Published - 15 Nov 2021 by Tractor Junction
खेतीबाड़ी और बागवानी के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है। इसी के साथ मछलीपालकों के लिए भी सरकार की ओर से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार की ओर से झींगा मछली पालन को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से 4 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में झींगा मछली पालन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए किसानों को 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। राज्य सरकार का मानना है कि इससे राज्य के किसानों की आय बढ़ेगी।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार सरकार ने वर्ष 2024-25 तक 4000 हैक्टेयर भूमि में झींगा मछली पालन करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2014 में केवल 28 हैक्टेयर भूमि तक यह काम सिमटा हुआ था। अब 493 हैक्टेयर में मछली पालन किया जा रहा है। हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य व डेयरी मंत्री पुरशोत्तम रूपाला से मुलाकात के दौरान इस बात की जानकारी दी।
राज्य सरकार राज्य में पड़ी अनुपयोगी पड़ी जमीन का इस्तेमाल झींगा मछली उत्पादन के लिए करना चाहती है। इसके तहत उस भूमि का उपयोग किया जाएगा जिसमें खेती नहीं हो रही है। इस संबंध में दलाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मुलाकात कर प्रदेश में कृषि, मछली एवं पशुपालन के लिए योजनाओं को क्रियान्वित करने का आग्रह किया। जिस पर दोनों मंत्रियों ने उचित आश्वासन दिया। दलाल ने बताया कि कृषि के लिए अनुपयोगी साबित हो चुकी जमीन को मछली पालन के लिए किसानों को लीज पर देकर उसका सदुपयोग किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश में दुग्ध, पशुपालन के क्षेत्र में हुए विकास के बारे में भी जानकारी दी।
दलाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री को बताया कि हरियाणा सरकार ने फसल खराब होने पर दी जाने वाली मुआवजा राशि को 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 हजार प्रति एकड़ किया गया है। इसी तरह 10 हजार रुपये की मुआवजा राशि को बढ़ाकर 12500 किया गया है। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से हरियाणा में खराब हुई फसलों का पैसा किसानों को जल्द से दिलवाने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इसी लक्ष्य का एक हिस्सा है, जिसमें देश के मछली पालकों के लिए अनेक सुविधाएं दी गई हैं। योजना के तहत सभी प्रोजेक्ट्स पर सामान्य जाति के प्रार्थियों को 40 प्रतिशत व अनुसूचित जाति व महिला प्रार्थियों को 60 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता दी जाती है। इस पर दलाल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि हरियाणा प्रदेश में केंद्र की इस योजना को प्रमुखता से लागू किया गया है।
जेपी दलाल के अनुसार हरियाणा मछली उत्पादकता में 9600 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष की दर से देश में पहले स्थान पर है। सभी जिला मत्स्य अधिकारियों को 31 मार्च, 2022 तक मत्स्य यूनिट स्थापित करने का टारगेट दिया गया है। चरखी दादरी व करनाल जिलों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत वर्ष 2020-21 के दौरान दो बड़ी पैलेटिड फीड मिल प्लांट की स्थापना की गई है। साल 2020-21 के दौरान हरियाणा में 1440 लाख झींगा पालन बीज संचय किया गया है।
किसान और पशुपालकों की तरह ही मछली पालन करने वालों को भी सरकार की ओर से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की जाती है। इसकेे लिए लाभार्थी को सरकारी बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाना होता है। इसके बाद उसे बैंक की ओर से उसे कम ब्याज पर लोन ले सकते हैं। बता दें केसीसी पर लिए गए 3 लाख रुपए तक के लोन की ब्याज दर वैसे तो 9 फीसदी है। लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है। इस तरह यह 7 फीसदी पड़ता है। लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है। इस तरह इसकी दर ईमानदार किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है।
अंतर्देशीय मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर मछुआरे, मछली पालक (व्यक्तिगत और समूह / साझेदार / फसल / किरायेदार किसान), स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह और महिला समूह किसान क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के दो और तरीके हैं। जिस बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाना चाहते हैं उस बैंक की वेबसाइट पर जाएं और उस बैंक के किसान क्रेडिट कार्ड सेक्शन पर जाएं। आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर प्रिंट कर लें। इस फॉर्म को सावधानीपूर्वक भर ले। अधिकतर कॉमर्शियल बैंकों की वेबसाइट पर यह फॉर्म उपलब्ध है। किसान आवेदन और आवश्यक दस्तावेजों को निकटतम बैंक की शाखा में जमा करें। लोन अधिकारी आवेदक के साथ आवश्यक जानकारी साझा करेगा। इसके बाद लोन की राशि (लिमिट) मंजूर होते ही कार्ड भेज दिया जाएगा।
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