है। एफपीओ को वह सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी जो एक कंपनी को मिलती हैं।
एफपीओ के माध्यम से किसान 15 लाख रुपए का ऋण सहकारी बैंक से ले सकते हैं जिस पर कोई भारी ब्याज नहीं वसूला जाएगा। इस तरह एफपीओ के जरिये किसान लाभ उठा सकते हैं। ये सुविधा उन एफपीओ को दी जाएगी जिनमें किसान सदस्यों की संख्या अधिक होगी। बता दें कि मैदानी इलाकों में एफपीओ में कम से कम 300 सदस्य जुड़े होना चाहिए जबकि पहाड़ी इलाकों के मामले में ये संख्या 100 है। यानि कम से कम 100 सदस्य पहाड़ी इलाकों के एफपीओ में होने चाहिए।
पीएम एफपीओ योजना (Pm Kisan FPO Yojana) का लाभ उठाने के लिए आपको इसमें आवेदन करना होगा। इसके लिए आपको https://enam.gov.in/web/ पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। जिनमेें आधार कार्ड, निवास प्रमाण-पत्र, खेती की जमीन के कागजात, राशन कार्ड, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, मोबाइल नंबर आदि दस्तावेजों की जरूरत होगी।
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