Published - 03 Dec 2021 by Tractor Junction
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इससे किसानों को लाभ मिल रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसी कड़ी में एक ऐसी योजना सरकार की ओर से शुरू की गई है जिसका लाभ उठा कर किसान अपनी आय बढ़ा सकता है। बता दें सरकार की ओर कुक्कुट पालन यानि मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। इसके तहत किसान अपने खेत में पोल्टी फॉर्म खोलने के लिए भी बैंक से लोन ले सकते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। किसान खेती के साथ कुक्कुट पालन का काम भी कर सकते हैं। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी जिससे उनकी आय में इजाफा होगा। हम यहां बैकयार्ड कुक्कुट, बत्तख या बटेर पालन योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी और पोल्ट्री पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इसका लाभ उठा सकें।
किसानों के लिए कृषि के अलावा अतिरिक्त आमदनी के लिए पशुपालन या कुक्कुट पालन (Murgi Farm Yojana) बेहतर जरिया है। किसान अपने घर या खेत पर खाली स्थान पर कुक्कुट पालन करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कुक्कुट पालन के लिए राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर इससे अनुदान का लाभ प्रदान करती है। बता करें छत्तीसगढ़ राज्य की तो छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए अधिकतम 90 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान बैकयार्ड कुक्कुट, बत्तख या बटेर पालन योजना के अंतर्गत है। राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना संचालित की जा रही है।
कुक्कुट, बत्तख या बटेर के चूजे के लिए राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके तहत सामान्य वर्ग के लिए लागत का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत कि सब्सिडी लाभार्थियों को दी जाती है।
पशुधन विभाग ने 28 दिवसीय 45 कुक्कुट / बत्तख के चूजे अथवा 80 बटेर के चूजे के लिए 3,000 रुपए की लागत तय की है। जिसपर सामान्य वर्ग को 75 प्रतिशत यानि 2,250 रुपए और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत यानि 27,00 रुपए अनुदान के रूप दिए जाते हैं।
बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना अंतर्गत पक्षियों के पालन-पोषण, रख-रखाव तथा आवास व्यवस्था हेतु पृथक से किसी राशि की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए आवास के लिए किसी प्रकार का पैसा नहीं दिया जाता है। हितग्राही कुक्कुट पालन को घर या खेत पर कर सकता है।
राज्य के पशुपालन विभाग के अनुसार हितग्राहियों को 28 दिवसीय 45 कुक्कुट/बतख चूजे अथवा 80 बटेर चूजे प्रदाय किए जाते हैं। दिए जाने वाले चूजों से 5 माह बाद औसतन 10 से 12 अंडे प्रतिदिन उत्पादित होते हैं, जो लगभग 10 रुपए प्रति नग के हिसाब से विक्रय किए जाते हैं। इसी तरह 3 माह की उम्र में पक्षियों का औसत वजन लगभग दो से ढाई किलोग्राम का हो जाता है जो 700 से 800 रुपए किलो की दर से विक्रय किया जाता है। कुक्कुट पालन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
कुक्कुट पालन के साथ ही मुर्गी पालन या पोल्ट्री फार्म खोलकर भी आप काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के लिए यह कमाई का एक बहुत अच्छा जरिया बन सकता है। पोल्ट्री फार्म बिजनेस खोलने के लिए भी कई बैंक लोन प्रदान करते हैं। इसके अलावा पोल्ट्री फार्म के लिए भी सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है।
यदि आप छोटे स्तर पर कुक्कुट पालन शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए कम से कम 50 हजार रुपए का खर्च आएगा। वहीं बड़े स्तर पर इसे शुरू करेंगे तो पोल्ट्री फार्मिंग में एक से लेकर तीन लाख रुपए का खर्च आता है।
कुक्कुट पालन या पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए आप किसी भी सरकारी बैंक से लोन भी ले सकते हैं। पोल्ट्री फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए अधिकांश राज्यों की सरकारें लोन पर 25 से 35 फीसदी तक सब्सिडी भी देती है। नाबार्ड के जरिये भी इसके लिए सहायता दी जाती है।
मुर्गी पालन या पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकारी बैंकों सहित प्राईवेट बैंक भी लोन देते हैं। यहां हम कुछ बैंकों के नाम बता रहे हैं जो पोल्ट्री बिजनेस खोलने के लिए लोन प्रदान करते हैं।
बात करें भारतीय स्टेट बैंक की तो एसबीआई द्वारा 5000 मुर्गियों के पालन पर 3,00,000 तक का लोन प्रदान करने का प्रावधान है। वहीं इसके साथी बैंक अधिकतम 9 लाख रुपए तक का ही लोन मुर्गी पालन या पोल्ट्री फार्म के लिए प्रदान करते हैं। बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए आपको अपने प्रोजेक्ट प्लान और उपकरण खरीदने और जमीन आदि का पूरा विवरण बैंक को देना होता है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दिए गए लोन को भुगतान करने के लिए बैंक द्वारा 5 वर्ष की अवधि का समय दिया जाता है। यदि आप 5 वर्षों तक लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं। तो आपको 6 महीने की अतिरिक्त समय दिया जाता है।
लगातार 20 हफ्ते तक मुर्गियों को खिलाने का खर्च करीब 1 से 1.5 लाख रुपए खर्च आता है। एक लेयर पैरेंट बर्ड एक साल में लगभग 300 अंडे देती है। 20 हफ्ते बाद मुर्गियां अंडा देना शुरू कर देती है और साल भर तक अंडे देती है। 20 हफ्तों के बाद इनके खाने पीने पर तकरीबन 3 से 4 लाख रुपये खर्च होता है।
1500 मुर्गियों से 290 अंडे प्रति वर्ष के औसत से करीब 4,35,000 अंडे मिलते हैं। यदि खराब हुए अंडों के बाद भी यदि आप 4 लाख अंडे बेच पाएं तो थोक भाव में एक अंडा 6 रुपए की दर से बिकता है। इस हिसाब से 24 लाख रुपए होते हैं। बता दें कि मुर्गियां 20 हफ्तों के बाद अंडे देना शुरू कर देती है। यदि 20 हफ्तों का मुर्गी के खाने-पीने का खर्च सहित अन्य खर्च को निकलने दें तो भी आप कम से कम अंडे बेचकर भी 14 लाख रुपए की कमाई हर साल कर सकते हैं।
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली की ओर से समय-समय पर मुर्गी पालन के प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसके अलावा आप अपने जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं। जहां पर समय-समय पर मुर्गी पालन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया जाता है।
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